How To Make Baby Sleep:अक्सर माता-पिता इस समस्या से परेशान रहते हैं कि उनका बच्चा रात में ठीक से सो नहीं पाता, या जैसे ही उसे बिस्तर पर लिटाओ, वह जागकर रोने लगता है. बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician) डॉ. पवन मांडविया ने इस समस्या को दूर करने के लिए आसान और प्रभावी उपाय बताए हैं.
डॉ. मांडविया के अनुसार, यह समस्या अक्सर 3 से 4 महीने के बच्चों में आती है, जिसे ‘3-महीने का स्लीप रिग्रेशन’ (Sleep Regression) कहा जाता है. इस चरण में बच्चे के सोने के चक्र में जैविक बदलाव आते हैं, वह 6-7 घंटे की लंबी नींद के लिए तैयार होता है, जिससे नींद बाधित होती है. इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखकर आप अपने बच्चे को गहरी नींद दिला सकते हैं.
1. सेल्फ-सूदिंग (Self-Soothing) को दें बढ़ावा
अगर बच्चा बिस्तर पर लिटाने के 10-15 मिनट बाद रोने लगता है, तो तुरंत उसे उठाने के बजाय थोड़ी देर इंतज़ार करें.
- इंतज़ार करें: डॉक्टर कहते हैं कि बच्चे को रोने के बाद कुछ मिनट तक इंतज़ार करना चाहिए. यह देखने की कोशिश करें कि क्या वह खुद को शांत (Self-soothe) कर पाता है.
- परिणाम: आप देखेंगे कि कुछ देर बाद बच्चा खुद ही आरामदायक तरीके से वापस सोने की कोशिश करने लगेगा.
2. सोने से पहले का रूटीन (Bedtime Routine) बनाएं
बच्चे के लिए एक निश्चित सोने का रूटीन बनाना बहुत ज़रूरी है, जिससे उसके शरीर को संकेत मिलता है कि अब सोने का समय हो गया है.
- रूटीन में शामिल करें: सोने से पहले बच्चे को मालिश दें, नहलाएं, गोद में थपकी दें या गले लगाकर सुलाएं.
- फायदा: यह रूटीन उसे समय पर सोने में मदद करेगा.
3. भूख का रखें खास ध्यान: सोने से पहले दूध पिलाएं
4 महीने के आसपास बच्चे का ग्रोथ स्पर्ट (Growth Spurt) होता है, जिसके कारण उसकी भूख बढ़ जाती है.
- भरपूर दूध: इस चरण के दौरान, बच्चे को, ख़ासकर सोने से ठीक पहले, ज़्यादा दूध पिलाएँ.
- कारण: अगर बच्चा भूखा रहेगा तो उसकी नींद बार-बार टूटेगी.
4. संकेतों (Cues) को पहचानकर सुलाएं
जब बच्चे को नींद आने लगती है, तो वह कुछ संकेत (Cues) देता है. इन संकेतों को पहचानकर तुरंत उसे सुलाने की कोशिश करें.
- संकेत: जम्हाई लेना, आँखें मलना या कान खींचना नींद आने के मुख्य संकेत होते हैं.
- सही समय: इस समय उसे बिस्तर पर लेटाने से वह आसानी से सो जाता है.
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5. रात में शांति और दिन में सक्रिय माहौल
बच्चे को दिन और रात का फर्क समझाना ज़रूरी है ताकि उसका स्लीप साइकिल रेगुलेट हो सके.
- रात का माहौल: रात में रोशनी कम रखें, धीमी आवाज़ में बात करें और शांति बनाए रखें.
- दिन का माहौल: दिन के समय बच्चे को अधिक से अधिक गतिविधियों में शामिल करें और माहौल सक्रिय रखें. इससे उसका स्लीप साइकिल नियंत्रित होता है और वह रात में ज़्यादा सोता है.
