नई दिल्ली
‘रेवड़ी कल्चर’ को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर मुद्दा माना है। गुरुवार सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि चुनावी मौसम के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से मुफ्त उपहार का वादा ‘एक गंभीर मुद्दा’ है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें इलेक्शन के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त सौगात का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिका में चुनावी घोषणापत्र और उसमें किए गए वादों के लिए राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने के लिए कहा गया है।
चीफ जस्टिस एनवी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि चुनाव के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने का विचार अलोकतांत्रिक है। पीठ की ओर से चीफ जस्टिस ने कहा कि मैं किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने के विषय में नहीं जाना चाहता क्योंकि यह एक अलोकतांत्रिक विचार है, आखिरकार हमारे यहां लोकतंत्र है।
उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन वह इस संबंध में वैधानिक स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर भी विधायी क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि कोई नहीं कहता कि यह कोई मुद्दा नहीं है। यह एक गंभीर मुद्दा है। कुछ लोग जिन्हें यह मिल रहा है वह चाहते हैं कि मिलता रहे क्योंकि हमारा कल्याणकारी राज्य है। वहीं कुछ कह सकते हैं कि वे टैक्स का भुगतान कर रहे हैं और इसका उपयोग विकास के लिए किया जाना है। तो यह एक गंभीर मुद्दा है।
दोनों के बीच संतुलन कायम करना होगा और इसीलिए यह बहस का विषय है। कोई एक तो ऐसा होना चाहिए जो अपनी दृष्टि और विचार सामने रख सके। कृपया मेरे रिटायरमेंट से से पहले कुछ सुझाव सौंपे। प्रधान न्यायाधीश 26 अगस्त को रियायर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों की ओर से कुछ सुझाव दिए गए हैं। उन्होंने शेष पक्षों से उनके रिटायरमेंट से पहले आवश्यक कदम उठाने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की।
आम आदमी पार्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त के रेवड़ी कल्चर में अंतर है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अर्थव्यवस्था को धनराशि और लोगों के कल्याण के बीच संतुलन रखना होगा। आम आदमी पार्टी (आप) ने याचिका का विरोध किया और कहा कि योग्य और वंचित जनता के सामाजिक आर्थिक कल्याण के लिए योजनाओं को मुफ्त के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता है। पार्टी ने याचिकाकर्ता पर भी आरोप लगाया – जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता के भाजपा से मजबूत संबंध हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों वोट के लिए सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध कराने की राजनीति की तीखी आलोचना की। पीएम मोदी ने कहा कि यह रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है। विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है खासकर आम आदमी पार्टी ने। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिना किसी का नाम लिए आरोप लगाया कि दोस्तों का हजारों करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने वाले और दोस्तों के लिए विदेशी दौरों से हजारों करोड़ रुपये का ठेका दिलाने वाले रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा दे रहे हैं।