28.5 C
London
Tuesday, July 1, 2025
Homeअंतराष्ट्रीयतवांग ही नहीं पूरे अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है चीन, साल...

तवांग ही नहीं पूरे अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है चीन, साल 2006 में ही कर दिया था नापाक इरादे का

Published on

बीजिंग

चीन और भारत के बीच 3440 किलोमीटर की विवादित वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है। इसी एलएसी पर है अरुणाचल प्रदेश जो कि भारत के उत्‍तर-पूर्व में आता है। कई नदियों, झीलों और बर्फ के पहाड़ों से ढंके अरुणाचल प्रदेश के दोनों तरफ सेनाओं का जमावड़ा रहता है। दोनों देशों की सेनाएं दुनिया की टॉप पांच सेनाओं का हिस्‍सा हैं और इतनी भारी तैनाती अक्‍सर इस हिस्‍से को खबरों में बनाए रखती है। पिछले दिनों चीन ने फिर से अरुणाचल के तवांग में गुस्‍ताखी की जब पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के सैनिक भारतीय सेना के सैनिकों से भिड़ गए। जून 2020 में हुई गलवान घाटी घटना से 45 साल पहले अरुणाचल प्रदेश में ही दोनों देशों के सैनिक आखिरी बार भिड़े थे। चीन को यह हरगिज बर्दाशत नहीं है कि भारत, अरुणाचल को अपना हिस्‍सा बताए। इसी वजह से साल 2006 में उसने इसे चीनी राज्‍य करार दे डाला था।

चीन के बयान से मचा था बवाल
नवंबर 2006 में चीन के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति हू जिंताओ भारत के दौरे पर आने वाले थे। उनके इस दौरे से ठीक एक हफ्ते पहले चीनी राजदूत सन युक्सी ने अरुणाचल प्रदेश पर दावा ठोंक दिया। युक्‍सी ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश, चीन की सीमा में आता है। उनके शब्‍दों में, ‘हमारी स्थिति यह है कि पूरा अरुणाचल प्रदेश चीनी सीमा में हैं और तवांग इसका एक हिस्‍सा है। हम इस पूरे हिस्‍से पर दावा करते हैं। यही हमारी आधिकारिक स्थिति है।’

जिंताओ 20 से 23 नवंबर 2006 तक भारत के दौरे पर आने वाले थे। उनके इस दौरे को चीन-भारत के रिश्‍तों में एक महत्‍वपूण पल करार दिया गया। लेकिन राजदूत के बयान ने भारत की टेंशन बढ़ा दी थी। सन युक्‍सी ने यह बात एक भारतीय चैनल को दिए इंटरव्‍यू में कही थी। उनसे सवाल किया गया था कि क्‍या चीन चाहता है कि भारत, परमाणु हथियारों को छोड़ दे।

स्थिरता का दावा
युक्‍सी ने आगे कहा, ‘दुर्भाग्‍य से दुनिया में पांच परमाणु महाशक्तियां हैं। इस संख्‍या को कम होना चाहिए। हम खुश होंगे अगर हम अपने परमाणु हथियारों को छोड़ सकें तो और हम उस अंतरराष्‍ट्रीय समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं जो इन हथियारों को त्‍यागने में मदद करेगा।’ युक्‍सी ने यह भी कहा कि इस बात में कोई सच्‍चाई नहीं है कि चीन भारत को रोकने की कोशिशें कर रहा है। साथ ही यह उसकी विदेश नीति रही है कि क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाए।

हमेशा से है बुरी नजर
भारत से जब सन् 1947 में अंग्रेजों का राज खत्‍म हुआ तो चीन ने बुरी नजरें अरुणाचल प्रदेश पर टिका दीं। चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्‍बत का हिस्‍सा बताता है। इतिहास में कहीं दर्ज नहीं है कि अरुणाचल कभी चीन या तिब्‍बत का हिस्‍सा रहा है। बावजूद इसके चीन हमेशा से अपने और भारत के बीच अरुणाचल प्रदेश को तनाव का मसला बनाता आया है। सन् 1952 में जब बांडुंग सम्‍मेलन हुआ तो पंचशील सिद्धांतों पर चीन राजी हुआ। लेकिन सन् 1961 से ही चीन, अरुणाचल प्रदेश पर आक्रामक बना हुआ है। यही वजह है कि जब कभी भी भारत सरकार का कोई प्रतिनिधि या फिर विदेशी सरकार का कोई मेहमान अरुणाचल प्रदेश जाता है तो चीन को मिर्ची लग जाती है।

Latest articles

लापरवाह अधिकारियों पर होगी सख्त कार्यवाई: राज्यमंत्री श्रीमती गौर

भेल भोपाललापरवाह अधिकारियों पर होगी सख्त कार्यवाई: राज्यमंत्री श्रीमती गौर,पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण...

MP Guest Teachers Bharti:मध्य प्रदेश में गेस्ट टीचर्स की बंपर भर्ती 70 हज़ार पदों पर ऑनलाइन आवेदन 30 जून से शुरू

MP Guest Teachers Bharti: मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया...

More like this

Adani Green Energy Plant: 15000 मेगावाट ऑपरेशनल क्षमता पार करने वाली भारत की पहली कंपनी बनी

Adani Green Energy Plant: भारत की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी अदानी ग्रीन एनर्जी...

Trump Terminates Trade With Canada: सभी व्यापारिक संबंध तुरंत ख़त्म डिजिटल सर्विस टैक्स बना वजह

Trump Terminates Trade With Canada: सभी व्यापारिक संबंध तुरंत ख़त्म डिजिटल सर्विस टैक्स बना...

इज़राइल-ईरान युद्ध ख़त्म ट्रंप की चेतावनी परमाणु हथियार बनाए तो अंजाम होगा बुरा

इज़राइल-ईरान युद्ध ख़त्म ट्रंप की चेतावनी परमाणु हथियार बनाए तो अंजाम होगा बुरा,पिछले 12...