वाराणसी,
एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में जब भारी-भरकम खामी मिलेगी तो बाकी शिक्षण संस्थानों के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 102वें दीक्षांत समारोह के दौरान ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब एक ही डमी डिग्री के साथ छात्र-छात्राओं का फोटो सेशन चलता रहा. वीडियो वायरल होने पर और बीएचयू की किरकिरी होने के बाद इस मामले में फोटो सेशन में डिग्री देने वाले कला संकाय के डीन ने सफाई दी.
डीन ने कहा कि डिग्रियां तैयार ही नहीं हो पाई थी. जिसकी वजह से ऐसा करना पड़ा. जहां एक और देश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 आ चुकी है तो वहीं दूसरी ओर देश के जाने-माने शिक्षण संस्थानों में ऐसी कमियां भी सामने आ रही हैं, जिससे उच्च शिक्षण संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है.
एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय यानी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में कला संकाय से डिग्री पूरी करने वाले छात्र-छात्राओं को उसी कला संकाय के डीन प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह डमी डिग्री देते हुए नजर आ रहे हैं.
यहां पर सारे डिग्री धारकों को अलग-अलग डिग्री नहीं, बल्कि एक ही डिग्री के साथ फोटो सेशन चल रहा है. एक छात्र आता है वह डिग्री के साथ फोटो खींची जाती है और आगे बढ़ जाता है, इसी तरह यह सिलसिला काफी देर तक चलता रहता है.
इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कला संकाय के उसी डीन यानी विजय विजय बहादुर सिंह से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने सफाई दी कि परीक्षा नियंत्रक के यहां कुछ लड़कों की डिग्रियां बन नहीं पाई थीं. जिसकी वजह से ऐसा करना पड़ा. ऐसे छात्र बाद में आकर अपनी डिग्री ले लेंगे.
यह आलम तब है जब कोरोना महामारी की वजह से बीएचयू में पूरे 3 साल दीक्षांत समारोह नहीं हुआ था और डिग्रियां भी नहीं बटीं. अब 3 साल के बाद जाकर सभी छात्रों को एक साथ 37000 से ज्यादा उपाधियां 102वें दीक्षांत समारोह में बांटी गई. इतना ही नहीं दीक्षांत समारोह में छात्र छात्राओं को साफा भी नहीं मिल पाया था. जिसकी वजह से जमकर विरोध प्रदर्शन भी हुआ था.