विदेश में राहुल गांधी के बयानों से क्‍या वाकई देश की छवि पर असर पड़ता है?

नई दिल्‍ली

राहुल गांधी इन दिनों ब्रिटेन में हैं। विदेशी धरती से उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर हमला बोला है। पिछले कुछ दिनों से वह लगातार सुर्खियों में हैं। उनके बयानों से देश की सियासत गरम हो गई है। राहुल ने चीन, कश्‍मीर, लोकतंत्र, विदेश नीति से लेकर बीबीसी ड्रॉक्‍यूमेंटी पर बैन और क्रोनी कैपिटलिज्‍म तक के मसले उठाए हैं। उनका सबसे ताजा बयान आरएसएस की मुस्लिम ब्रदरहुड से तुलना को लेकर आया है। उन्‍होंने कहा है कि आरएसएस मुस्लिम ब्रदरहुड की तर्ज बना है। कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष यह भी बोले हैं क‍ि संसद में बोलते वक्‍त उनका माइक बंद कर दिया जाता है। 3 मार्च को राहुल ने कैब्रिज यूनिवर्सिटी में व्याख्‍यान दिया था। फिर सोमवार को उन्‍होंने चैथम हाउस नाम के एक थिंक टैंक से बात करते हुए तकरीबन हर मुद्दे पर अपनी राय रखी। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) राहुल गांधी पर हमलावर है। उसने राहुल पर विदेशी धरती से भारत को बदनाम करने का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा है कि उनके बयानों से देश की छवि धूमिल हो रही है। क्‍या विदेश में राहुल गांधी के बयानों से वाकई देश की छवि पर असर पड़ता है?

पिछले कुछ दिनों से राहुल के बयानों से देश में बवाल मचा हुआ है। वह ब्रिटेन दौरे पर हर दिन कुछ ऐसा बोल रहे हैं जिस पर बीजेपी की तल्‍ख प्रतिक्रिया आती है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब राहुल विदेश में जाकर सरकार पर हमलवार हैं। पहले भी व‍ह विदेशी धरती से मोदी सरकार पर हमला करते रहे हैं। भारत में विपक्ष की आवाज दबाने की बात भी वह पहले कह चुके हैं। पिछले साल मई में जब वह ब्रिटेन गए थे तब भी उन्‍होंने यह बात कही थी। इसके पहले जब वह 2018 में जर्मनी और ब्रिटेन दौरे पर गए थे तब भी उन्‍होंने सरकार पर हमला बोला था। उन्‍होंने कहा था कि सरकार लोगों की समस्‍याएं सुलझाने के बजाय उनके गुस्‍से का फायदा उठा रही है। नोटबंदी और जीएसटी के फैसलों की वह देश में ही नहीं, विदेश जाकर भी तीखी आलोचना करते रहे हैं। राहुल गांधी यह भी कह चुके हैं कि चुनाव जीतने के लिए नफरत और हिंसा का सहारा लिया जाता है। 2017 में अमेरिका जाकर वह बोले थे कि आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही है।

ब्र‍िटेन जाकर सरकार पर हमलावर…
ब्रिटेन जाकर दोबारा वह बीजेपी और सरकार पर हमलावर हैं। उन्‍होंने इस दौरान लोकतंत्र, चीन, विदेश नीति, बीबीसी की ड्रॉक्‍यूमेंट्री से लेकर पीएम और अडानी के संबंधों तक पर अपनी राय रखी है। उन्‍होंने कहा है कि बीजेपी की विचारधारा के केंद्र में कायरता है। बीजेपी को यह मानना अच्‍छा लगता है कि सत्‍ता हमेशा वही रहेगी। संसद में विपक्ष के माइक खामोश करा दिए गए हैं। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्‍या राहुल के इन बयानों से देश की छवि को नुकसान पहुंचता है? दूसरा सवाल यह है कि राहुल ऐसा क्‍यों करते हैं?

राहुल गांधी के बयानों का क्‍या फर्क पड़ता है?
पहले सवाल का जवाब स्‍पष्‍ट रूप से ‘नहीं’ है। विदेश में राहुल गांधी के बयानों से तनिक भी फर्क नहीं पड़ता है। हर कोई जानता है कि राहुल विपक्ष के नेता हैं। विपक्षी दलों का काम ही आलोचना करना होता है। जब बीजेपी विपक्ष में थी तब वह भी यही काम करती थी। टेक्‍नोलॉजी के इस युग में हर किसी को पल-पल की खबर मिल रही है। किसी को कोई गुमराह नहीं कर सकता है। लोग भी जानते हैं कि राहुल जो कुछ भी बोल रहे हैं वह उनकी निजी राय है। भारत आज दुनिया में बड़ी इकनॉमिक और पॉलिटिकल पावर है। वह अपनी तरह से राजनीतिक एजेंडे बनाता है और उन पर अमल करता है। जी-20 देशों की वह अध्‍यक्षता कर रहा है। यह सबकुछ पॉलिसी से डिसाइड होता है। कुछ नेताओं और लोगों की राय से देश की छवि न बनती है न बिगड़ती है। विपक्ष के नेता से तारीफ की अपेक्षा करनी भी नहीं चाहिए। इस तरह का कोई प्रोटोकॉल भी नहीं है कि आप देश में रहेंगे तो सरकार की आलोचना करेंगे और विदेश जाकर उसकी तारीफ। हर भारतीय नागरिक, चाहे वह कोई भी हो, वह कहीं भी अपनी बात रखने के लिए स्‍वतंत्र है।

क्‍या राहुल के बयानों से कांग्रेस को फायदा होता है?
अब दूसरे सवाल पर आते हैं। क्‍या इसका राहुल को कोई फायदा होने वाला है? इसका भी जवाब ‘नहीं’ है। पहले ही बताया गया है कि व‍िदेश जाकर सरकार पर राहुल के बरसने की बात नई नहीं है। अगर इसका फर्क पड़ता तो कांग्रेस एक के बाद एक राज्‍य में साफ नहीं हो रही होती। इसके उलट बीजेपी का प्रदर्शन लगातार सुधरता नहीं।

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