12.1 C
London
Wednesday, October 15, 2025
Homeखेल10 बातें जो साबित करती हैं, टीम इंडिया टी-20 वर्ल्ड कप जीत...

10 बातें जो साबित करती हैं, टीम इंडिया टी-20 वर्ल्ड कप जीत ही नहीं सकती थी!

Published on

नई दिल्ली,

टीम इंडिया का टी-20 वर्ल्ड कप 2022 जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया है. पिछले साल जब भारत हारा था, तब उम्मीद थी कि इस बार तो हम जीत ही जाएंगे. लेकिन कप्तान रोहित शर्मा, कोच राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया का इतना बुरा हश्र हुआ कि हर सपना फिर से टूट गया. पिछले वर्ल्ड कप से लेकर इस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में मिली हार तक का सफर देखें तो इस दौर में कई ऐसी गलतियां हुईं जो यह साबित करती है कि टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीत ही नहीं सकती थी. क्योंकि गलतियां दोहराई जा रही थीं और उनसे कोई सबक नहीं लिया जा रहा था. ऐसे में जब लगातार इतने बड़े ब्लंडर हुए या गलतियों को दोहराया गया तब टीम इंडिया से वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीद की ही नहीं जा सकती थी, इन्हीं गलतियों पर नज़र डालिए…

1. ओपनिंग जोड़ी/पावरप्ले
टी-20 वर्ल्ड कप 2022 में भारत की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी ओपनिंग जोड़ी रही. टीम के कप्तान रोहित शर्मा और उप-कप्तान केएल राहुल की धीमी बल्लेबाजी ने भारत को हर मैच में खराब शुरुआत दिलवाई. टी-20 क्रिकेट में पावरप्ले काफी मायने रखते हैं, ऐसे में टीम इंडिया हर बार इस जगह चूकी. भले ही चार मैच में जीत मिल गई, लेकिन वह कुछ हदतक कमजोर टीमें थीं. लेकिन पावरप्ले तो उन मैच में खराब गए. यानी टीम इंडिया की ओपनिंग जोड़ी सबसे बड़े विलेन में से एक है.

पॉवरप्ले में इंडिया –
• 31-3 (वर्सेज़ पाकिस्तान)
• 32-1 (वर्सेज़ नीदरलैंड्स)
• 33-2 (वर्सेज़ साउथ अफ़्रीका)
• 37-1 (वर्सेज़ बांग्लादेश)
• 46-1 (वर्सेज़ ज़िम्बाब्वे)
• 38-1 (वर्सेज़ इंग्लैण्ड)

2. दिनेश कार्तिक पर अधिक भरोसा और ऋषभ पंत बाहर
टी-20 वर्ल्ड कप से कुछ महीने पहले हुए आईपीएल में दिनेश कार्तिक ने कमाल किया. लगभग हर पारी में उन्होंने अपनी टीम के लिए आखिरी में आकर रन बनाए और फंसे मैच को अपने पक्ष में किया. जब दिनेश कार्तिक रन बना रहे थे, तब हर किसी की मांग थी कि उन्हें वर्ल्ड कप ज़रूर खेलना चाहिए. ऐसा हुआ भी, लेकिन यहां पर ही खेल हो गया. दिनेश कार्तिक पूरी तरह से इस वर्ल्ड कप में आउट ऑफ टच नज़र आए, वर्ल्ड कप में दिनेश कार्तिक के नाम 1, 6, 7 रन रहे. उनकी वजह से ऋषभ पंत को बाहर बैठना पड़ा और अंत में जाकर उनके नाम सिर्फ 2 ही मैच आए, लेकिन ऋषभ पंत वहां पर खुद को साबित नहीं कर पाए. ऋषभ पंत दो मैच में 3, 6 रन बना पाए.

