नई दिल्ली,
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को महिलाओं और लड़कियों के कथित यौन शोषण के मामले में वीरेंद्र देव दीक्षित को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है. वह रोहिणी में आध्यात्मिक आश्रम के संस्थापक हैं. साथ ही कोर्ट ने छह सप्ताह में नए सिरे से जांच रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सीबीआई हर संभव कोशिश के बाद भी वीरेंद्र देव दीक्षित को गिरफ्तार नहीं कर पाई है. आगे भी CBI उसकी गिरफ्तारी के लिए हर संभव प्रयास जारी रखे. कोर्ट ने कहा कि मार्च 2018 के बाद भी करीब छह यूट्यूब चैनलों पर उसके वीडियो समय-समय पर अपलोड किए जा रहे हैं.
देशभर में चल रहे हैं दीक्षित के कई आश्रम
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में एक बड़ा पहलू सामने आया है. वीरेंद्र देव दीक्षित के कई आश्रम देश भर में चल रहे हैं. उन आश्रमों का संचालन किसके द्वारा किया जा रहा है? उन आश्रमों के लिए पैसा किसके द्वारा दिया जा रहा है? किन दस्तावेजों के आधार पर संपत्तियों को निवासियों को किराए पर दिया गया है? इसकी जांच भी CBI को करनी चाहिए.
यौन शोषण मामले में दीक्षित भगोड़ा घोषित
दरअसल, रोहिणी स्थित आध्यात्मिक आश्रम में महिलाओं के रहने की स्थिति से संबंधित एक याचिका की हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है. इस मामले में वीरेंद्र देव दीक्षित को यौन शोषण मामले में भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. फिलहाल, वह फरार चल रहा है. मगर, उसके कथित प्रवचन के वीडियो लगातार यू-ट्यूब पर अपलोड किए जा रहे हैं.
साल 2018 में दीक्षित के खिलाफ दर्ज किया था मामला
बता दें कि दीक्षित के खिलाफ देश के कई शहरों में अध्यात्म की शिक्षा देने के नाम पर महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार और शारीरिक शोषण करने का आरोप हैं. सीबीआई ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के प्रमुख वीरेंद्र देव दीक्षित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (2) (F) (I),(K)(N) और 506 के तहत मामला दर्ज किया था. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने 3 जनवरी 2018 को दीक्षित के खिलाफ मामला दर्ज किया था.