विदेशों में मोदी पर जान छिड़कने वालों की देश में ऐसी बेइज्जती! आखिर इस अफराफतरी का गुनहगार कौन है?

इंदौर

मध्य प्रदेश के इंदौर में चल रहे 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आज आखिरी दिन है। मंगलवार को विदेश से आए हजारों प्रवासी भारतीय इंदौर से लौट जाएंगे, लेकिन इस आयोजन में एक दिन पहले जो हुआ, उसकी टीस भी अपने साथ ले जाएंगे। बार-बार के बुलावे और लाखों रुपये खर्च कर सम्मेलन में शिरकत करने आए मेहमानों को ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में अंदर तक नहीं घुसने दिया गया। नाराज मेहमानों ने अपना गुस्सा जताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसको लेकर माफी भी मांगी, लेकिन प्रदेश की छवि पर लगे दाग को धोने के लिए यह शायद काफी नहीं है।

क्या हुआ सोमवार को
प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होने के लिए आए। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन को संबोधित किया और विदेशी मेहमानों के लिए हाई पावर लंच भी होस्ट किया। इस दौरान करीब एक हजार लोगों को ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर के बाहर ही रोक दिया गया। उनके पास अंदर जाने के लिए वैलिड पास थी। फिर भी उन्हें एंट्री नहीं दी गई। बाहर रोके गए लोगों में मेहमानों के साथ कुछ मीडियाकर्मी भी शामिल थे।

क्यों हुई ऐसी अव्यवस्था
पहला कारण तो यही था कि जितने लोगों को पास दिए गए थे, उतनी जगह अंदर नहीं थी। बाहर से आए मेहमानों के अलावा मंत्री, अधिकारी, मीडियाकर्मी और पहुंच वाले स्थानीय लोगों को भी पास जारी किए गए थे। जो पहले आए, वे किसी तरह अंदर घुसने में सफल रहे। जब हॉल भर गया, तब बाकी लोगों को बाहर ही रोक दिया गया। दूसरा कारण यह भी था कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के चलते आयोजन स्थल की सुरक्षा व्यवस्था एसपीजी ने संभाल ली थी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन भी लाचार हो गया। बाहर मौजूद लोगों को बड़े एलईडी स्क्रीन पर कार्यक्रम देखने की सलाह दी गई, जिससे उनका गुस्सा और बढ़ गया।

मेहमानों का गुस्सा आया सामने
आयोजकों की व्यवस्था से नाराज मेहमानों ने जमकर अपनी भड़ास निकाली। कई प्रतिनिधिमंडल तो सोमवार को ही वापस चले गए। उनके गुस्से का कारण यह भी है कि वे प्रधानमंत्री मोदी को नहीं देख पाए। प्रधानमंत्री की प्रवासी भारतीयों के बीच जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। वे जब भी विदेश जाते हैं, उन्हें देखने हजारों लोग जमा हो जाते हैं। मेहमानों की नाराजगी के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। वे इसे सीधे-सीधे शिवराज सरकार की विफलता बता रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार यदि कुछ हजार लोगों के लिए इंतजाम नहीं कर सकती, तो इतने बड़े राज्य को कैसे संभाल सकती है।

गलती किसकी
इसमें कोई संदेह नहीं कि यह आयोजकों की गलती है। इतना बड़ा आयोजन, जिसके लिए महीनों पहले से तैयारियां चल रही थीं, में ऐसी गलती की उम्मीद नहीं होती। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद तैयारियों की सुरक्षा के लिए कई मीटिंग्स ले चुके थे। जिम्मेदारों को यह पता होना चाहिए था कि आयोजन स्थल की क्षमता कितनी है। उन्हें इसे ध्यान में रखकर ही पाल जारी करना चाहिए था। यदि लोग ज्यादा थे तो इसके लिए पहले से वैकल्पिक व्यवस्था करनी थी। अधिकारियों को यह भी पता था कि एसपीजी की अपनी व्यवस्था होती है। इसके बावजूद उन्होंने कुछ नहीं किया।

काफी नहीं सीएम की माफी
प्रवासी भारतीयों की नाराजगी की खबर जब मुख्यमंत्री तक पहुंची तो उन्होंने तत्काल माफी मांगी। शिवराज ने कहा कि हॉल छोटा पड़ गया, लेकिन मेहमानों के लिए दिल में जगह की कमी नहीं है। लेकिन इससे नाराजगी कम होती नहीं दिख रही। कार्यक्रम स्थल से मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार को भी लोग इसको लेकर अपना गुस्सा जता रहे हैं। सम्मेलन तो आज खत्म हो जाएगा, लेकिन मध्य प्रदेश की मेहमाननवाजी पर लगे दाग को धोने में शायद वर्षों लग जाएं।

 

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