नई दिल्ली
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा है कि उनके (केजरीवाल) हस्ताक्षर के बिना ही मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा फाइल उनकी राय और मंजूरी के लिए भेजी जा रही हैं। उप राज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच विभिन्न मुद्दों पर टकराव के बीच यह दावा किया गया है।
‘सभी फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर हों’
सूत्रों के अनुसार, सक्सेना ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विभिन्न प्रस्तावों पर उनकी राय या मंजूरी के लिए उनके पास भेजी जाने वाली सभी फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर हों। इस संबंध में दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। एक सूत्र ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हस्ताक्षर के बगैर उपराज्यपाल की राय, उनके विचार और मंजूरी के लिए फाइल सीएमओ द्वारा भेजी जा रही हैं। इन फाइल पर अक्सर ‘सीएम ने देखा है और मंजूरी दी है’ और ‘सीएम ने देखा है’ जैसी उनके कनिष्ठ अधिकारियों की टिप्पणियां होती हैं।’
दिल्ली कैबिनेट की पूरी कार्यप्रणाली पर सवाल
सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के बिना उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी जा रही फाइल शहर के प्रशासन और शासन के साथ ही ‘अत्यंत संवेदनशील’ मामलों से संबंधित होती हैं। एलजी वीके सक्सेना ने इस महीने के शुरू में ही दिल्ली कैबिनेट की पूरी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। सक्सेना ने सरकार पर निर्धारित सांविधानिक प्रक्रिया का जानबूझकर उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। उपराज्यपाल सचिवालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मसले पर गौर करने को कहा था। साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार नियम, 1993 के निर्धारित वैधानिक प्रावधानों का अक्षरश: पालन कराने के लिए भी कहा था।
प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार
दिल्ली सरकार के सूत्रों की तरफ से कहा गया था कि उपराज्यपाल प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य की तरह व्यवहार कर रहे हैं। वह छोटी-मोटी गलतियों को पकड़कर उस पर सरकार से उलझने की कोशिश करते हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार ने उम्मीद जताई थी कि उपराज्यपाल जनहित के कार्यों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे।