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Sunday, June 8, 2025
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हम एलियन नहीं, मुगलों के जमाने से हैं… कानपुर में समलैंगिकों की सतरंगी यात्रा, सड़कों पर LGBTQ

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कानपुर

यूपी में कानपुर के इतिहास में पहली बार क्वीर गौरव यात्रा निकाली गई। LGBTQ (लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर) समाज में समानता के अधिकार और प्यार को लेकर कानपुर की सड़कों पर मार्च किया। मार्च के दौरान रंग-बिरंगी ड्रेस में निकले तो, देखने वालों की भीड़ लग गई। उन्होंने समाज और सरकार से बराबर का दर्जा देने की मांग की है। इसका आयोजन क्वीर वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वाधान में किया गया।

कानपुर क्वीर वेलफेयर फाउंडेशन के संस्थापक अनुज पांडेय हैं। कानपुर में पहली बार प्राइड परेड संपन्न हुई, यह अपने आप में एतिहासिक प्राइड परेड थी। शहर की सड़क में जब एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी के लोग निकले, तो आकर्षण का केंद्र बन गए। उनकी ड्रेस, रहन-सहन, चलने के तौर तरीकों को लोगों ने बारीकी समझा। बीते रविवार को प्राइड परेड नाना राव पार्क से शुरू हुई, और फूलबाग में समाप्त हो गई। प्राइड परेड निकालने का उद्देश्य कानपुर के लोगों को जागरूक करना था।

‘मुगलों के समय से चला आ रहा है’
क्वीर वेलफेयर फाउंडेशन के संस्थापक अनुज पांडेय ने बताया कि हम लोग भारत सरकार का धन्यवाद कर रहे है। सरकार सेम सेक्स मैरिज बिल लेकर आई थी। यहां पर हम लोगों को उत्तर प्रदेश सरकार भी सपोर्ट कर रही है। कानपुर के लोग जागरूक नहीं हैं कि एलजीबीटीक्यू क्या होता है। जैसे कि लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर इस कम्यूनिटी के लोग भी इसी देश के लोग हैं। लोग कहते हैं कि वेस्टर्न कल्चर है। यह आज से नहीं है, बल्कि मुगलों के जमाने से चला आ रहा है। हम लोगों को समाज में समानता का अधिकार नहीं मिल पा रहा है।

हमारे लिए भी हो रोजगार
उन्होंने बताया कि स्कूल, कॉलेजों में हमारे साथ भेदभाव किया जाता है। हमारा उद्देश्य है कि इस भेदभाव को दूर किया जाए। हम लोग भी इसी समाज का हिस्सा हैं। हम लोगों के सामने जॉब की सबसे बड़ी समस्या आती है। कानपुर में ट्रांजेंडर ट्वायलेट नहीं हैं। जॉब की समस्या की वजह से हमारी कम्यूनिटी के लोग दूसरे राज्यों पलायन कर जाते है, जैसे मुंबई, दिल्ली, बैंगलौर। हम चाहते हैं कि हमारे लिए भी यहां पर रोजगार हो। स्किल इंडिया के तहत कोर्स कराए जाएं। ताकि हम लोग भी अपना बिजनेस शुरू कर सकें।

हमें घूर-घूर कर देखा जाता है
रोस कायनात ने बताया कि हमें भी जीने का हक है, जैसे आप सभी को है। हमें समानता का अधिकार चाहिए। हमारी मांग है कि जैसे कि समाज में सभी को ट्रीट किया जाता है। उसी तरह से हमारी कम्यूनिटी के लोगों भी ट्रीट किया जाए। समाज में हमें इस तरह से देखा जाता है कि जैसे हम लोग एलियन हों। हमें घूर-घूर कर देखा जाता है। यह मेरी पसंद है कि मैं इयरिंग पहनू या फिर लाइनर लगाएं। हम भी अपनी मर्जी से जीना चाहते हैं।

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