नई दिल्ली
मेटा कंपनी की तिमाही रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई। इस रिपोर्ट के कुछ तथ्यों पर विवाद बढ़ता जा रहा है। पहले आपको यहां पर हम साफ कर दें कि मेटा कंपनी फेसबुक, इंस्टा और वॉट्सऐप की पेरेंट कंपनी है। इसकी तिमाही में बताया गया है कि उसने सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म से 300 अकाउंट्स को हटा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये किसी न किसी तरह से समाज में गंदगी परोसने का काम कर रहे थे। इसमें खास बात ये है कि ये सारे अकाउंट हिंदू समर्थकों के हैं। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद कहा जा रहा है कि क्या मेटा कंपनी भी हिंदूफोबिया का शिकार हो रही है।
फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मालिक कंपनी मेटा ने 2022 की दूसरी तिमाही के लिए अपनी ‘एडवर्सेरियल थ्रेट रिपोर्ट’ जारी की। मेटा का इस मामले में कहना है कि इन अकाउंट्स से लोगों को टारगेट किया जा गया, परेशान करने या चुप कराने से इरादे से काम किया है। मेटार रिपोर्ट के पेज 12 पर कहा गया है कि 2022 की दूसरी तिमाही में हमने भारत में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लगभग 300 खातों के एक ब्रिगेडिंग नेटवर्क को हटा दिया, जो लोगों को बड़े पैमाने पर परेशान करने के लिए काम करता था। इन अकाउंट्स में एक्टिविस्ट, कॉमेडियन, अभिनेता और अन्य प्रभावशाली लोग शामिल हैं।
मेटा की पैरेंट कंपनी के डी-प्लेटफॉर्मिंग सिस्टम की मनमानी और अस्पष्टता पर सवाल उठाते हुए प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वम्पति ने ट्वीट किया कि भारत में फेसुबक खातों का इस तरह से बड़े पैमाने पर अकाउंट्स का डी-प्लेटफॉर्मिंग करना कई तरह के सवाल खड़ा कर रहा है। प्लेटफ़ॉर्म को हटाने या डी-प्लेटफ़ॉर्म करने की शक्तियों को चेक और जवाबदेही के साथ विनियमित किया जाना चाहिए। शशि शेखर ने न्यूज प्लेटफॉर्म फर्स्ट पोस्ट से बातचीत में कहा कि इन सभी प्लेटफॉर्मों के एडिटोरियल सामग्री की बात आती है तो जांच की आवश्यकता होती है।