स्मृति इरानी की बेटी पर बुरी फंस गई कांग्रेस, दिल्ली हाई कोर्ट ने लगा दी क्लास

नई दिल्ली

कांग्रेस नेता ‘दुर्भावनापूर्ण इरादे’ रख रहे हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी और उनकी बेटी जोइश इरानी गोवा के रेस्तरां की न तो मालिक हैं और न ही उन्होंने कभी फूड एंड वेबरेज के लिए आवेदन किया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा को जमकर फटकार लगाई। गौरतलब है कि इन नेताओं ने स्मृति इरानी की बेटी जोइश इरानी पर गोवा में अवैध बार चलाने का आरोप लगाया था।

दुर्भावनापूर्ण इरादा
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कांग्रेस नेता केंद्रीय मंत्री के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण इरादा रखे हुए प्रतीत होते हैं। गोवा सरकार से जारी कारण बताओ नोटिस इरानी और उसके परिवार के सदस्यों को संबोधित नहीं था। हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस के तीन नेताओं के बयान ‘बदनाम करने वाली प्रकृति के और दुर्भावनापूर्ण इरादे से दिए गए फर्जी प्रतीत होते हैं, जिनका मकसद जानबूझ कर इरानी को ‘व्यापक सार्वजनिक उपहास’ का पात्र बनाना और बीजेपी नेता और उनकी बेटी के नैतिक चरित्र व सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना था।

रमेश, खेड़ा ने व्यक्तिगत हमले की साजिश रची
अदालत ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं-जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा- के साथ अन्य ने उनके खिलाफ झूठे, तल्ख और आक्रामक व्यक्तिगत हमले करने की साजिश रची। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी की वरिष्ठ नेता और उनकी बेटी का रेस्तरां ‘सिली सोल्स कैफे ऐन्ड बार’ से संबंध है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी कांग्रेस के तीन नेताओं के खिलाफ महिला एवं बाल विकास मंत्री इरानी की तरफ से दायर दीवानी मानहानि के मुकदमे में अपने समक्ष पेश किए गए दस्तावेजों पर गौर करते हुए की।

एंथनी डिगामा को गोवा सरकार का नोटिस
हाईकोर्ट का 29 जुलाई का यह आदेश सोमवार को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। अदालत ने अपने आदेश में दीवानी मानहानि मामले में कांग्रेस के तीन नेताओं को समन जारी किए थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनसे केंद्रीय मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए आरोपों से जुड़े ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए भी कहा है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने अपने 14 पन्नों के आदेश में कहा, ‘मैंने रिकॉर्ड में रखे गए विभिन्न दस्तावेज देखे हैं। खासकर, गोवा सरकार, आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा 21 जुलाई 2022 को जारी कारण बताओ नोटिस को देखा है, जो किसी एंथनी डिगामा नाम के व्यक्ति को संबोधित है, न कि वादी (इरानी) या उनके परिवार के सदस्यों को।’

इरानी या उनकी बेटी के नाम पर लाइसेंस जारी नहीं
उन्होंने कहा, ‘रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों पर विचार करते हुए यह स्पष्ट रूप से नजर आता है कि कोई ऐसा लाइसेंस नहीं है, जो कभी वादी या उनकी बेटी के पक्ष में जारी किया गया हो। वादी और उनकी बेटी रेस्तरां की मालिक नहीं हैं। वादी ने प्रथम दृष्टया यह भी स्थापित किया है कि उन्होंने (इरानी ने) या उनकी बेटी ने कभी लाइसेंस के लिये आवेदन नहीं किया था।’ अदालत ने कहा,‘न तो रेस्तरां और न ही जिस भूमि पर रेस्तरां मौजूद है, उसपर वादी या उनकी बेटी का स्वामित्व है। यहां तक कि गोवा सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस वादी या उनकी बेटी के नाम पर नहीं है। वादी ने अपने हलफनामे में भी इन तथ्यों की पुष्टि की है।’ केंद्रीय मंत्री इरानी ने उनपर और उनकी 18 वर्षीय बेटी के खिलाफ कथित रूप से निराधार और झूठे आरोप लगाने को लेकर मानहानि का वाद दायर किया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि वादी भारत सरकार में एक मंत्री के पद पर आसीन है और उनके सार्वजनिक पद की प्रकृति को देखते हुए, सार्वजनिक क्षेत्र में उनके बारे में किसी भी जानकारी की अत्यधिक चर्चा होती है और उसका विश्लेषण किया जाता है। अदालत ने कहा, ‘प्रतिवादी संख्या 1 से 3 (कांग्रेस नेताओं) ने एक दूसरे और अन्य व्यक्तियों और संगठनों के साथ मिलकर वादी और उनकी बेटी पर झूठे, तल्ख और आक्रामक व्यक्तिगत हमलों की साजिश रची, जिसका एक सामान्य उद्देश्य वादी और उनकी बेटी को बदनाम करना तथा उनकी प्रतिष्ठा, चरित्र और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना है।’

जानिए क्या है पूरा मामला
अदालत ने अंतरिम आदेश में कहा था कि इरानी और उनकी बेटी के खिलाफ आरोप लगाने वाली सामग्री सोशल मीडिया से हटाई जाए। अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी अगर 24 घंटों के भीतर आरोपों से जुड़े ट्वीट, रीट्वीट, पोस्ट, वीडियो और तस्वीर हटाने में असफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब स्वयं इससे संबंधित सामग्री हटा दें। इरानी ने मानहानि के केस कांग्रेस नेताओं द्वारा उनकी बेटी जोइश इरानी पर गोवा में कथित तौर पर एक गैर कानूनी बार चलाने का आरोप लगाने और इस मुद्दे को लेकर मंत्री पर हमला करने के बाद दायर किया। कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इरानी को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की थी। न्यायाधीश ने कहा, ‘अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए दस्तावेज और संवाददाता सम्मेलन के अंश को देखने के बाद, प्रथमदृष्टया मेरी राय है कि निंदात्मक आरोप वास्तविक तथ्यों को सत्यापित किए बिना लगाए गए। प्रतिवादियों द्वारा किए गए संवाददाता सम्मेलन के बाद ट्वीट और रीट्वीट से याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को बहुत क्षति पहुंची।’ न्यायाधीश ने कहा, ‘यह उचित है कि प्रतिवादी एक से तीन (कांग्रेस नेताओं) को संवाददाता सम्मेलन में लगाए गए आरोपों को यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर सहित सोशल मीडिया से हटाने का अंतरिम निर्देश दिया जाए।’

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