नई दिल्ली,
जी-20 के आयोजन और उसमें आईं चुनौतियों को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विस्तार से बात की है. जयशंकर ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद भारत का कद ऊंचा हुआ है.जयशंकर ने कहा, “जी-20 भारत की वैश्विक एजेंडे को आकार देने की क्षमता की परीक्षा थी. भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ पर ध्यान केंद्रित किया जा सका. इसके अलावा, भारत तमाम देशों के बीच यूक्रेन मुद्दे पर सहमति बनाने में कामयाब रहा. जी-20 के बाद अगर देखा जाए तो भारत की कूटनीति काफी संतोषजनक रही.”
‘इंडिया टुडे’ के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया, “जी-20 के आखिरी कुछ दिन बहुत ही चुनौतीपूर्ण थे. कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं था जिस पर देशों के बीच मतभेद नहीं थे. हालांकि, भारत की कोशिश थी कि रूस-यूक्रेन के मुद्दे से संबंधित दो पैराग्राफ को लेकर भी सबके बीच सहमति बन जाए. ये केवल सही शब्दों के चुनाव की बात नहीं थी.”विदेश मंत्री ने बताया कि रूस-यूक्रेन मुद्दे को लेकर जी-20 देशों के बीच सहमति बनाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्तर पर भी कोशिश की.
दुनिया के सामने भारत का कद बढ़ाः जयशंकर
जयशंकर ने कहा, “दिल्ली घोषणापत्र सामने आ पाया क्योंकि अब भारत का कद बढ़ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने समकक्ष नेताओं से इस मुद्दे पर खुद बात की और इसका गहरा असर भी पड़ा.”जी-20 बैठक के बाद जारी हुए दिल्ली घोषणापत्र को लेकर पश्चिमी मीडिया में शिकायत की जा रही है कि भारत ने यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर रूस के प्रति सख्त भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जबकि इंडोनेशिया के बाली में हुए जी-20 समिट के घोषणापत्र में रूस के खिलाफ आक्रामक भाषा इस्तेमाल की गई थी.
इस सवाल पर जयशंकर ने कहा, 2022 में हुई बाली समिट के बाद बहुत सी चीजें बदल चुकी हैं. हम बाली शिखर सम्मेलन के बिंदुओं से काफी आगे बढ़ चुके हैं. जी-20 समिट का मुख्य एजेंडा ग्लोबल साउथ था जबकि बाली समिट में यूक्रेन युद्ध के ग्लोबल साउथ पर प्रभाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी.
हमने बाली घोषणापत्र की हूबहू नकल नहीं की. अगर दिल्ली घोषणापत्र भी बाली समिट की तरह ही होता तो इसका मतलब होता कि हमने दुनिया के लिए कुछ नहीं किया. हमें यूक्रेन मुद्दे को लेकर कई बैठकें बुलानी पड़ीं और बाली से अलग शब्दों और तरीकों को शामिल किया.
रूस-यूक्रेन को लेकर विदेश मंत्री ने कही ये बात
जी-20 के संयुक्त घोषणा पत्र में रूस और यूक्रेन को लेकर की गई टिप्पणी पर एस जयशंकर ने कहा, “यह बहुत ही महत्वपूर्ण था कि हम दुनिया को रूस के साथ अपने रिश्ते से अवगत कराएं. रूस और यूक्रेन को लेकर दोहरा रवैया हमें मुसीबत में डाल सकता था. कई लोग हमारी कार्यशैली पर नजर रखते हैं. हम कौन हैं, इसे लेकर अगर हम पारदर्शिता बनाए रखते हैं तो इससे दुनिया की नजरों में हमें और सम्मान मिलता है. इसके अलावा, अपने विचारों और हितों को लेकर मुखर होने से लोगों की प्रतिक्रिया पर भी असर पड़ा है.”
अफ्रीकी यूनियन को जी-20 में शामिल करना कोई नया मुद्दा नहींः जयशंकर
भारत की अध्यक्षता में इस साल अफ्रीकी यूनियन को भी जी-20 की स्थायी सदस्यता दी गई. इस पर पूछे गए एक सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जी-20 में अफ्रीकी यूनियन को शामिल करना कोई नया मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा, “हमने महसूस किया कि अफ्रीकी यूनियन को जी-20 में शामिल करने का मुद्दा एजेंडा का हिस्सा होना चाहिए. हम उपनिवेशवाद से मुक्त दुनिया में विश्वास रखते हैं. प्रधानमंत्री मोदी का भी विश्वास इसी में है कि कोई पीछे न छूटे.”
जयशंकर ने आगे कहा, “पीएम मोदी ने अफ्रीकी यूनियन को जी-20 में शामिल करने के लिए सदस्य देशों पर दबाव डाला और इस एजेंडे को टेबल कर दिया. जी-20 में अफ्रीकी यूनियन को शामिल करना कोई लेन-देन नहीं था. बल्कि यह एक सही चीज थी. भारत ने ब्रिक्स विस्तार का भी समर्थन किया. भारत एक ऐसे देश के रूप में खड़ा है जिसने जी-20 में अफ्रीकी यूनियन के लिए रास्ता खोला. भारत के कारण ही ‘ग्लोबल साउथ’ टर्म को दुनिया ने स्वाीकार किया.