काबुल
भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा तालिबान आतंकवादी संगठनों को सुरक्षित पनाहगाह भी मुहैया करवा रहा है। इनमें जम्मू-कश्मीर में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन भी शामिल है। यह खुलासा अफगानिस्तान के पूर्व खुफिया प्रमुख रहमतुल्लाह नबील ने किया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान के साथ इंगेजमेंट के बावजूद भारत को अपनी सुरक्षा कम नहीं करनी चाहिए। नबील ने बताया कि भारत को भले ही तालिबान के साथ संबंध स्थापित कर अच्छा किया लेकिन अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए। तालिबान शासन में अफगान सरजमीं दुनियाभर के आतंकी संगठनों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गई है।
तालिबान से बात करे भारत, लेकिन हमें भी याद रखे
द हिंदू को दिए इंटरव्यू में रहमतुल्लाह नबील ने कहा कि भारत के स्वयं के हित में तालिबान के साथ बातचीत आवश्यक थी। इसके बावजूद भारत सरकार को अफगानिस्तान के पूर्व नेताओं के साथ भी चैनल खुले रखने चाहिए, भले ही वे अब सत्ता से बाहर हैं। नबील ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अशरफ गनी दोनों के अधीन राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (NDS) के डायरेक्टर के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2010 से 2015 के अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ संबंधों को मजबूत बनाने में काफी सहयोग किया।
भारत ने मुझे वीजा देने से किया था इनकार
अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ तालिबान विरोधी अफगान नेताओं के एक सम्मेलन के मौके पर रहमतुल्लाह नबील ने कहा कि अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि हमें अन्य देशों को लेकर कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि हमें उनसे कोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन, हमें अपने दोस्तों से शिकायत है। 15 अगस्त 2021 के बाद, यहां तक कि जो भारत के दोस्त थे और जिनके पास राजनयिक पास और वीजा थे, उन्हें रद्द कर दिया गया।
तालिबान के निशाने पर रहे हैं नबील
नबील ने कहा कि मैंने गनी सरकार के पतन के बाद नई दिल्ली में भारत के पूर्व वार्ताकारों को फोन किया और मां और परिवार के लिए भारत में प्रवेश का अनुरोध किया। उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि वह सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण जारी किए गए सभी वीजा रद्द कर रही है और इसके स्थान पर एक विशेष आपातकालीन ई-वीजा (ईएम-एक्स-विविध ई-वीजा) प्रक्रिया की घोषणा की थी। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल प्राप्त हुए हजारों आवेदनों में से केवल 300 से कम अफगानों को ई-वीजा जारी किया गया है, जिनमें ज्यादातर हिंदू और सिख हैं। नबील अफगानिस्तान के उन पूर्व अधिकारियों और मंत्रियों में से हैं, जो भारत के साथ अपने संबंधों के कारण तालिबान के निशाने पर रहे हैं।