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Tuesday, July 1, 2025
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ओली का डर, नेपाली संसद में प्रचंड को ‘प्रचंड’ बहुमत, अब किसके साथ बनाएंगे सरकार? बड़ा सवाल

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काठमांडू

नेपाली संसद में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने बहुमत साबित कर दिया है। संसद में हुए विश्वास मत में उन्हें कुल 272 वोट मिले हैं। पीपुल्स फ्रंट नेपाल और नेपाल वर्कर्स एंड पीजेंट्स पार्टी को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री दहल के समर्थन में मतदान किया। नेपाल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब तीन सबसे बड़ी पार्टियों ने एक प्रधानमंत्री के प्रति समर्थन दिखाया है। नेपाल में अभी तक किसी प्रधानमंत्री को बहुमत परीक्षण के दौरान इतनी संख्या में वोट भी नहीं मिला है। शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस, केपी शर्मा ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल और प्रचंड की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी- माओवादी ने बाकी कई छोटी पार्टियों के साथ समर्थन में मतदान किया है। इससे पहले नेपाली कांग्रेस के मना करने के बाद प्रचंड ने अपने धुर विरोधी ओली की पार्टी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।

ओली के साथ क्यों गए थे प्रचंड
नेपाल में चुनाव परिणाम आने के बाद से ही पुष्प कमल दहल प्रचंड खुद को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कोशिश कर रहे थे। पिछली सरकार में उन्होंने नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन दिया था। ऐसे में उन्होंने इस बार देउबा से मिलकर खुद के लिए समर्थन मांगा था। नेपाली कांग्रेस के ना-नुकुर और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की दावा पेश करने की डेडलाइन को देखते हुए प्रचंड ने ओली के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। तब ओली की पार्टी ने दावा किया था कि उनमें और ओली में आधे-आधे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद बांटने पर सहमति बनी है। हालांकि, पिछले चुनाव के बाद भी ओली की पार्टी ने प्रचंड के साथ यही वादा किया था।

नेपाली कांग्रेस ने क्यों किया प्रचंड का समर्थन
नेपाली कांग्रेस ने बहुमत परीक्षण से पहले प्रचंड का समर्थन कर पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सबसे बड़ा झटका दिया है। ऐसी आशंका थी कि बहुमत परीक्षण के दौरान ओली चाल चल सकते हैं, जिससे प्रचंड प्रधानमंत्री न बन पाएं। इसके बाद ओली खुद को पीएम पद के लिए पेश करें। तब तक वह कई दूसरी छोटी पार्टियों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन, नेपाली कांग्रेस ने ओली के प्रधानमंत्री बनने के अनुमान पर पानी फेर दिया है।

किसके साथ सरकार बनाएंगे प्रचंड
बहुमत परीक्षण के बाद प्रचंड के सामने बड़ी समस्या भी खड़ी हो गई है। देश की दो शीर्ष पार्टियों ने प्रचंड का समर्थन किया है। ऐसे में उनके पास किसी एक को साथ लेकर सरकार बनाने का दवाब है। नेपाली कांग्रेस ने पहले प्रचंड का समर्थन नहीं किया था। वहीं, ओली ने अपनी पिछली सरकार के दौरान प्रचंड को धोखा दिया था। ओली और देउबा शुरू से ही एक दूसरे के धुर विरोधी हैं। प्रचंड चाहकर भी दोनों पार्टियों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं कर सकते हैं।

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