29.5 C
London
Friday, July 11, 2025
Homeराष्ट्रीयनीतीश की सियासत को चुनौती देगी ‘जहरीली शराब’? गुजरात को छोड़कर कहीं...

नीतीश की सियासत को चुनौती देगी ‘जहरीली शराब’? गुजरात को छोड़कर कहीं नहीं टिकी शराबबंदी

Published on

नई दिल्ली

क्या शराबबंदी को नीतीश कुमार ने अपना सियासी इगो बना लिया है? क्या जहरीली शराब से हुई कई मौतों ने शराबबंदी की कलई खोल दी? अपने ही राज्य में विरोध होने के बावजूद नीतीश कुमार शराबबंदी पर किसी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं दिखते हैं? क्या तेजस्वी को ताकत सौंपने का संकेत देने का बाद आगे किसी तरह के बदलाव की भी जिम्मेदारी उन पर ही छोड़ देंगे? यह तमाम सवाल तब उठे जब राज्य में एक बार फिर शराबबंदी पर राजनीति तेज हुई और फिर से नीतीश कुमार सवालों के घेरे में है।

क्यों हैं नीतीश की साख दांव पर?
इस बार छपरा में नकली शराब से हुई 70 से ज्यादा मौत के बाद सबसे तीखी आलोचना हो रही है। हाल के दिनों में यह सबसे बड़ा हादसा है। लेकिन हादसे के बाद जिस तरह नीतीश कुमार ने इस पूरे मामले को हैंडल किया, उससे उनके खिलाफ आलोचना और तेज हुई। विधानसभा में जब BJP ने सवाल उठाया तो नीतीश कुमार अपना संयम खो बैठे। फिर विधानसभा के बाहर उनकी ओर से दिए गए बयानों ने उनकी खीज को ही सामने लाया।

दरअसल, नीतीश कुमार भले अभी भी CM हैं लेकिन हाल में उनके सुशासन पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे तमाम संकेत आए जिससे पता लगा कि उनकी लोकप्रियता पहले की तरह नहीं रही। नीतीश के खिलाफ एंटी इनकंबेसी 2020 के विधानसभा चुनाव में भी दिखी जब JDU, RJD-BJP के मुकाबले तीसरे नंबर पर रही। जब से तेजस्वी यादव के साथ मिलकर उन्होंने दोबारा गठबंधन की सरकार बनाई तब से वह फिर अपने खोए जनाधार को जुटाने की कोशिश में लगे हैं। ठीक ऐसे समय में इस घटना ने उनके मिशन को धक्का लगाया।

पहले से रहे हैं कई मसले
यह मुद्दा भी ठीक ऐसे समय आया जब पिछले कुछ महीने में तीन विधानसभा उपचुनाव में दो सीटों पर गठबंधन की हार हो चुकी है। कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में तो नीतीश और तेजस्वी यादव की संयुक्त रैली के बावजूद उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद भी उनके सुशासन पर सवाल उठे। इस बीच नीतीश कुमार के खिलाफ बढ़ती नाराजगी के पीछे शराबबंदी भी बड़ा कारण बना। साथ ही राज्य में ताड़ी पर भी प्रतिबंध लगाने के बाद दलितों के बीच भी नाराजगी बढ़ी।

हालांकि जब 2016 में नीतीश कुमार ने राज्य में शराबबंदी लागू की थी तब इसे उनका मास्टर स्ट्रोक बताया गया। महिलाओं ने इस फैसले का खूब स्वागत किया। शुरू के एक साल तक इसे सख्ती से लागू भी किया गया। लेकिन बाद में शराबबंदी पर गंभीर सवाल उठने लगे। आरोप लगा कि शराबबंदी सिर्फ कागजों पर है और अवैध रूप से शराब का कारोबार पूरे राज्य में पसर गया। इससे न सिर्फ अपराध बढ़े बल्कि लोगों ने इस पर और अधिक खर्च किए। उधर, शराबबंदी से सरकार को बड़ा रेवेन्यू का नुकसान भी हुआ।

तब कानून को लेकर हुआ बवाल
शराबबंदी को लागू करने की दिशा में बिहार सरकार की ओर से पिछले दिनों लाए गए एक और कानून पर बवाल हुआ। इस कानून के मुताबिक अगर कोई अपने घर, गांव या किसी दूसरे परिसर में शराब पीने की अनुमति देता है तो उसके खिलाफ भी मुकदमा हो सकता है और 10 साल तक की जेल संभव है।

अगर घर में शराब मिलती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उसके मालिक की होगी। DM और मुखिया को पूरे गांव पर जुर्माना लगाने का अधिकार मिलेगा। जानकारों के अनुसार, यह बहुत ही सख्त और अव्यावहारिक कानून था जिसका दुरुपयोग हो सकता है। सरकार पर इस कानून को वापस लेने का दबाव बनाया गया और बाद में नीतीश सरकार को इस मोर्चे पर कानून में ढील देनी पड़ी।

क्या तेजस्वी पर छोड़ा फैसला?
शराबबंदी से हो रही किरकिरी से निकलने के लिए नीतीश के पास क्या रास्ता हो सकता है, इसका संकेत भी खुद उन्होंने दे दिया है। नीतीश ने कहा कि 2025 का चुनाव तेजस्वी कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। माना जा रहा है कि 2024 का आम चुनाव नीतीश कुमार लड़ेंगे और तभी राज्य की कमान तेजस्वी यादव को सौंपकर वह दिल्ली कूच कर सकते हैं। इससे वह न सिर्फ एंटी इनकंबेसी को काउंटर कर सकेंगे बल्कि नए नेतृत्व पर शराबबंदी पर फैसला लेने की जिम्मेदारी छोड़ देंगे।

गुजरात छोड़कर कहीं नहीं टिकी शराबबंदी
बिहार से पहले कई राज्यों में भी पूर्ण शराबबंदी की पहल हुई लेकिन गुजरात के अलावा यह किसी राज्य में बरकरार नहीं रह सकी। अभी बिहार के साथ गुजरात, केरल और लक्षद्वीप में पूरी तरह शराबबंदी है। मणिपुर और नागालैंड में आंशिक बंदी है। लेकिन गुजरात अकेला ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा समय से इस बंदी को लागू किया गया। हालांकि इससे पहले आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा जैसे राज्यों ने भी शराबबंदी लागू करने की कोशिश की लेकिन बाद में इस प्रयोग के बहुत अधिक सफल नहीं रहने के बाद इस प्रतिबंध को वापस ले लिया।

Latest articles

High BP Remedies:सावधान हाई BP बना साइलेंट किलर जानें कारण लक्षण और बचने के आसान उपाय

High BP Remedies:आजकल लोगों में हाई बीपी (ब्लड प्रेशर) की समस्या बहुत आम हो...

भेल के कस्तूरबा अस्पताल ने किया एंबुलेंस सेवाओं का विस्तार

भेल, भोपालभेल के कस्तूरबा अस्पताल ने किया एंबुलेंस सेवाओं का विस्तार,भेल उद्योगनगरी से लगी...

More like this

Gold Price Today:आज सोने के दाम में स्थिरता! निवेश का सुनहरा मौका, जानिए आपके शहर में क्या है भाव

सोने की कीमतों में हो रही लगातार उठापटक के बीच, आज सोने के भावों...