आरक्षण दो… चुनाव करीब आते ही राज्‍यों में सक्रिय हो गए जातियों के ठेकेदार, सांसत में सरकारें

नई दिल्ली

राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, कर्नाटक समेत कई राज्‍यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावी मौसम करीब आता देख जाति आधारित समूह दबाव बढ़ाने लगे हैं। लंबे वक्‍त से आरक्षण के लिए उठ रहीं आवाजें अब तेज हो उठी हैं। इन जाति समूहों को लगता है कि चुनाव ही सही वक्‍त है जब सरकार से वोटों के बदले अपनी मांगें मनवाई जा सकती हैं। एमपी का उदाहरण लीजिए। 8 जनवरी को राजपूत समुदाय से जुड़े संगठन करणी सेना ने भोपाल में बड़े पैमाने पर आंदोलन किया। निशाने पर थी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्‍व वाली भाजपा सरकार। करणी सेना की मांग है कि आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाए। इसके अलावा, बिना जांच SC/ST ऐक्‍ट के तहत हुई गिरफ्तारियों पर भी नजर डाली जाए। करणी सेना ने 22 मांगों की सूची सामने रखी है और उनके पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। राजस्‍थान में भी OBC और MBC जातियों के पक्ष में आवाज उठी है। वहीं, कर्नाटक में प्रभावशाली पंचमसाली लिंगायत समूह भी शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण मांग रहा है।

क्‍या एमपी में इस बार झुकेगी भाजपा?
मध्‍य प्रदेश की बीजेपी सरकार के लिए राजपूत समुदाय को मनाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले राजपूतों ने बीजेपी की खुलकर मुखालफत की थी और पार्टी चुनाव हार गई। एमपी में हार भी उन वजहों में से एक थी जिसके चलते केंद्र सरकार जनवरी 2019 में सरकारी नौकरियों में EWS आरक्षण का प्रावधान लेकर आई। बुधवार को एमपी सरकार में मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने करणी सेना के नेताओं से मुलाकात कर उनकी मांगों पर विचार के लिए पैनल बनाने का वादा किया। उसके बाद आंदोलन खत्‍म तो हो गया मगर यह तय नहीं कि वे दोबारा आंदोलन नहीं करेंगे।

राजस्‍थान में कांग्रेस सरकार से नाराज हैं गुर्जर
राजस्‍थान सरकार ने पिछले साल सितंबर में ऐलान किया कि EWS और SC/ST को फ्री मेडिकल एजुकेशन मिलेगी। फैसले के खिलाफ गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने मोर्चा खोल दिया। समिति के अध्‍यक्ष विजय बैंसला ने नवंबर 2022 में चेतावनी दी कि अगर फैसले में OBC और MBC को भी शामिल नहीं किया गया तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का पुरजोर विरोध होगा। आखिरकार सरकार ने फ्री मेडिकल एजुकेशन का दायरा बढ़ाकर OBC और MBC को भी शामिल कर दिया। इसके बावजूद गुस्‍सा शांत नहीं हुआ है। बैंसला ने हमारे सहयोगी ‘द इकॉनमिक टाइम्‍स’ से बातचीत में कहा कि ‘उम्‍मीद है कि वे फैसले को बैकडेट से लागू करेंगे क्‍योंकि छात्र फीस का एक हिस्‍सा पहले ही भर चुके हैं।’ बैंसला ने कहा कि ‘सरकारी नौकरियों में OBC और MBC जातियों के बैकलॉग को क्लियर करने पर भी सरकार सहमत हुई थी। हम इंतजार रहे हैं, जब वक्‍त आएगा तब देखेंगे।’

राजपूत समुदाय से ताल्‍लुक रखने वाले प्रताप फाउंडेशन के गजेंद्र सिंह मानपुरा ने हाल ही में केंद्रीय मंत्रियों- राजनाथ सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी। गजेंद्र ने ईटी से बातचीत में कहा, ‘राजपूत समुदाय ने ही बीजेपी को राजस्‍थान में स्‍थापित किया और अब ऐसा महसूस हो रहा है कि पार्टी उन्‍हें नजरअंदाज कर रही है।’ चेतावनी भरे लहजे में उन्‍होंने कहा, ‘2018 में राजपूतों ने पहली बार बीजेपी के खिलाफ वोट किया।’

कर्नाटक में पंचमसाली लिंगायत समुदाय ने भी बेलगावी में बड़ा आंदोलन किया। लिंगायत समुदाय की कर्नाटक में प्रभावशाली आबादी है। बीजेपी विधायक बासनगौड़ा पाटिल के नेतृत्‍व में हुए आंदोलन की मुख्‍य मांग शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की थी।

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