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इस छोटे से देश ने कैसे मनवाई अपनी बात? सैनिकों की वापसी को लेकर भारत ने उठाया ये कदम

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नई दिल्ली,

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू जब से राष्ट्रपति बने हैं. भारत के साथ मालदीव के संबंधों में तनाव देखने को मिला है. इस तनाव की वजह है कि मुइज्जू कई मौकों पर कह चुके हैं कि भारत को अपने सैनिकों को मालदीव से वापस बुला लेना चाहिए. इस बीच भारत ने मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की सहमति जता दी है.

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने माले में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत के साथ हमारा जो संवाद हुआ है. उसके तहत भारत सरकार ने अपने सैनिकों को मालदीव से वापस बुलाने पर सहमति जता दी है. हमने विकास संबंधी परियोजनाओं से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए उच्चस्तरीय समिति के गठन पर सहमति जताई है.

मुइज्जू को मालदीव में मौजूद 75 भारतीय सैनिकों से क्या है दिक्कत?
मोहम्मद मुइज्जू जब से मालदीव के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं, तब से भारत के साथ इस द्वीपीय देश के रिश्तों में तनाव आया है. मुइज्जू कई मौकों पर भारत विरोधी बयान दे चुके हैं. वह चीन समर्थक माने जाते हैं. उनका स्टैंड रहा है कि भारत को अपने सैनिकों को मालदीव से वापस बुला लेना चाहिए और शपथ ग्रहण के तुरंत बात उन्होंने फिर इस बात को दोहराया.

उनका कहना है कि मालदीव एक संप्रभु राष्ट्र है और यहां किसी दूसरे देश की सैन्य उपस्थिति सवीकार्य नहीं होनी चाहिए. वह अपने देश में भारतीय सैनिकों की उपस्थिति को मालदीव की संप्रभुता का उल्लंघन मानते हैं. मोहम्मद मुइज्जू का इलेक्शन कैम्पेन भी ‘इंडिया आउट’ के मुद्दे पर आधारित था. उन्हें 53% वोट मिले थे. जबकि, पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 46% वोट हासिल हुए थे. सोलिह को भारत समर्थक माना जाता है.

मालदीव में रहते हैं करीब 25000 भारतीय
भारत और मालदीव जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध साझा करते हैं. भारत 1965 में मालदीव की आजादी के बाद उसे मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और बाद में 1972 में माले में अपना मिशन स्थापित किया. इसके अलावा मालदीव में करीब 25,000 भारतीय नागरिक रहते हैं. यहां दुनियाभर से हर साल आने वाले पर्यटकों में भारतीयों की हिस्सेदारी लगभग 6% है. शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन और व्यवसाय के लिहाज से भी भारत मालदीव के लोगों के लिए एक पसंदीदा स्थान है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, मालदीव के लोग हायर एजुकेशन और मेडिकल जरूरतों के लिए भारत आते हैं.

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