विपक्षी सरकारों में भी हुए उद्घाटन, कभी राष्ट्रपति या राज्यपाल को नहीं किया गया इनवाइट : हिमंता बिस्वा सरमा

नई दिल्ली

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद लगातार जारी है। जहां कांग्रेस, टीएमसी, आप सहित 19 विपक्षी दलों ने बुधवार को कहा कि वे उद्घाटन का बहिष्कार करेंगे वहीं अब भाजपा की ओर से भी पलटवार किया जा रहा है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक ट्वीट कर दावा किया कि पिछले 9 वर्षों में 5 गैर-भाजपा/विपक्षी राज्य सरकारों ने भी इस तरह के उद्घाटन किए हैं और किसी में भी राज्यपाल या राष्ट्रपति को इनवाइट नहीं किया गया”।

संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जारी बहस के बीच अब पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की भी एंट्री हो चुकी है। उन्होने बयान देते हुए कहा, जिस समय पीवी नरसिम्हा राव पीएम थे, शिवराज पाटिल स्पीकर थे और मैं संसदीय कार्य मंत्री था, शिवराज जी ने मुझसे कहा था कि 2026 से पहले एक नया और बड़ा संसद भवन बनाया जाना चाहिए”। हालांकि उन्होने मौजूदा बहस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर लिखा, “भारत के राष्ट्रपति वरीयता के हिसाब से नंबर 1 हैं, उप-राष्ट्रपति नंबर 2 हैं और प्रधान मंत्री तीसरे नंबर पर हैं। सरकार संवैधानिक बारीकियों से अनजान है, यह मोदीजी का गृहप्रवेश नहीं है जो उन्होंने अपने पैसे से बनाया है”।

हिमंता बिस्वा सरमा ने किया पलटवार
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर लिखा, “पिछले 9 वर्षों में – 5 गैर-भाजपा/विपक्षी राज्य सरकारों ने या तो शिलान्यास किया या एक नए विधान सभा भवन का उद्घाटन किया। यह सब या तो मुख्यमंत्री ने किया या फिर पार्टी अध्यक्ष ने। एक बार भी राज्यपाल या राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया”।

राहुल गांधी ने भी किया ट्वीट
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विपक्षी पार्टियों की ओर से बहिष्कार के ऐलान के बाद ट्वीट करते हुए लिखा, “राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है” इससे पहले भी कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर लिखा था, “नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं!”

BJP के सम्राट चौधरी की दलील में भी है दम
आरजेडी और जेडीयू के तर्कों को बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सिरे से खारिज कर दिया है। सम्राट चौधरी कहते हैं कि जब बिहार विधानसभा के नए भवन का उद्घाटन सीएम नीतीश कुमार कर सकते हैं तो संसद भवन का उद्घाटन पीएम क्यों नहीं कर सकते। बे सिर-पैर की बातें विपक्ष कर रहा है। उसके बायकॉट के फैसले का कोई मतलब ही नहीं। विरोध सिर्फ विरोध के लिए नहीं होना चाहिए। विरोध के तर्क और आधार भी होने चाहिए।

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जिस समय पीवी नरसिम्हा राव पीएम थे, शिवराज पाटिल स्पीकर हुआ करते थे। वह संसदीय कार्य मंत्री थे। शिवराज ने उनसे कहा था कि 2026 से पहले एक नया और बड़ा संसद भवन बनाया जाना चाहिए। यह अच्‍छा है कि नए भवन का निर्माण किया जा चुका है। उद्घाटन समारोह में कौन शामिल होगा या कौन बहिष्कार करेगा, इस पर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।

 

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