नई दिल्ली,
मॉनसून सत्र से पहले संसद (लोकसभा और राज्यसभा) में कई शब्दों पर कल पाबंदी लगाये जाने का ऐलान किया गया था, जिसपर राजनीति शुरू हो चुकी है. जुमलाजीवी, तानाशाह, शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष, खून से खेती आदि को असंसदीय शब्द बताकर इनकी लंबी-चौड़ी लिस्ट तैयार की गई. लोकसभा सचिवालय के मुताबिक, अब इनको संसद में कार्यवाही या बहस के दौरान नहीं बोला जा सकेगा.
इसपर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है. राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार को घेरा है.इस बीच महत्वपूर्ण बात यह है कि नई सूची में ऐसे शब्द सबसे अधिक शामिल हैं जो राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं की कार्यवाही से असंसदीय बता कर हटाए गए हैं. दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है.
यहां यह जानना भी जरूरी है कि समय समय पर लोकसभा सचिवालय ऐसे शब्दों को असंसदीय शब्दों की सूची में शामिल करता है जिन्हें लोक सभा, राज्य सभा अथवा राज्य विधान सभाओं और विधान परिषदों द्वारा असंसदीय शब्द बता कर कार्यवाही से हटाया जाता है.इनमें कॉमनवेल्थ संसदों में घोषित किए असंसदीय शब्द भी होते हैं. इस बार जारी की गई सूची में 2021 में असंसदीय बता कर हटाए गए शब्दों को जोड़ा गया है.
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 105 (2) के तहत सांसदों को विशेषाधिकार मिलते हैं. सदन के अंदर वे जो भी कहते हैं उसके लिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. इसीलिए लोक सभा के नियम 380 के तहत लोक सभा अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दे जो असंसदीय, अभद्र या डेफेमेट्री हैं. नियम 381 के तहत असंसदीय कह कर हटाए गए शब्दों को तारांकित करके सदन की कार्यवाही से निकाला जा सकता है.
विपक्षी नेताओं ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस दूसरे गणतंत्र में नए संविधान को बनाने की कोशिश होगी. क्या यह नए व्याकरण की रचना कर रहे हैं? चौधरी बोले कि हम इन शब्दों में इस्तेमाल करते रहेंगे. चौधरी ने आगे कहा, ‘आज कहते हैं कि यह शब्द इस्तेमाल नहीं हो सकते, कल कहेंगे कि संसद में आना है तो भगवा कपड़े पहनकर आओ.’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तंज कसा कि यह नई इंडिया की नई डिक्शनरी है. उन्होंने कहा कि जिन शब्दों से सरकार के कामकाज को ठीक तरह से बताया जाता था उनको बैन कर दिया गया है. यहां उन्होंने जुमलाजीवी तानाशाह आदि का जिक्र किया.
मल्लिकार्जुन खड़गे की भी इसपर प्रतिक्रिया आई. वह बोले कि संसद में एक किताब बनती है जिसमें लिखा होता है कि कौन से शब्द असंसदीय हैं और कौन से संसदीय होते हैं. उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी ने) जो शब्द अपने संसदीय जीवन में कहे और बोले हैं वही शब्द हम बोलेंगे और उनको बताएंगे कि उनकी बहस में उन्होंने क्या कहा. वे जब खुद कहते हुए आए हैं आज उनको क्यों लग रहा है कि यह शब्द ठीक नहीं है.
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से जब इसपर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि असंसदीय भाषा अहम नहीं है वह किस संदर्भ कहा गया है वह महत्वपूर्ण है. अगर में संसद में बोलूं कि ‘मैं मोदी सरकार पर फूल फेंक कर मारुंगा क्योंकि उन्होंने देश के नौजवानों को बेरोज़गार बना दिया’ तो क्या वे ‘फूल’ को असंसदीय घोषित कर देंगे?
आम आदमी पार्टी ने भी नए आदेश का विरोध किया है. AAP सांसद राघव चड्ढा बोले कि सरकार ने आदेश निकाला है कि संसद में सांसद कुछ शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते. उन शब्दों की सूची पढ़कर लगता है कि सरकार बखूबी जानती है कि उनके काम को कौन से शब्द परिभाषित करते हैं. जुमलाजीवी कहना असंसदीय हो गया है लेकिन आंदोलनजीवी कहना असंसदीय नहीं हुआ.