वाराणसी
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान पर ऐसा बयान दिया है, जिस पर चर्चा का बाजार गरमा गया है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने पाकिस्तान को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि उनकी और हमारी क्या तुलना करते हैं। वह दिन बीत गए जब दोनों देशों को समान रूप से देखा जाता था। विदेश मंत्री का बयान पाकिस्तान को किसी भी स्थिति में रास नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति वैश्विक परिदृश्य में लगातार बदल रही है। भारत की विदेश नीति तमाम देशों के साथ अलग-अलग मोर्चों पर अलग-अलग समय में भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए तय की जा रही है। इसका परिणाम यह है कि भारत की सोच के प्रति विश्व का नजरिया बदला है। पाकिस्तान का भी। पहले की दुनिया अलग थी, जब भारत और पाकिस्तान को एक समान नजरिए से देखा जाता था। अब वैश्विक परिदृश्य में ऐसा कोई नहीं करता है, यहां तक कि पाकिस्तानी भी अब भारत और पाकिस्तान को एक समान रूप से अब नहीं देखते हैं। एस जयशंकर के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में ‘बदलती विश्व व्यवस्था में भारत का उदय’ विषय पर एस जयशंकर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हो रहे तमाम घटनाक्रम अब आपके जीवन को सीधे प्रभावित कर रहे हैं। इसके आपको पूरी तरह से सजग होना। आप खुद को वैश्विक स्तर की घटनाओं से आइसोलेट करके रख नहीं सकते हैं। जी-20 देशों की अध्यक्षता भारत को मिलने और वाराणसी में इससे संबंधित कार्यक्रमों के बारे में बीएचयू के छात्रों के बीच बात करने पहुंचे डॉ जयशंकर ने कहा कि वैश्विक बदलावों के बारे में विद्यार्थियों को जानने और उससे जुड़ने की जरूरत है। आज से 50 साल बाद भारत को आप कहां देखते हैं? इसके लिए इसी पीढ़ी को रोड मैप तैयार करना होगा। वर्तमान स्थिति में हमारी जिम्मेदारी है कि आपको उस लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए तैयार कर लें। आपको उसके लिए पूरी तरह से तैयार करना होगा। सोचना होगा। खुद पर भरोसा करना होगा।
डॉ जयशंकर ने कहा कि विश्व व्यवस्था बहुत तेजी से बदल रही है। बदलती विश्व व्यवस्था में आप खुद को अलग-थलग करके नहीं रख सकते हैं। चुनौतियां आपके दरवाजे तक पहुंच रही हैं। कोविड-19 का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हजारों मील दूर की घटनाएं भी अब आपके जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित कर रही हैं। आपको घरों में कैद होने को मजबूर कर रही हैं। यूक्रेन विवाद को भी आप देख सकते हैं। इसने भी लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। चीजों के दाम बढ़े हैं। कई देशों को आर्थिक तौर पर काफी क्षति पहुंची है। हम लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन असर तो पड़ा ही है। खाद्यान्न से लेकर खाद की किल्लत लोगों को झेलनी पड़ रही है। तेल की कीमतें बढ़ी हैं। साफ है कि विश्व और आप अब सीधे सीधे कनेक्ट हो रहे हैं। इसलिए वैश्विक घटनाक्रमों के बारे में आपको अपने नजरिए में बदलाव करना होगा। खुद को उन घटनाक्रमों से कनेक्ट कर बदलावों के लिए तैयार करना होगा।
बदल रही है लोगों की सोच
एस जयशंकर ने कहा कि पहले वैश्विक परिस्थितियां अलग थी। लोगों की सोच अलग थी। उस समय दुनिया भारत और पाकिस्तान को एक समान रूप से देखती थी। आज की परिस्थिति में बड़ा बदलाव आया है। वर्तमान समय में कोई भी देश ऐसा नहीं करता। भारत और पाकिस्तान को समान रूप से तो अब पाकिस्तानी भी नहीं देखते हैं। डॉ. जयशंकर ने कहा कि कोरोना के वैश्विक प्रसार के दौरान भारत ने न केवल अपनी आबादी को सुरक्षित किया, बल्कि दुनियाभर के देशों में टीके भेजे। वर्ल्ड लीडरशिप का यह सबसे बड़ा उदाहरण है। हमने वैश्विक स्तर पर कई मुद्दों पर विमर्श को आकार देना शुरू किया है। आने वाले दिनों में दुनिया भर के वैश्विक सवालों को सुलझाने में भी हमारी विदेश नीति कारगर साबित होगी। हमने वैश्विक स्तर पर अपने रुख को लचीला बनाया है। इससे हमें मुद्दों को हल करने वाले देश के रूप में पहचान मिली है।
सार्क हो गया है अप्रभावी
डॉ जयशंकर ने कहा कि भारत क्षेत्रीय रूप से अधिक प्रभावशाली बना है। दुनिया भर में भारत को मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि सार्क अब सक्रिय नहीं है। कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका एक सदस्य मानता है कि पड़ोसी के साथ संबंध सीमा पार आतंकवाद के साथ चल सकता है, लेकिन हम ऐसा नहीं मानते। आतंकवाद और संबंध दोनों साथ-साथ नहीं चल सकता है। सार्क में ऐसा देश है, जिन्होंने हमारी समस्या पर कभी अपना रुख साफ नहीं किया, लेकिन वह अपनी समस्या पर हमारा रुख जानने की कोशिश करते रहते हैं। वैश्विक स्तर पर वेस्टर्न देशों के प्रभाव घटने का दावा करते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा कि हमें स्वतंत्र शक्ति के रूप में खुद को स्थापित करने की जरूरत है। दुनिया उस देश का सम्मान करती है जो अपने लिए खड़ा होता है।
नॉलेज पर विदेश मंत्री का जोर
एस जयशंकर ने कहा कि 21वीं सदी में डेटा, तकनीक और विचारों की ताकत से ही दुनिया पर राज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत बड़ी शक्ति बन सकती है, लेकिन बिना नॉलेज के पावर हाउस बने रहना संभव नहीं है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय अपने विशाल नॉलेज नेटवर्क और ह्यूमन रिसोर्ट के साथ इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। काशी सभ्यता, ज्ञान और विमर्श की नगरी रही है। मूल्यों को इस विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इसलिए, उम्मीद भी यहां से अधिक है। इससे पहले एम्फी थियेटर में आयोजित काशी तमिल संगमम में लगे हुए प्रदर्शनी को देखा। यूपी और तमिलनाडु के बीच एक दोस्ताना बास्केटबॉल मैच का उद्घाटन भी किया।