3. चहल का बाहर बैठना/अश्विन को लगातार मौके
टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप की शुरुआत से लेकर अंत तक प्लेइंग-11 का टेम्पलेट सेट कर लिया था और मानो उसी के इर्द-गिर्द ही पूरा टूर्नामेंट निकाल दिया गया. जैसे रविचंद्रन अश्विन को हर मैच में मौका देना, इसमें गलत कुछ नहीं रहा कि लेकिन हर मैदान और हर दूसरी टीम के लिए लेग स्पिनर बेहतर साबित हो रहा था. लेकिन टीम इंडिया ने युजवेंद्र चहल को मौका नहीं दिया. जबकि एक्सपर्ट्स ने भी कहा है कि कम से कम नीदरलैंड्स या जिम्बाब्वे के खिलाफ उन्हें चांस दिया जा सकता था ताकि रिदम चेक की जा सके.

4. बॉलिंग कॉम्बिनेशन
टीम इंडिया के लिए सही बॉलिंग कॉम्बिनेशन ढूंढना मुश्किल हो गया. मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और अर्शदीप सिंह के भरोसे ही टीम चलती रही. जबकि मोहम्मद शमी ने पिछले एक साल में कोई भी टी-20 मैच नहीं खेला था, एक साल में अलग-अलग खिलाड़ियों को मौका दिया गया लेकिन वर्ल्ड कप से सब बाहर रहे. उमरान मलिक, मोहसिन खान जैसे सितारे जो आईपीएल में चमके और टीम इंडिया तक पहुंचे, तेज़ रफ्तार के बावजूद उनपर भरोसा नहीं जताया गया.

5. रोहित-राहुल की खराब फॉर्म
टीम इंडिया को दो सीनियर खिलाड़ियों की खराब फॉर्म और धीमी बल्लेबाजी ने टीम इंडिया का सबसे बुरा बेड़ागरक किया. रोहित शर्मा शायद अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं, केएल राहुल का हाल तो काफी ही बुरा रहा है. कप्तान रोहित शर्मा 6 मैच में सिर्फ 116 रन बना पाए, जबकि केएल राहुल सिर्फ 128 ही रन बना पाए. रोहित शर्मा के नाम 1 अर्धशतक, केएल राहुल के नाम 2 अर्धशतक रहे. टीम इंडिया के लिए शुरुआत कितनी बुरी रही, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दोनों ही बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट 120 से नीचे है.

6. लगातार हुए प्रयोग
भारतीय टीम की कमान जब से राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा के हाथ में आई, उसके बाद से टीम इंडिया सिर्फ प्रयोग करने के मोड में ही दिखाई दी. आधा दर्जन से ज्यादा कप्तान मिले, अलग-अलग सीरीज़ में अलग लीडर, अलग प्लेयर और किसी सीरीज़ में तो कोच भी अलग थे. ऐसे में यह प्रयोग ही भारी पड़ गए, क्योंकि जबतक वर्ल्डकप की बारी आई और जो खिलाड़ी उसमें चुने गए वह पूरे साल में काफी सीरीज़ या मैच का हिस्सा तो थे ही नहीं, शायद यही कन्फ्यूज़न भारतीय टीम पर भारी पड़ गया.

7. बुमराह और जडेजा का ना होना
टीम इंडिया के लिए वर्ल्ड कप की शुरुआत ही खराब हुई थी क्योंकि टूर्नामेंट से पहले चोट की वजह से जसप्रीत बुमराह और रवींद्र जडेजा बाहर हो गए. बुमराह टीम के लीड पेस बॉलर हैं, तो जडेजा का ऑलराउंड प्रदर्शन हर कोई जानता है. यही कारण है कि टीम इसके बाद कॉम्बिनेशन बैठाने में ही लगी रही, जडेजा की जगह अक्षर पटेल आए जिन्होंने विकेट तो लिए लेकिन बल्ले से काम नहीं कर पाए. बुमराह की जगह मोहम्मद शमी आए, जिन्होंने एक साल से कोई टी-20 इंटरनेशनल ही नहीं खेला था.

