बिहार में बढ़ रही दरार, ललन सिंह बोले- JDU से मंत्री कौन होगा, यह BJP बताएगी?

पटना

जेडीयू से बाहर हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा है कि वह नीतीश कुमार के साथ लंबे समय से थे। इसपर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सोमवार को पटना में कहा कि हमने भी उनका बयान सुना है। आरसीपी सिंह 1998 से नीतीश कुमार के साथ प्राइवेट सिक्रेटरी के रूप में थे। वह जेडीयू के कार्यकर्ता नहीं थे। आरसीपी सिंह की तरह नीतीश कुमार के रेलमंत्री रहते हुए दो दर्जन कर्मचारी थे, उसी में वह भी एक थे। इसके चलते वह जेडीयू के नेता हो गए। जेडीयू के नेता वह 2010 में हुए। 2009 में आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार के सामने इच्छा प्रकट की। वह लोकसभा का टिकट मांग रहे थे, जिसे मुख्यमंत्री जी ने अस्वीकार कर दिया। 2010 में उनकी इच्छा को स्वीकारते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। 1998 से आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के कर्मचारी थे। रेलमंत्री के 3 दर्जन कर्मचारी होते हैं उसमें से वह भी एक थे।

ललन सिंह ने आगे कहा कि मैंने कल ही कहा था कि आरसीपी सिंह अपनी मर्जी से केंद्र में मंत्री बने थे। यह बात खुद आरसीपी सिंह ने स्वीकारी है। मैंने अखबार में आरसीपी सिंह की बात पढ़ी है। मेरी कही बात प्रमाणि हो गई है। अरे भाई बीजेपी तय करेगा कि जेडीयू का कौन मंत्री बनेगा। अगर बीजेपी जेडीयू का मंत्री तय करेगा तो यह तय है कि आप (आरसीपी सिंह) क्या कर रहे थे। मैंने जो बात कही थी वह सच साबित हुई। उन्होंने (आरसीपी सिंह) ने खुद स्वीकार किया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री जी को सूचना दी थी कि बीजेपी ने उन्हें मंत्री बनाने का फैसला लिया है। इसपर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब सबकुछ तय ही कर लिए हैं तो जाइए मंत्री बन जाइए।

ललन सिंह ने कहा कि आरसीपी सिंह के प्रकरण के बाद जो परिस्थिति बनी है उसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधायक दल की बैठक बुलाई है। बैठक में विधायकों की राय जानी जाएगी।

इससे पहले रविवार शाम को आरसीपी सिंह के इस्तीफे पर ललन सिंह ने कहा कि ‘हो सकता है कि उन्होंने कल ही जेडीयू से इस्तीफा दिया हो, पर उन्हें देर-सवेर तो जाना ही था, क्योंकि उनका तन यहां (जेडीयू में) और मन कही और था। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आरसीपी के बारे में कहा, ‘वे सत्ता के साथी रहे हैं न कि संघर्ष के। सत्ता हाथ से निकल गयी ऐसे में उनकी बौखलाहट स्वभाविक है।’

उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को कम सीट आने की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी के 43 सीट जीतने के पीछे जनाधार का कम होना नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के खिलाफ रची गई साजिश थी, जिसको लेकर हमलोग अब सर्तक हैं। अपनी पार्टी के पूर्ववर्ती राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी को ललन ने सलाह दी कि वे नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी में उलझे बिना स्वेछा से जहां भी जाना चाहते हैं, वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जदयू के मालिक हैं। आरसीपी या मेरे जैसे लोग उनके आशीर्वाद के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुने जाते हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हम सिर्फ केयरटेकर हैं। ललन ने एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया, ‘हमारी पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद वर्ष 2019 में ही केंद्र में सरकार में शामिल नहीं होने का फैसला किया था, हम अब भी उस पर कायम हैं।’

ललन ने कहा, ‘केंद्र सरकार में शामिल नहीं होने का फैसला हमारे नेता नीतीश कुमार, जो उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे, ने सभी से राय-मश्विरा करके लिया था।’ 2021 में आरसीपी, जो उस समय जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, के केंद्रीय मंत्री बनने के बारे में पूछे जाने पर ललन ने कहा कि इस बारे में निर्णय लेने के समय उन्होंने किसी से भी सलाह नहीं ली थी।

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