हमने संसद में कहा था… जाति जनगणना पर राहुल बोले- यह कांग्रेस का विजन है, जिसे सरकार ने अपनाया

नई दिल्ली

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस का विजन है, जिसे सरकार ने अपनाया है। राहुल गांधी ने तेलंगाना में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए जातीय सर्वे को एक मॉडल बताते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए ब्लू प्रिंट के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “हम इस फैसले का समर्थन करते हैं और जानना चाहते हैं कि यह कब होगा। तेलंगाना एक मॉडल बना है, जो ब्लू प्रिंट बन सकता है। जातीय जनगणना को डिजाइन करने में हम सरकार की पूरी तरह मदद करेंगे।”

राहुल गांधी का सरकार से सवाल
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के फैसले को कांग्रेस के कैंपेन का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “ये हमारा विजन है, जिसे सरकार ने अपनाया है। हमारे कैंपेन का असर हुआ है। हमने संसद में कहा था कि हम जातीय जनगणना को लागू कराएंगे।” उन्होंने सरकार से इसकी समयसीमा पर स्पष्टता मांगी और सवाल किया, “हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि इसकी टाइमलाइन क्या है? कब और कैसे जातीय जनगणना लागू होगी?” इसके साथ ही, उन्होंने आरक्षण की 50 फीसदी सीमा हटाने की मांग उठाई, ताकि सामाजिक न्याय को और मजबूत किया जा सके। राहुल ने जोर देकर कहा कि यह कदम समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व और अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण होगा।

सामाजिक न्याय की दिशा में पहला कदम
राहुल गांधी ने जातीय जनगणना को सामाजिक न्याय की दिशा में पहला कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सर्वेक्षण सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को समझने और नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि तेलंगाना मॉडल के आधार पर राष्ट्रीय जनगणना को डिजाइन किया जाए ताकि हर समुदाय की हिस्सेदारी और जरूरतों का सटीक आकलन हो सके।

केंद्र सरकार का जातीय जनगणना का फैसला
मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 2026 में होने वाली जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने की घोषणा की है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह आजादी के बाद भारत में पहली बार होगा जब राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना की जाएगी। सरकार का कहना है कि यह कदम सामाजिक न्याय और पिछड़े समुदायों के कल्याण के लिए उठाया गया है। हालांकि, सरकार ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह प्रक्रिया कब शुरू होगी और इसका डिजाइन कैसा होगा। इस फैसले को बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक रूप से गेमचेंजर माना जा रहा है।

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