8. प्लेइंग-11 में बदलाव ना करने की जिद
सुनील गावस्कर हो या फिर मदनलाल या कीर्ति आजाद, कई एक्सपर्ट ने यही बार-बार दोहराया है कि टीम इंडिया एक माइंडसेट के हिसाब से चल रही थी. मैच, कंडीशन और टीम के हिसाब से बदलाव नहीं किए गए, यही वजह रही कि प्लेइंग-11 में बदलाव नहीं हुए. अगर हुए तो वह काफी देरी से हुए जबतक उनके मायने बचे नहीं थे. केएल राहुल को खराब फॉर्म के बीच ढोए जाना, ऋषभ पंत और युजवेंद्र चहल का बाहर बैठना किसी के भी गले से नहीं उतर रहा है.

9. टी-20 खेलने का पुराना तरीका
जिस देश ने दुनिया को इंडियन प्रीमियर लीग यानी टी-20 क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट दिया, वही अब टी-20 क्रिकेट नहीं खेल पा रही है. धीमी बल्लेबाजी, सीनियर प्लेयर से भरे हुई टीम, गेम में बदलाव करने का डर, ऐसी कई चीज़ें हैं जो बताती हैं कि टीम इंडिया को अपने टी-20 खेलने के तरीके को बदलना ही होगा. जैसे इंग्लैंड ने बदला है, जैसे अब ऑस्ट्रेलिया भी बदल रहा है. वरना टीम का हाल न्यूजीलैंड या साउथ अफ्रीका की तरह होगा, जो बड़े टूर्नामेंट में अंत में जाकर हमेशा ‘चोक’ कर जाती है.

10. राहुल द्रविड़ की डिफेंसिव सोच
भारतीय टीम के कोच राहुल द्रविड़ को मिस्टर कूल, द वॉल समेत कई नामों से जाना जाता है. उनके खेल की तरह अब कोचिंग में भी आक्रामकता की कमी नज़र आ रही है, या टीम इंडिया का माहौल बदलने में कुछ वक्त लग रहा है. पिछले 6 साल तक कोचिंग की कमान रवि शास्त्री के हाथ में थी, कप्तान विराट कोहली थे. जहां दोनों ही आक्रामकता को बढ़ावा देते थे, जीत के लिए किसी भी हदतक जाते थे फिर चाहे वहां पर हार मिल जाए. लेकिन अब चीज़ें बदलती दिख रही हैं, राहुल द्रविड़ की टीम इंडिया कई बदलाव कर रही है. लेकिन अभी तक इनका कोई पॉजिटिव रिजल्ट नहीं मिल रहा है.

 

Latest articles

राज्यमंत्री श्रीमती कृष्णा गौर ने विभागीय एवं विकास कार्यों की समीक्षा कीदेश के सर्वश्रेष्ठ कोचिंग संस्थान देंगे पिछड़ा वर्ग के छात्रों को कोचिंगपिछड़ा वर्ग...

पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण तथा विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतु कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)...

आगा क्लब के सदस्यों को स्मृति चिन्ह वितरण किए गए।

आगा क्लब बीएचईएल भोपाल ने अपने नियमित सतत् रूप से जुड़े समस्त सदस्यों को...

More like this

IPL 2026 में नहीं खेलेंगे ‘किंग’ कोहली? RCB से कॉन्ट्रैक्ट ठुकराने की अफवाहों पर आकाश चोपड़ा ने तोड़ी चुप्पी!

IPL 2026: टीम इंडिया के दिग्गज खिलाड़ी विराट कोहली लंबे समय से क्रिकेट के...

IND vs WI: शुभमन गिल ने रचा इतिहास रोहित शर्मा और सौरव गांगुली को पछाड़कर बनाया खास रिकॉर्ड, बने सबसे तेज़ कप्तान

IND vs WI: वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट मुकाबले के दूसरे दिन, भारतीय क्रिकेट...