जिनपिंग के गले लगे पुतिन, जान खतरे में डालकर इजरायल पहुंच रहे बाइडन, गाजा से बदलेगा शक्ति संतुलन!

तेलअवीव

इजरायल और हमास के युद्ध से दुनिया में बहुत तेजी से घटनाक्रम बदल रहा है। एक तरफ मुस्लिम देश हैं जो इजरायल के खिलाफ अब खुलकर आ रहे हैं। ईरान ने तो गाजा युद्ध को क्षेत्र के अन्‍य हिस्‍सों में भड़काने की खुली धमकी तक दे दी है। वहीं ईरान और हिज्‍बुल्‍ला को रोकने के लिए अमेरिका के नेतृत्‍व में पश्चिमी देश हजारों की तादाद में सैनिक और दर्जनों युद्धपोत भूमध्‍य सागर भेज रहे हैं। इस बीच अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन भी सबकुछ काम छोड़कर बुधवार को अब इजरायल के दौरे पर आ रहे हैं। वह भी त‍ब जब हमास हमले कर रहा है और खतरा है। इन सबके बीच चीन और रूस के शक्तिशाली राष्‍ट्राध्‍यक्ष बीजिंग में बीआरआई सम्‍मेलन के दौरान मुलाकात करने जा रहे हैं। इजरायल की गाजा में चल रही कार्रवाई की चीन और रूस दोनों ने ही आलोचना की है और सीजफायर के लिए कहा है। इस पूरे घटनाक्रम से दुनिया में शक्ति संतुलन बदलता दिख रहा है। आइए समझते हैं पूरा मामला…

अमेरिकी मीडिया का दावा है कि बाइडन इजरायल को हमास के हमले के बाद अमेरिका का समर्थन दिखाने के लिए तेलअवीव की यात्रा पर जा रहे हैं। वहीं अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी कहते हैं, ‘बाइडन का इजरायल दौरा केवल समर्थन दिखाना नहीं है। अमेरिकी व‍िदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के पश्चिम एशिया के असफल दौरे के बाद अब बाइडन अपनी यात्रा से यह कोशिश कर रहे हैं कि क्षेत्रीय युद्ध नहीं भड़कने पाए और गाजा में मानवीय संकट भी नहीं पैदा हो। अगर यह दोनों होता है तो इससे अमेरिका के हितों के लिए बहुत नुकसान पहुंचेगा। इसमें रूस और चीन के लिए रणनीतिक बढ़त भी शामिल है।’

अमेरिका ने भेजे महाव‍िनाशक हथियार
रूस और चीन दोनों ने अमेरिका से उलट रुख अपना रखा है। इससे पहले अमेरिका ने इजरायल के जवाबी कार्रवाई के अधिकार का खुलकर समर्थन किया था। यही नहीं अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर और मिसाइलों से लैस युद्धपोत भूमध्‍यसागर में भेजे हैं। इसके अलावा अब अमेरिका अपने 2000 मरीन सैनिकों को भी इजरायल भेजने पर विचार कर रहा है। अमेरिका ने बड़े पैमाने पर हथियार भी इजरायल को भेजे हैं। इसमें क्‍लस्‍टर बम और मिसाइलें भी शामिल हैं। अमेरिका के राष्‍ट्रपति का जार्डन, मिस्र जाने का प्‍लान है। बाइडन फलस्‍तीनी प्राधिकरण के राष्‍ट्रपति से मुलाकात करेंगे।

अमेरिका के राष्‍ट्रपति ऐसे समय पर इजरायल जा रहे हैं जब हमास और हिज्‍बुल्‍ला दोनों की तरफ से लगातार रॉकेट की फायरिंग हो रही है और उनकी सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है। हाल ही में अमेर‍िकी व‍िदेश मंत्री को हमले के सायरन बजने के बाद इजरायली पीएम नेतन्‍याहू से मुलाकात के दौरान बंकर में शरण लेनी पड़ी थी। वाइट हाउस को भरोसा है कि बाइडन की इस यात्रा को सुरक्षित तरीके से संपन्‍न किया जा सकेगा। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इस पूरे मामले में अमेरिका इसलिए भी बहुत ज्‍यादा रुचि दिखा रहा है ताकि उसका खाड़ी देशों के साथ दुनिया में दबदबा फिर से बढ़ जाए।

‘अमेरिका फिर से चाहता है अपना वर्चस्‍व’
अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के जानकार कमर आगा एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहते हैं कि दुनिया बहुत पहले ही दो फाड़ हो गई थी। एक तरफ पश्चिमी देश और उसके सहयोगी थे तो दूसरी ओर रूस और चीन थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह बंटवारा बहुत ज्‍यादा बढ़ गया। अमेरिका के कई सहयोगी देश जैसे भारत, सऊदी अरब ने रूस के ऐक्‍शन की आलोचना नहीं की और स्‍वतंत्र विदेश नीति को अपनाया। अमेरिका विरोधी देशों का ब्रिक्‍स एक संगठन बना जो बहुध्रुवीय विश्‍व का समर्थन करता है। यूक्रेन युद्ध ने इसको तेज किया। उन्‍होंने कहा कि इजरायल अमेरिका का विश्‍वसनीय सहयोगी देश है और उसे वो फेल नहीं होने देगा।

कमर आगा कहते हैं कि इजरायल खाड़ी देशों में अमेरिका के हितों की रक्षा करता है। अमेरिका को डर है कि इजरायल खुद ही इस युद्ध को बढ़ा सकता है। ऐसी परिस्थितियां बनती जा रही हैं कि ईरान के साथ युद्ध भी भड़क सकता है। इजरायल और हमास के बीच युद्ध पर कमर आगा कहते हैं कि अमेरिका एक बार फिर से अपना वर्चस्‍व बनाने की कोशिश कर रहा है। खासकर पश्चिम एशिया में जहां सऊदी अरब और ईरान अपना-अपना राग अलाप रहे हैं और अमेरिका का वर्चस्‍व कमजोर हो गया है। खाड़ी का इलाका तेल से संपन्‍न है और कई मिनरल इस इलाके में हैं। अमेरिका अब यह साफ करने जा रहा है कि वह इस इलाके को नहीं छोड़ेगा।

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