हिमांशी सोशल मीडिया पर क्यों हो रही ट्रोल, सपोर्ट में उतरी पूर्व नेवी चीफ की पत्नी , बोली- ‘मुझे गर्व है कि आप नफरत के खिलाफ बोलती हैं’

करनाल

पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों ने नेवी अफसर विनय नरवाल समेत 26 लोगों की हत्या कर दी। विनय नरवाल के शव के पास बेजान बैठी हिमांशी की तस्वीर पहलगाम आतंकी हमले की पहचान बन गई। मगर इसके थोड़े दिन बाद ही लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल सोशल मीडिया में ट्रोलर्स के निशाने पर आ गई हैं। हिमांशी नरवाल ने अपने दिवंगत पति विनय के बर्थडे पर किसी भी मुस्लिम या कश्मीरी को निशाना नहीं बनाने की अपील की थी। सोशल मीडिया में उनके बयान के समर्थन और विरोध में लंबी बहस छिड़ी है। उन्हें कुछ लोगों ने हिमांशी को कमज़ोर और आतंकवाद से सहानुभूति रखने वाला कहकर ट्रोल भी किया इस बीच भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल एल रामदास की पत्नी ललिता रामदास ने हिमांशी की तारीफ की है। उन्होंने हिमांशी को दो लेटर भी लिखे हैं।

एक्स नेवी चीफ की पत्नी ने हिमांशी को लिखीं चिट्ठियां
हरियाणा के करनाल में अपने मारे गए पति के बर्थडे पर हिमांशी नरवाल ने कहा कि हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों या कश्मीरियों के खिलाफ़ जाएं। हम शांति चाहते हैं और केवल शांति। बेशक, हम न्याय चाहते हैं। हिमांशी ने अपने पति की याद में आयोजित रक्तदान शिविर में मुसलमानों और कश्मीरियों के लिए सुरक्षा की मांग की थी। पूर्व नौसेना अध्यक्ष एडमिरल एल रामदास की पत्नी ललिता रामदास ने हिमांशी को दो चिट्ठियां लिखीं थीं। 29 अप्रैल को भेजे गए पत्र में उन्होंने विनय नरवाल की मौत पर संवेदना प्रकट की, दूसरे पत्र में उनके बयान का समर्थन किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 85 साल की ललिता रामदास ने हिमांशी के शांति की अपील वाले बयान का पुरजोर समर्थन किया।

ललिता रामदास भी हनीमून के लिए गई थीं कश्मीर
पहले पत्र में ललिता रामदास ने डियर मिसेज विनय नरवाल से संबोधित करते हुए पहले फॉर्मल अंदाज के लिए माफी मांगी क्योंकि वह हिमांशी के फर्स्ट नेम से वाकिफ नहीं थी। इस पत्र में उन्होंने अपना परिचय एक फौजी बेटी और एक फौजी पत्नी के तौर पर दिया। ललिता ने बताया कि उनके पिता एडमिरल आरडी कटारी आजादी के बाद नौसेना का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय थे। उनके पति एडमिरल एल रामदास नौसेना स्टाफ के 13वें चीफ थे। उन्होंने अपने पति से पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए बताया कि जब रामदास 1960 में उनके पिता के फ्लैग लेफ्टिनेंट के रूप में नेवी हाउस आए थे, तब उनसे पहली नजर का प्यार हो गया था। 1961 में शादी के बाद वह भी हनीमून के लिए कश्मीर गईं थीं। पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने हिमांशी नरवाल को सांत्वना दी और उन्हें अपने घर आमंत्रित किया। साथ ही बेझिझक मदद के लिए संपर्क करने की अपील की।

‘मुझे गर्व है कि आप नफरत के खिलाफ बोलती हैं’
दूसरी चिट्ठी में ललिता रामदास ने हिमांशी के उस बयान की तारीफ की, जिसमें उन्होंने मुसलमानों और कश्मीरियों को बदले की भावना से परेशान नहीं करने की अपील की थी। एक्स नेवी चीफ की पत्नी ने कहा कि मुझे आप पर बहुत गर्व है क्योंकि मैं प्रेस को दिए गए आपके बयान की क्लिप बार-बार देखती हूं। 22 तारीख को पहलगाम में इतने सारे निर्दोष लोगों की भयानक हत्या के बाद जब आप मुसलमानों और कश्मीरियों को निशाना बनाने और नफरत के खिलाफ बोलती हैं तो आपकी असाधारण ताकत, धैर्य और दृढ़ विश्वास को दिखाता है। अभी इसकी बहुत जरूरत है। आपने हम केवल शांति चाहते हैं और निश्चित रूप से सही कहा कि हम न्याय भी चाहते हैं। आपकी सेवा की भावना, संविधान और हमारे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति सच्ची हैं।

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