अमेरिका में हुआ चर्नोबिल जैसा हादसा, गुब्बारे के बहाने छिपा रहा मीडिया, ओहायो ट्रेन हादसे पर ग्लोबल टाइम्स ने ली चुटकी

वॉशिंगटन

अमेरिका के ओहायो में ट्रेन के पटरी से उतरने की दुर्घटना के बाद अब सोशल मीडिया पर गर्मागर्म बहस शुरू हो गई है। घटनास्थल के करीब सैकड़ों मछलियां मरी हुई मिली हैं। कैमिकल ट्रेन में हुए धमाके के बाद अब यहां प्रदूषण फैलने लगा है, जिसके बाद इसे चीनी सोशल मीडिया में ‘अमेरिका का चर्नोबिल’ कहा जा रहा है। चीन का मीडिया ग्लोबल टाइम्स भी इस मौके पर चुटकी लेने से पीछे नहीं रहा। ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि अमेरिका इस आपदा को सही से संभाल नहीं सका। इसके साथ ही सवाल भी खड़ा किया गया कि क्या अमेरिकी सरकार जान बूझकर इससे जुड़ी जानकारी को छिपा रही है। रिपोर्ट में यहां तक कह दिया कि चीनी गुब्बारों के नाम पर सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है।

जानकारी के मुताबिक घटना 3 फरवरी को हुई थी, जब ओहायो के पूर्वी फिलिस्तीन में रेलवे ट्रैक से 50 कंटेनर वाली मालगाड़ी उतर गई। इनमें से 10 में खतरनाक कैमिकल भरे हुए थे, जिन्हें नष्ट करने के लिए एक कंट्रोल्ड तरीके से आग लगा दी गई। इन डिब्बों में विनाइल क्लोराइड भरा था, जो एक हानिकारक कैमिकल होता है। इसके जलने से एक खतरनाक काला धुआं देखने को मिला। चीन के मुताबिक कैमिकल को नष्ट किया गया जो हवा में फैल गया। चीन का कहना है कि यहीं गड़बड़ी हुई है।

अमेरिका ने लोगों से दूर जाने को कहा
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक जब विनाइल क्लोराइड को जलाया गया तो फॉस्जीन और हाइड्रोजन क्लोराइड हवा में निकली। एपी के मुताबिक फॉस्जीन एक जहरीली, रंगहीन गैस है, जिसमें तेज गंध होती है। इसके प्रभाव से उल्टी और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। प्रथम विश्वयुद्ध में इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया था। चीन का कहना है कि अमेरिका ने अगले दिन लोगों को 3.2 किमी दूर जाने को कहा, जिसके बाद 4,800 लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है।

अमेरिकी मीडिया छिपा रहा बातें
ग्लोबल टाइम्स ने ओहायो में पढ़ रहे दो चीनी छात्रों का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने बताया कि मेन स्ट्रीम मीडिया ने इस मुद्दे की अनदेखी की है। न ही स्थानीय सरकार ने इस घटना पर किसी तरह का नोटिस दिया है। जान नाम के एक चीनी छात्र ने कहा, ‘मुझे हाल के दिनों में आंखों और नाक में जलन महसूस हुई है, जिसके बाद मैं डॉक्टर से मिलने की प्लानिंग कर रहा हूं।’ प्रभावित क्षेत्र से 72 किमी दूर रहने वाले एक अन्य छात्र ने कहा कि लोग पानी को स्टॉक कर रहे हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि खतरा टल गया है।

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