नई दिल्ली, पटना
बिहार में नीतीश कुमार के द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अपनी राह जुदा करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार को दिल्ली में एक बड़ी बैठक की। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भगवा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के साथ काफी देर तक आगे की रणनीति के लिए विचार-विमर्श किया। इस दौरान आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक खाका भी खींचा गया।
राष्ट्रीय कार्यालय में हुई इस बैठक में बीजेपी के नेताओं ने लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर बिहार में संगठनात्मक परिवर्तन करने का फैसला किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बात की पुष्टि करते करते हुए कहा कि पटना में हाल ही में हुई सात मोर्चाओं की बैठक से पहले करीब 200 विधानसभाओं में लोगों से बात की गई थी। इस दौरान लोग पीएम नरेंद्र मोदी और उनके काम को लेकर तो खुश थे, लेकिन बीजेपी के स्थानीय नेतृत्व के प्रति निराशा दिखी।
सितंबर तक नया प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी के एक नेता ने कहा कि सितंबर के दूसरे सप्ताह तक बिहार में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। आपको बता दें कि भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल सितंबर महीने के बीच में समाप्त हो रहा है। बीजेपी नेता ने कहा, ‘बैठक का एजेंडा बिहार बीजेपी के नए अध्यक्ष के चुनाव के साथ-साथ विधानसभा और विधान परिषद में विपक्ष के मजबूत नेता का चुनाव था।’
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भी तलाश
बिहार में अब बीजेपी विपक्ष की भूमिका में आ गई है। सरकार को घेरने के लिए भगवा पार्टी बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए एक मजबूत चेहरे की तलाश में है। पार्टी नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए सामाजिक समीकरणों का भी विशेष ध्यान रख रही है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि बिहार में भाजपा को ‘सेकेंड लाइनर’ का टैग नीतीश कुमार के लगातार मुख्यमंत्री में रहने के कारण मिला है।
नीतीश के वोट बैंक पर बीजेपी की नजर
इस बैठक में बीजेपी ने उन सभी समुदायों तक सक्रिय रूप से और आक्रामक रूप से पहुंचने का फैसला किया जिन्हें अब तक इसने कभी छुआ नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, “भाजपा अब तक ईबीसी और गठबंधन के कारण जेडीयू के मुख्य वोट आधार महादलितों के समर्थन के लिए आश्वस्त रही है। अब पार्टी उन तक भी पहुंचने जा रही है।”