Which Dal Causes Gas:दालें भारतीय भोजन का एक अहम हिस्सा हैं और ये फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और कई खनिजों से भरपूर होती हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए ज़रूरी हैं. लेकिन कार्बोहाइड्रेट और फाइबर की उच्च मात्रा के कारण कई दालें पेट में गैस (Gas) और पेट फूलने (Bloating) की समस्या पैदा कर सकती हैं.
ऐसे में, अगर दालों को सही तरीके से न खाया जाए, तो ये पाचन क्रिया (Digestion) को बाधित कर सकती हैं. आइए जानते हैं कि किन दालों से ज़्यादा गैस बनती है और न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन के अनुसार, गैस से राहत पाने के लिए दालों को कैसे खाना चाहिए.
1. पेट में गैस बनाने वाली प्रमुख दालें
कुछ दालें अपनी प्रकृति के कारण धीमी गति से पचती हैं, जिससे पेट में गैस बन सकती है:
- उड़द दाल (Urad Dal): यह दाल पचाने में मुश्किल होती है, ख़ासकर उन लोगों के लिए जिनका पाचन तंत्र कमज़ोर है, यह पेट फूलने का कारण बन सकती है.
- चना दाल (Chana Dal): प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होने के बावजूद, अगर इसे ठीक से न खाया जाए तो यह पेट में गैस पैदा कर सकती है.
- अरहर दाल (Arhar/Toor Dal): यह दाल आमतौर पर खाई जाती है, लेकिन अगर इसे सही तरीके से न पकाया जाए, तो यह भी गैस की समस्या पैदा कर सकती है.
2. पेट फूलने से बचने के लिए दालों को ऐसे खाएं
न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन के अनुसार, दालों को खाने से पहले उन्हें भिगोना (Soaking) पाचन में बहुत मदद करता है.
- बिना छिलके वाली दालें: मसूर दाल, मूँग दाल, और अरहर दाल जैसी बिना छिलके वाली दालों को पकाने से पहले कम से कम 30 मिनट तक भिगोना चाहिए.
- टूटे छिलके वाली दालें: छिलका टूटी हुई दालों को 2 से 4 घंटे तक भिगोना चाहिए, जिससे फाइबर नरम हो जाता है.
- साबुत दालें: राजमा, छोले, और काले चने जैसी साबुत दालों (जिन पर छिलका होता है) को रात भर या 6 से 8 घंटे तक भिगोना ज़रूरी है.
3. भिगोने के दौरान ज़रूरी नुस्खे
साबुत दालों को भिगोते समय कुछ चीज़ें मिलाने से गैस की समस्या और कम हो सकती है.
- मिलावट: साबुत दालों को भिगोते समय उसमें तेज पत्ता (Bay Leaf), बड़ी इलायची और लौंग (Clove) ज़रूर मिलाएँ.
4. हींग और जीरे का तड़का है ज़रूरी
दालों को गैस-मुक्त बनाने के लिए पकाने के बाद तड़का लगाना बहुत फ़ायदेमंद होता है.
- तड़के का मिश्रण: न्यूट्रिशनिस्ट हर दाल में हींग (Asafoetida), जीरा (Cumin) और अदरक (Ginger) का तड़का लगाने की सलाह देती हैं. यह गैस को कम करने में मदद करता है.
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5. भिगोने के फ़ायदे (एंटी-न्यूट्रिएंट्स से मुक्ति)
दालों को भिगोने से न केवल पाचन आसान होता है, बल्कि उनके पोषक तत्वों का अवशोषण भी बढ़ जाता है.
- एंटी-न्यूट्रिएंट्स हटना: भिगोने से फाइटिक एसिड और टैनिन जैसे एंटी-न्यूट्रिएंट्स दूर हो जाते हैं, जो आयरन, ज़िंक और कैल्शियम के अवशोषण को रोकते हैं.
- पाचन में आसानी: दालों को भिगोने से कुछ ऐसे शुगर भी निकल जाते हैं जिन्हें पचाना पेट के लिए मुश्किल होता है, जिससे गैस नहीं बनती है.
