महाराष्‍ट्र में खरीफ फसलों की बुवाई में ग‍िरावट, तिलहन, दलहन पर सबसे ज्‍यादा असर

मुंबई

एक तरफ देश के कई राज्‍यों में बाढ़ और बार‍िश से हाहाकार मचा हुआ है तो एक ह‍िस्‍सा ऐसा भी है जहां लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। महाराष्‍ट्र में यही हाल है। राज्‍य में जून महीने में बार‍िश नहीं हुई। ऐसे में खरीफ फसलों की बुवाई में भारी ग‍िरावट आई है। सबसे ज्‍यादा असर दलहनी फसलों पर पड़ा है। मोटे अनाज की बुवाई में भी कमी दर्ज की गई है। हालांक‍ि किसानों को उम्‍मीद है क‍ि आने वाले समय में अच्‍छी बारिश होगी बुवाई में तेजी आएगी।

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार महाराष्‍ट्र में 11 जुलाई तक 99.54 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई जो पिछले साल की अपेक्षा लगभग 6 फीसदी कम है। पिछले साल इस समय तक 105.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी हुई थी।

(1.94/3.27) लाख हेक्टेयर के साथ उड़द को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, इसके बाद मूंग (2.04/2.81) लाख हेक्टेयर और अरहर (8.45/10.45) लाख हेक्टेयर है। अरहर की बुवाई का समय अभी खत्म नहीं हुआ है और दलहन उगाने वाले मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र के किसानों के बाद में अपना रकबा बढ़ाने की उम्मीद है। एक अन्य प्रमुख खरीफ फसल तिलहन की भी नमी की चिंताओं के कारण बुवाई में गिरावट देखी गई है।

महाराष्‍ट्र में पिछले वर्ष के 40.01 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 37.38 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है। सोयाबीन जो अकेले राज्य में उगाए जाने वाले तिलहन में 90 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है, में इस वर्ष 38.36 से 36.38 लाख हेक्टेयर की गिरावट देखी गई है। हालांकि, तुअर जैसे सोयाबीन के रकबे में सुधार की उम्मीद है क्योंकि बुवाई की अवधि जुलाई के अंत तक बढ़ाई जा सकती है।

मक्का (56.80/56.18 लाख हेक्टेयर) और कपास (35.83/33.81 लाख हेक्टेयर) केवल दो फसलें हैं जिन्होंने थोड़ा सकारात्मक दृष्टिकोण दर्ज किया है। इस सीजन में मिली बेहतर कीमतों को देखते हुए, देश के अन्य हिस्सों की तरह राज्य के किसानों को भी दलहन और अन्य अनाज की कीमत पर कपास और सोयाबीन का रकबा बढ़ाने की उम्मीद है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में बारिश तेज होने से इन दोनों फसलों का रकबा आने वाले दिनों में बढ़ने की उम्मीद है।

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