बीजिंग
चीन ने भारत से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब नई मिलिट्री पोस्ट तैयार कर ली है। अमेरिकी मैगजीन पॉलिटिको ने कुछ नई सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से यह बात कही है। माना जा रहा है कि यह नया कदम चीन की उस मंशा को दर्शाता है जिसके तहत वह लंबे समय तक टकराव जारी रखने का मन बना चुका है। भारत और चीन के बीच मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में टकराव शुरू हुआ था। उस साल जून में यह टकराव एक नए स्तर पर पहुंच गया जब गलवान घाटी में भारतीय सेना और पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों के बीच हिंसा हुई। उस घटना में भारत के 20 सैनिक मारे गए थे। दोनों देशों के बीच कई राउंड वार्ता हो चुकी है। जुलाई में 16वें दौर की कमांडर लेवल वार्ता में चीन ने वादा किया था कि उसकी सेनाएं पीछे हटेंगी लेकिन यह नया घटनाक्रम परेशान करने वाला है।
नजर आए चीनी सैनिक
चाइना पावर प्रोजेक्ट के तहत आने वाले सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) की तरफ से आई इन तस्वीों को नैटसेक डेली के साथ शेयर किया गया है। इन तस्वीरों से साफ पता लगता है कि पीएलए ने पैंगोंग झील पर हेडक्वार्ट्स और एक मिलिट्री पोस्ट तैयार की है जहां पर कुछ सैनिक देखे जाते हैं। पैंगोंग झील, पूर्वी लद्दाख का वह हिस्सा है जो चीन और भारत के बीच बंटा हुआ है। सीएसआईएस की मानें तो हिमालय क्षेत्र में इस हेडक्वार्टर पर सेना की एक डिविजन आ सकती है। जिस तरह से यहां पर गतिविधियां हो रही हैं और इसका जो आकार है, उसके बाद तो यह आसानी से कहा जा सकता है। माना जा रहा है कि यह नया ढांचा किसी फॉरवर्ड कमांड पोस्ट के तौर पर है। साफ है कि चीन इस क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को आसान बनाने के मकसद से आगे बढ़ रहा है।
लंबे समय तक टिकने का प्लान!
भारत और चीन के बीच साल 1962 में पहली बार जंग हुई थी। एलएसी दोनों देशों के बीच लंबे समय से एक विवादित क्षेत्र बना हुआ है। चीन ने कभी यह नहीं कहा है कि वह एलएसी से अपने सारे सैनिकों को वापस बुलाएगा। बजाय पीछे हटने के अब चीन एलएसी पर आक्रामक होता जा रहा है। चीन मामलों के विशेषज्ञ और सुरक्षा मामलों के जानकार टेलर फ्रॉवेल ने मैगजीन को बताया कि ऐसा लगता है कि चीन अपनी कोशिशों को आगे बढ़ाता रहेगा। वह एलएसी के पूर्वी हिस्से में लगातार ढांचे में सुधार कर रहा है। कई और लोकेशंस पर ऐसे हथियार देखे जा सकते हैं जो चीन की मंशा को बताने के लिए काफी हैं। उनकी मानें तो चीन इस क्षेत्र में लंबे समय तक टिकने की योजना बना चुका है।
बनाया अस्थायी कैंप
सीएसआईएस के विशेषज्ञों ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि मई 2020 से ही चीन ने इस जगह पर एक अस्थायी कैंप बनाया हुआ है। इसके बाद वह यहां पर और स्थायी सुविधाओं का निर्माण करने में लग गया है। चार अक्टूबर को आई सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर कहा जा सकता है कि चीन ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है। ये तस्वीरें मैक्सआर टेक्नोलॉजीज की तरफ से रिलीज की गई थीं। कुछ बिल्डिंग्स के आसपास गड्ढे हैं और उपकरण नजर आ रहे हैं। साथ ही यहां पर हथियारों को रखने की भी जगह है।
क्या है चीन का मकसद
मिलिट्री आउटपोस्ट से भी साफ पता लगता है कि चीन हथियारों से लैस सैनिकों की एक पूरी कंपनी को यहां पर रख सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इससे साबित होता है कि आने वाले समय में भारत के साथ संघर्ष या टकराव होने की आशंका बनी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन को मालूम है कि अगर उसे शिनजियांग और तिब्बत में नियंत्रण रखना है तो फिर इस क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी काफी जरूरी है। यहां पर चीनी मिलिट्री के होने से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आतंरिक और बाहरी हालातों को नियंत्रित कर सकते हैं।