WHO ने मंकीपॉक्स को घोषित किया हेल्थ इमरजेंसी, भारत में भी हैं 3 केस

नई दिल्ली,

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट कर दिया है. WHO ने शनिवार को मंकीपॉक्स को लेकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की है. इस संबंध में WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ने प्रेस वार्ता की है. उन्होंने कहा कि monkeypox का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता करने वाला है. सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर इमरजेंसी लगाई जा रही है.

डॉ. टेड्रोस ने कहा कि एक महीने पहले मैंने अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों के तहत आपातकालीन कमेटी की मीटिंग बुलाई थी. इसमें ये यह आकलन किया गया था कि क्या मंकीपॉक्स के प्रकोप की वजह से ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी के हालात हैं. उस बैठक में अलग-अलग विचार आए थे. समिति ने सर्वसम्मति से तय कहा था कि monkeypox से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति नहीं है. उस समय 47 देशों से WHO को monkeypox के 3040 केस सामने आए थे. तब से इसका प्रकोप लगातार बढ़ रहा है और अब 75 देशों और यहां 16 हजार से ज्यादा केस सामने आए हैं, और पांच मौतें हुई हैं.

उन्होंने कहा कि इमरजेंसी कमेटी ने स्वीकार किया कि मंकीपॉक्स प्रकोप के कई पहलू ‘असामान्य’ हैं और इसके खतरों पर वर्षों से गौर नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि monkeypox को लेकर मैंने इस सप्ताह के गुरुवार को एक बार फिर आंकड़ों की समीक्षा की और मुझे एडवाइज देने के लिए कमेटी का पुनर्गठन किया था. आज हम जो रिपोर्ट प्रकाशित कर रहे हैं उसमें समिति के सदस्यों ने इसके पक्ष और विपक्ष में कारण बताए हैं.

डॉ. टेड्रोस ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों के तहत मुझे यह तय करने में पांच कारकों पर विचार करने की जरूरत है. सबसे पहले देशों द्वारा दी गई जानकारी है, जो दिखाती है कि monkeypox वायरस कई देशों में तेजी से फैल गया है, जिन्होंने इसे पहले नहीं देखा है. दूसरा- अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के तीन मानदंड हैं, जिन्हें पूरा किया गया है. तीसरा- आपातकालीन समिति की सलाह, जिस पर आम सहमति नहीं बन पाई है. चौथा- वैज्ञानिक सिद्धांत, साक्ष्य और अन्य प्रासंगिक जानकारी – जो वर्तमान में अपर्याप्त हैं. पांचवां- मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम, अंतर्राष्ट्रीय प्रसार और अंतर्राष्ट्रीय यातायात में हस्तक्षेप की संभावना है.

मैंने देशों के चार समूहों के लिए सिफारिशों का एक सेट बनाया है. सबसे पहले वे देश हैं, जहां अभी तक मंकीपॉक्स के केस नहीं मिले या 21 दिनों से अधिक समय तक कोई केस दर्ज नहीं किया है. दूसरा, हाल ही में मंकीपॉक्स के आने वाले केस और जो एक से दूसरे में फैल रहे हैं. इसे फैलने से रोकने की सिफारिशें शामिल हैं.

चेचक के टीके को मंकीपॉक्स के खिलाफ इस्तेमाल की तैयारी

यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी’ (ईएममए) ने शुक्रवार को कहा कि बवेरियन नॉर्डिक की ओऱ से बनाए गए चेचक के टीके को मंकीपॉक्स के खिलाफ इस्तेमाल के लिए भी अधिकृत किया जाए, क्योंकि इस दुर्लभ बीमारी का प्रकोप पूरे महाद्वीप में लोगों को बीमार बना रहा है। यूरोपीय संघ के दवा नियामक ने कहा कि इसकी सिफारिश जानवरों के अध्ययन पर आधारित है, जो सुझाता है कि टीका गैर-मानव ‘प्राइमेट’ को मंकीपॉक्स से बचाता है।

35 साल के युवक मंकीपॉक्स से संक्रमित

भारत में भी मंकीपॉक्स की दस्तक हो चुकी है। केरल में पिछले करीब दो हफ्तों में मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आ चुके हैं। तीसरा मामला शुक्रवार को ही सामने आया है। जुलाई की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटे एक 35 वर्षीय युवक में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि हुई है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि मलप्पुरम का रहने वाला युवक छह जुलाई को अपने गृह राज्य लौटा था और उसे 13 जुलाई से बुखार है। युवक का इलाज तिरुवनंतपुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।

तीन के तीनों मामले केरल से ही

इससे पहले, भारत में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला केरल के कन्नूर जिले में दर्ज किया गया था। 13 जुलाई को दुबई से कन्नूर लौटे शख्स में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। उसका इलाज तिरुवनंतपुरम के परियारम मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। वहीं, भारत में मंकीपॉक्स का पहला मरीज भी केरल में ही मिला था। 12 जुलाई को यूएई से कोल्लम पहुंचे व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखे थे। जिसका तिरुवनंतपुरम स्थित राजकीय चिकित्सा कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है।

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