नई दिल्ली,
भारत की मेजबानी में 18वें G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ. इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों तक ने शिरकत की. लेकिन चीन ने शुरुआत से ही स्पष्ट कर दिया था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन में शिरकत नहीं करेंगे. जिनपिंग की G20 से दूरी के बाद अब चीन ने सम्मेलन की मेजबानी को लेकर भारत की सराहना की है.
चीन ने सोमवार को कहा कि G20 ‘नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन’ से एक सकारात्मक संकेत गया है कि इस प्रभावशाली समूह के सदस्यों ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए हाथ मिला लिया है. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बताया कि G20 के घोषणापत्र से पुष्टि हुई है कि यह अंर्तराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच है. इसमें चीन की भी निर्णायक भूमिका रही है और इसमें विकासशील देशों की चिंताओं को महत्व दिया गया है.
भारत की मेजबानी में रविवार को समाप्त हुए G20 सम्मेलन को उस समय कूटनीतिक जीत मिली, जब इस संगठन के संयुक्त घोषणापत्र को सभी ने स्वीकार कर लिया.
G20 में पीएम कियांग ने किया चीन का रुख स्पष्ट
माओ ने कहा कि चीन ने हमेशा से G20 को महत्व दिया है और इसकी गतिविधियों का समर्थन किया है. हम वैश्विक चुनौतियों से निपटने और वैश्विक अर्थव्यवस्था के जोखिमों से निपटने के लिए इसका समर्थन करते हैं.
उन्होंने कहा कि G20 में ली कियांग की उपस्थिति चीन के रुख को स्पष्ट करती है. उन्होंने कहा कि सभी देशों को एक दूसरे का सहयोग करने के लिए एकसाथ आने की जरूरत है ताकि वैश्विक आर्थिक सुधार, सहयोग और सतत विकास के लिए अनुकूल साझेदारी को बढ़ावा मिल सके. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कियांग कह चुके हैं कि G20 को विभाजन के बजाय एकता, टकराव के बजाय सहयोग और बहिष्करण के बजाय समावेश की जरूरत है.
बता दें कि भारत की मेजबानी में हुई G20 समिट में पहले ही दिन डिक्लेरेशन पर आम सहमति बन गई. 37 पन्नों के इस डिक्लेरेशन में सभी पैरा पर सभी सदस्यों की सहमति बनी थी. इस घोषणापत्र में चार बार ‘यूक्रेन’ का जिक्र हुआ. साथ ही इसमें ये भी कहा गया है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या उसकी धमकी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसे भारत की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. क्योंकि पिछले साल बाली में हुई समिट में सभी पैरा पर आम सहमति नहीं बन पाई थी. इतना ही नहीं, भारत ने यूक्रेन का जिक्र भी कर दिया और इस पर रूस और चीन ने भी साथ दिया.
बता दें कि G20 देशों की जीडीपी में वैश्विक जीडीपी का लगभग 85 फीसदी है. इस 20 सदस्यीय संगठन में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, सऊदी अरब, रूस, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल है. शनिवार को नई दिल्ली में शुरू हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन में अफ्रीकी यूनियन को संगठन के 21वें स्थाई सदस्य के तौर पर शामिल किया गया था. इसके बाद ही संगठन के सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 21 हो गई.