संसद में कांग्रेस के काले कपड़ों में आज BJP के लिए दिख गया खतरे का लाल निशान!

नई दिल्ली

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने के बाद विपक्ष अब एकजुट होने लगा है। अबतक कांग्रेस की बैठकों से दूरी बनाने वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता भी केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन में शामिल हुए हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए ये खतरे की घंटी है। अभीतक तितर-बितर विपक्ष की जगह बीजेपी को राहुल के मुद्दे पर एक मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ेगा। गौरतलब है कि मोदी सरनेम मामले में सूरत की अदालत ने राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद लोकसभा में राहुल की सदस्यता खत्म हो गई। उधर, संसद में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान भी कांग्रेस के सांसद काले कपड़े में सदन में पहुंचे थे।

मजबूरी में कांग्रेस के साथ टीएमसी?
कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने के खिलाफ एक बड़ी रणनीतिक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में टीएमसी की तरफ से प्रसून बनर्जी और जवाहर सरकार  ने हिस्सा लिया। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी  ने कहा था कि अगर राहुल विपक्ष के नेता बने रहे तो पीएम मोदी को कोई हरा नहीं सकता है। इससे पहले भी टीएमसी ने संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के मोदी सरकार के खिलाफ मार्च से दूरी बनाई थी। इसकी जगह टीएमसी संसद परिसर में अलग से प्रदर्शन किया था।

कांग्रेस को मिल गई बढ़त?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने टीएमसी के बैठक में शामिल होने पर कहा कि पार्टी लोकतंत्र बचाने की मुहिम में शामिल सभी लोगों का स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि मैं उन सभी को धन्यवाद कहना चाहता हूं जिन्होंने इसका समर्थन किया है। यही वजह है कि मैंने कल भी सभी को धन्यवाद कहा और आज भी जो भी शामिल हुए हैं उनको धन्यवाद करता हूं। कांग्रेस के इस प्रदर्शन में आप नेता भी शामिल हुए हैं। गौरतलब है कि आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने पहली बार खुलकर राहुल गांधी की सांसदी जाने का विरोध किया था और पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला था। हालांकि, राहुल गांधी ने दिल्ली के पूर्व डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया के जेल जाने के मुद्दे पर कोई बयान तक जारी नहीं किया था।

कांग्रेस के काले कपड़ों से बीजेपी के लिए रेड सिग्नल?
कांग्रेस के इस प्रदर्शन में कुल 17 विपक्षी दल शामिल हुए हैं। कांग्रेस, डीएमके, एसपी, जेडीयू, बीआरएस, सीपीएम, आरजेडी, एनसीपी, सीपीआई, IUML, MDMK, KC, टीएमसी, आरएसपी, आप, नेशनल कॉन्फ्रेंस, शिवसेना (उद्धव गुट) कांग्रेस की बैठक में शामिल हुई हैं। कांग्रेस के सांसद काले कपड़ों में प्रदर्शन करने पहुंचे थे। अबतक कई मुद्दों पर आपस में भिड़े रहने वाले विपक्षी दल के नेता की राहुल के मुद्दे पर एकजुटता कहीं न कहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। गौरतलब है कि विपक्ष के कई नेता मोदी सरकार के खिलाफ मिलकर रणनीति बनाने की बात कहते रहे हैं। अगर देश के 17 विपक्षी दल एकजुट होते हैं तो बीजेपी के मिशन 2024 में मुश्किल खड़ी हो सकती है।

बीजेपी के लिए 2024 की जंग होगी मुश्किल!
जिस तरह देश के विपक्षी दल राहुल गांधी के मुद्दे पर एकजुट हुए हैं, उससे निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। अभी तक बीजेपी को तितर-बितर विपक्ष मिल रहा था, लेकिन अब राहुल के मुद्दे पर एकजुट विपक्ष आगे भी साथ आ सकता है। अलग-अलग राज्यों में कई क्षेत्रीय दल काफी मजबूत स्थिति में हैं। अगर कांग्रेस और इन क्षेत्रीय दलों का गठबंधन होता है तो बीजेपी विरोधी वोट बंटने से बच जाएंगे। भगवा दल को इसका निश्चित तौर पर नुकसान होगा। हालांकि, अभी देखना ये होगा कि क्या आने वाले समय में भी सभी विपक्षी दल चुनावों के वक्त भी एक मंच पर साथ आएंगे?

पर बड़े कांटे हैं इस राह में!
राहुल के मुद्दे पर एकजुट हुए विपक्ष का आने वाले वक्त में भी एकसाथ आने पर अभी संशय है। दरअसल, टीएमसी और एसपी कई बार कह चुकी है कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के साथ आना होगा। तो क्या राहुल के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रही कांग्रेस विपक्षी दलों की इस मांग को मानेगी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद से कांग्रेस के नेता उन्हें 2024 में पीएम पद के कैंडिडेट घोषित कर चुके हैं। यानी अभी आने वाले समय में गंगा में काफी पानी बहना बाकी है।

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