म्यूचुअल फंड कारोबार में आना वाला है बड़ा भूचाल, एक्सिस एसेट मैनेजमेंट से लगाया है पैसा तो खबर आपके लिए है

नई दिल्ली

भारत की 465 अरब डॉलर की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए अच्छी खबर नहीं है। देश की सबसे बड़े एसेट मैनेजरों में से एक एक्सिस एसेट मैनेजमेंट कंपनी के खिलाफ रेगुलेटरी जांच चल रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह जांच म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की चूलें हिला सकती है। एक्सिस म्यूचुअल फंड पर फ्रंट रनिंग का आरोप लगा है। कंपनी ने मई में आंतरिक जांच के दौरान अपने दो सीनियर अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया था। इस कंपनी में ब्रिटेन की दिग्गज इनवेस्टमेंट कंपनी Schroders की 25% हिस्सेदारी है जबकि बाकी स्टेक एक्सिस बैंक लिमिटेड (Axis Bank Ltd) के पास है। कंपनी ने हाल में अपनी रिपोर्ट रेगुलेटर्स को सौंप दी। इसमें कंपनी ने स्वीकार किया है कि बर्खास्त किए गए उसके अधिकारियों ने सिक्योरिटीज नियमों का उल्लंघन किया था।

सूत्रों के मुताबिक मार्केट रेगुलेटर सेबी भी इस मामले में जांच कर रहा है। फ्रंट रनिंग का मतलब अवैध तरीके से शेयरों में खरीदी-बिक्री से है। फ्रंट रनिंग तब होती है जब किसी ब्रोकर के पास बड़ी मात्रा में खरीदे या बेचे जाने वाले स्टॉक की विशेष जानकारी होती है और वह उस स्टॉक का लाभ उठाने के लिए ट्रेड करता है। मतलब ब्रोकर स्टॉक से संबधित जानकारी पहले खुद देता है उसके बाद उसी के आधार पर फायदा कमाता है। भारत में फ्रंट रनिंग अवैध है।

सेबी की जांच
सूत्रों के मुताबिक सेबी ने एक्सिस म्यूचुअल फंड के अधिकारियों और दूसरे स्टॉक ब्रोकर्स तथा ट्रेडर्स के ठिकानों पर व्यापक छापेमारी की थी। देश के विभिन्न शहरों में करीब 30 स्थानों पर छापा मारा गया था। जांच से जुड़े नौ लोगों के साथ बातचीत में यह बात सामने आई कि महामारी के दौरान इनवेस्टमेंट इंडस्ट्री में काफी उछाल आया। ऐसे में अधिकारियों और रेगुलेटर्स के लिए इसे मैनेज करना मुश्किल हो गया था।

एक सूत्र ने बताया कि आरोप लगने के बाद कई कंपनियों ने एक्सिस म्यूचुअल फंड से पैसा निकाल दिया था। कंपनी ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया लेकिन एक बयान में कहा कि उसने हमेशा रेगुलेटरी गाइडलाइंस का पालन किया है और बर्खास्त किए गए अधिकारियों के कंपनी के कामकाज या लिक्विडिटी पर कोई असर नहीं हुआ। कंपनी ने फ्रंट रनिंग के आरोप में दो अधिकारियों विरेश जोशी और दीपक अग्रवाल को बर्खास्त किया था। विरेश जोशी ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए कोर्ट को दरवाजा खटखटाया है। कानूनी जानकारों का कहना है कि देश की पूरी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री जांच के दायरे में आ सकती है।

क्या कहते हैं जानकार
Regstreet Law Advisors के फाउंडर सुमित अग्रवाल का कहना है कि सेबी जिस तरह इस मामले की जांच कर रहा है उससे साफ है कि मार्केट रेगुलेटर इसे काफी गंभीरता से ले रहा है। उम्मीद है कि इस मामले में तेजी से जांच होगी और फंड मैनेजर्स के लिए नियमों को सख्त बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आगे वाले दिनों में फंड मैनेजर्स, डीलर्स और उनके करीबी रिश्तेदारों के बैंक अकांउट्स और टैक्स रिटर्न्स की जांच हो सकती है। देश में पिछले एक दशक में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में करीब पांच गुना तेजी आई है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के मुताबिक जून के अंत तक यह इंडस्ट्री 37 लाख करोड़ रुपये से अधिक एसेट्स मैनेज कर रही थी। एक्सिस म्यूचुअल फंड 2009 में पहला इनवेस्टमेंट प्लान लाई थी और जून के अंत तक इसके पास 2.5 लाख करोड़ रुपये की एसेट्स अंडर मैनेजमेंट थी।

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