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दिल्ली: सदन में चले लात घूसों के पीछे कांग्रेस की चुप्पी महज़ इत्तेफाक है या फिर BJP का चक्रव्यूह!

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नई दिल्ली,

दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव 6 जनवरी को होना था जो हंगामे की भेंट चढ़ गया. आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पार्षदों के बीच नगर निगम में जमकर लात-घूसे चले, एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंकी गईं. दोनों ही दलों की ओर से एक-दूसरे पर अपने पार्षदों के साथ मारपीट के आरोप लगाए गए तो वहीं पूरे सीन से कांग्रेस गायब रही. कांग्रेस ने मेयर चुनाव के लिए वोटिंग से पहले ही वॉकआउट का ऐलान कर दिया था.

आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने बीजेपी की मदद करने के लिए नगर निगम की कार्यवाही से वॉकआउट किया. आम आदमी पार्टी का ये आरोप राजनीतिक माना जा रहा है लेकिन कुछ ऐसी वजहें भी हैं जिनकी वजह से इसे पूरी तरह खारिज करना भी मुश्किल हो रहा है. सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस का नगर निगम से वॉकआउट करना महज इत्तेफाक है या बीजेपी की व्यूह रचना का एक अंग?

ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस की पार्षद नाजिया दानिश को उपराज्यपाल ने वक्फ बोर्ड का सदस्य मनोनित किया है. नाजिया, जाकिर नगर वार्ड से कांग्रेस की पार्षद हैं. यह वार्ड सेंट्रल जोन में आता है. नाजिया को वक्फ बोर्ड का सदस्य मनोनित किए जाने के बाद इसे आधार बनाकर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी पर हमलावर है. कांग्रेस के मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के लिए चुनाव से खुद को अलग करने के ऐलान से भी इसे जोड़ा जाने लगा है. कांग्रेस के चुनाव से दूर हो जाने की वजह से बीजेपी के लिए सेंट्रल जोन से स्टैंडिंग कमेटी में एक सीट पक्की होने लगी.

मेयर चुनाव में लात-घूसे चलने के पीछे एक बड़ा कारण नॉमिनेटेड पार्षदों को वोटिंग का अधिकार दिया जाना भी है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ये आरोप लगाया है कि बीजेपी मेयर चुनाव में नॉमिनेटेड पार्षदों को वोटिंग का अधिकार दे रही थी. अब इसके पीछे आम आदमी पार्टी की संख्याबल पर प्रभाव पड़ने की खीझ थी या कोई और कारण?

मेयर चुनाव बहाना, स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष पर निशाना
मेयर चुनाव में हुए हंगामे को लेकर एक बात ये भी कही जा रही है कि ये तो बस बहाना है. असली निशाना स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन पद पर है. 10 मनोनित पार्षदों को भी वोटिंग के अधिकार ने बीजेपी का गेम प्लान मजबूत कर दिया है. दिलचस्प है कि एलजी की ओर से मनोनीत किए गए 10 पार्षद मे से तीन उसी जोन से हैं, जहां बीजेपी आंकड़ो में कमजोर है. यानी बीजेपी के गेम प्लान के सबसे बड़े मोहरे हैं एल्डरमैन.

बीजेपी ने ऐसे फंसाया गेम
एलजी की ओर से नामित एल्डरमैन नरेला, सिविल साइन ओर मध्य जोन के हैं. स्टैंडिंग कमेटी के जो छह सदस्य चुने जाने हैं, उसके लिए एल्डरमैन भी वोट करेंगे. एल्डरमैन की वोटिंग से इन जोन में बीजेपी मजबूत हो रही है और आम आदमी पार्टी कमजोर. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि स्टैंडिंग कमेटी सदस्य के लिए कुल 18 सदस्यों में से छह सदन से चुने जाएंगे. आम आदमी पार्टी ने इसके लिए चार और बीजेपी ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं.

स्टैंडिंग कमेटी के एक सदस्य के लिए 36 पार्षद के वोट की जरूरत होगी. बीजेपी ने 3 उम्मीदवार उतारे हैं. इस लिहाज से उसे अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत के लिए 108 पार्षदों के वोट चाहिए. बीजेपी के पास कुल 105 पार्षद हैं. यानी तीनों उम्मीदवारों की जीत के लिए तीन और पार्षदों के वोट की जरूरत है. कांग्रेस ने वोटिंग से दूर रहने का ऐलान कर दिया है. बीजेपी की रडार पर दो निर्दलीय पार्षद हैं. एक वोट जुटाने के लिए भी पार्टी एक्टिव है.

वहीं, इस लिहाज से देखें तो 134 पार्षदों वाली आम आदमी पार्टी को अपने चारों उम्मीदवारों की जीत के लिए 10 और पार्षदों का समर्थन चाहिए. पार्टी को बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के नौ पार्षदों से समर्थन की उम्मीद थी लेकिन ये उम्मीद टूटती नजर आ रही है. ऐसे में एक सीट पर पेंच फंस गया है. बीजेपी के तीनों उम्मीदवार अगर जीत जाते हैं तो उसके आम आदमी पार्टी के ही बराबर स्टैंडिंग कमेटी में तीन सदस्य हो जाएंगे. स्टैंडिंग कमेटी के 18 सदस्यों में 9-9 सदस्य दोनों पार्टियों के हुए तो अध्यक्ष चुनाव लॉटरी या सिक्का उछालकर कराने की नौबत आ सकती है.

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