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Wednesday, June 18, 2025
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छोटी सोच… ईरान से डील पर अमेरिका की धमकी, फिर जयशंकर ने जो कहा, आप कहेंगे- धो डाला

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नई दिल्ली:

‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।’ विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कुछ इसी तर्ज पर अमेरिका को जवाब दिया है।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की इन पंक्तियों में एक दर्शन निहित है। अमेरिका जैसे सुपरपावर की सोच अगर सीमित होती है तो असर व्यापक हो सकता है। अमेरिका कल तक जिस चाबहार बंदरगाह को गेम चेंजर बता रहा था, अफगानिस्तान से निकलने के बाद उसके लिए हुई डील पर भड़क रहा है। यह साफ-साफ छोटी सोच का ही नतीजा है, व्यापक हित की दृष्टि तो बिल्कुल नहीं। जयशंकर ने प्रतिबंध की धमकी पर यही बात दोटूक शब्दों में कह दी।

अमेरिका की धमकी पर जयशंकर का जवाब
विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी पुस्तक ‘व्हाई भारत मैटर्स’ के बांग्ला संस्करण के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। कोलकाता में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में जयशंकर से ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के लिए हुई डील पर अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध की धमकी दिए जाने पर सवाल पूछा गया। इस पर विदेश मंत्री ने सीधा और साफ जवाब दिया। उन्होंने बेहिचक अमेरिका को संकीर्ण सोच से बचने की नसीहत दी। जयशंकर ने कहा, ‘मैंने कुछ बयानों को पढ़ा है, लेकिन मेरा मानना है कि यह (भारत-ईरान डील) प्रभावी संचार, आपसी भरोसे और समझदारी को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया कदम है जो सभी के लिए फायदेमंद है। जरूरी है कि इसे संकीर्ण दृष्टिकोण से नहीं देखा जाए।’

अमेरिकी के दोमुंहेंपन की खोली पोल
जयशंकर ने जवाब देने के क्रम में अमेरिका की दोहरी नीति की भी पोल खोल दी। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (अमेरिका ने) अतीत में ऐसा नहीं किया है। इसलिए, यदि आप चाबहार बंदरगाह के प्रति अमेरिका के नजरिए को देखें, तो अमेरिका खुद ही खुलकर कहता रहा है कि चाबहार की व्यापक प्रासंगिकता है।’ विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान से डील को लेकर अमेरिका से बात की जाएगी। दरअसल, अमेरिका विदेश विभाग के प्रधान उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, ‘मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध आज भी लागू हैं और हम आगे भी लागू रहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘जो कोई भी ईरान के साथ कारोबारी समझौते करने का विचार रखता है, उन्हें प्रतिबंधों के संभावित खतरे का पता होना चाहिए।’

चाबहार पोर्ट पर डील क्यों जरूरी, जयशंकर ने समझाया
जयशंकर ने इसी के मद्देनजर कहा, ‘चाबहार बंदरगाह के साथ हमारा पुराना नाता रहा है, लेकिन हम कभी दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए। इसका कारण यह था कि ईरान की ओर से कई तरह की समस्याएं थीं। जॉइंट वेंचर के पार्टनर बदल गए, स्थितियां बदल गईं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आखिरकार, हम इस समस्या को सुलझाने में सफल रहे और हमने दीर्घकालिक समझौता कर लिया। लंबे समय की डील इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके बिना आप बंदरगाह संचालन में वास्तविक सुधार नहीं कर सकते। हमारा मानना है कि बंदरगाह के संचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा।’

भारत-ईरान के बीच 10 साल की हुई डील
ध्यान रहे कि चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए सोमवार को भारत के इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के बंदरगाह एवं समुद्री संगठन (पीएमओ) के बीच औपचारिक समझौता हुआ। यह 10 वर्षों की अवधि के लिए चाबहार बंदरगाह विकास परियोजना के अंतर्गत शाहिद-बेहस्ती बंदरगाह के संचालन को सुगम बनाएगा।

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