दफ्तरों पर IT की ताबड़तोड़ कार्रवाई… BBC के साथ पहले कब-कब हुआ सरकार का टकराव

नई दिल्‍ली

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) और सरकार आमने-सामने हैं। दिल्‍ली और मुंबई में बीबीसी के दफ्तरों पर इनकम टैक्‍स ड‍िपार्टमेंट ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। ‘इंडिया: द मोदी क्‍वेश्‍चन’ नाम की डॉक्‍यूमेंट्री प्रसारित होने के कुछ हफ्ते बाद यह कार्रवाई हुई है। दो भाग वाली इस डॉक्‍यूमेंट्री को सरकार दुष्‍प्रचार बता चुकी है। इस पर बैन भी लगाया जा चुका है। 2002 के गुजरात दंगों पर यह आधारित है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बीबीसी को दुनिया का सबसे ‘भ्रष्ट और बकवास कॉर्पोरेशन करार दिया है। उसने इनकम टैक्‍स विभाग की कार्रवाई को संविधान के तहत बताया है। यह पहला मौका नहीं है जब बीबीसी के साथ सरकार टकराव की स्थिति में है। पहले भी ऐसे कई मौके आ चुके हैं जब सरकार और बीबीसी के बीच तल्‍खी देखी गई। यहां तक बीबीसी को भारत में बंद करने की भी मांग उठाई गई।

1970 में बंद किया गया दफ्तर
बात 1970 की है। इंदिरा गांधी की सरकार थी। तब बीबीसी को बैन कर दिया गया था। उन दिनों एक शो में भारत की छवि को नकारात्‍मक तरीके से पेश किया गया था। फ्रांसीसी डायरेक्‍टर लुइस माले की डॉक्‍यूमेंट्री बीबीसी पर प्रसारित हुई थी। इसके चलते दिल्‍ली में दो साल बीबीसी के दफ्तर को ताला लगा दिया गया था।

1975 में डॉक्‍यूमेंट्री से मचा बवाल
इमरजेंसी का दौर था। इंदिरा गांधी सरकार ने बीबीसी पर भारत विरोधी खबरें चलाने का आरोप लगाया था। इमरजेंसी को लेकर ये खबरें प्रसारित की जा रही थीं। सरकार ने कहा था कि बीबीसी भारत की छवि धूमिल का एक भी मौका नहीं गंवाता है। इमरजेंसी के बाद बीबीसी ने अपने जाने-माने पत्रकार मार्क टुली को वापस बुला लिया था।

2015 में दिल्‍ली गैंग रेप को लेकर लगा बैन
मार्च 2015 की बात है। दिल्‍ली हाईकोर्ट ने बीबीसी की एक डॉक्‍यूमेंट्री पर बैन के फैसले को सही ठहराया था। यह दिल्‍ली गैंग रेप में दोषी मुकेश सिंह पर आधारित थी। कोर्ट ने डॉक्‍यूमेंट्री के इंटरनेट ब्रॉडकास्‍ट पर भी रोक लगा दी थी।

2017 में बीबीसी पर लगी यह रोक
2017 में बीबीसी को पांच साल के लिए भारत के राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों में फिल्माने से रोक दिया गया था। तब भारत सरकार ने दावा किया था कि बीबीसी की रिपोर्टिंग के कारण देश की छवि को ‘अपूरणीय क्षति’ पहुंची है।

एडिटर्स गिल्ड ने जताई है चिंता
बीबीसी इंडिया के दफ्तरों में इनकम टैक्‍स के सर्वे को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने चिंता जाहिर की है। उसने इसे सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थानों को ‘डराने और परेशान करने’ के लिए सरकारी एजेंसियों के इस्‍तेमाल की ‘प्रवृत्ति’ की निरंतरता करार दिया। गिल्ड ने इस बाबत एक बयान जारी किया। उसने मांग की कि ऐसी सभी जांच में काफी सावधानी और संवेदनशीलता बरती जाए। यह इस तरह हो कि पत्रकारों और मीडिया संगठनों के अधिकार कमजोर नहीं हों।

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