नई दिल्ली,
झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने शुक्रवार को नए मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. उन्हें यहां राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने पद की शपथ दिलाई. चंपई सोरेन के साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता आलमगीर आलम और राजद नेता सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री के रूप में शपथ ली है. शपथ ग्रहण समारोह राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित किया गया. इस मौके पर झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे. शपथ ग्रहण के बाद झामुमो के विधायक चार्टर्ड प्लेन से हैदराबाद चले गए हैं. वहां वे दो दिन तक रुकेंगे. सोमवार को फ्लोर टेस्ट में हिस्सा लेंगे.
67 वर्षीय आदिवासी नेता चंपई सोरेन ने राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है. वे झारखंड के कोल्हान क्षेत्र से छठे सीएम बने. इस इलाके में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले शामिल हैं. इससे पहले बुधवार को JMM बैठक में चंपई को विधायक दल का नेता चुना गया था. उसके बाद उन्होंने राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था. गुरुवार रात राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को शपथ के लिए समय तय किया था.
‘सदन में हमारी ताकत देखेंगे’
नए सीएम चंपई सोरेन ने कहा, हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए काम किया. मैं उनके द्वारा शुरू किए गए काम में तेजी लाऊंगा. लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में हम समय पर काम पूरा करेंगे. राज्य में अस्थिरता पैदा करने की विपक्ष की कोशिश हमारे गठबंधन की ताकत से विफल हो गई है. कांग्रेस नेता बन्ना गुप्ता ने कहा, आप सदन के पटल पर हमारी ताकत देखेंगे. रांची हवाई अड्डे पर यह पूछे जाने पर कि विधायक कहां जा रहे हैं? इस पर झामुमो विधायक हफीजुल हसन ने कहा, हैदराबाद, बिरयानी खाने के लिए. जेएमएम नेता मनोज पांडे ने कहा, 39 विधायक हैदराबाद जा रहे हैं. जिन लोगों को उपस्थित रहना है, वे (शपथ समारोह के दौरान) उपस्थित रहेंगे.
‘बुनियादी सुविधाओं पर काम होना चाहिए’
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा, हम हमेशा केवल एक ही चीज की उम्मीद करते हैं- गरीबों में से सबसे गरीब की सेवा की जानी चाहिए, हमें उनकी बुनियादी जरूरतों, अच्छी सड़कें, अच्छा पीने का पानी, अच्छे स्कूल, अच्छी स्वास्थ्य सेवा, सिंचाई और अच्छे घर को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए. पूरे राज्य में सुविधाओं में सुधार करना होगा ताकि किसानों को लाभ मिले और लोगों को कमोडिटी मूल्य पर खाद्यान्न मिले.
‘यह हमारी बड़ी जीत है’
जेएमएम सांसद महुआ माजी ने कहा, चंपई सोरेन आज झारखंड के सीएम पद की शपथ लेंगे. यह पार्टी के लिए बड़ी जीत है. बीजेपी राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, लेकिन उस साजिश को नाकाम कर दिया गया है. हमें पूरा भरोसा है. अदालत में कहा गया है कि सीएम (हेमंत सोरेन) जल्द लौटेंगे. सोमवार को फ्लोर टेस्ट कराया जाएगा.
‘हमें कोई नहीं तोड़ सकता है’
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया था कि चंपई सोरेन को अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है. कांग्रेस झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन में सहयोगी दल है. वहीं, चंपई सोरेन ने कहा था, हम एकजुट हैं. हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है. इसे कोई नहीं तोड़ सकता.
‘हेमंत सोरेन को ईडी ने किया है गिरफ्तार’
इससे पहले बुधवार को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन से सात घंटे से ज्यादा पूछताछ की थी. जिसके बाद गिरफ्तारी करने का निर्णय लिया. हेमंत ने पहले राजभवन जाकर इस्तीफा दिया, उसके बाद अरेस्ट मैमो पर साइन किए थे. कोर्ट ने हेमंत को 5 दिन की ईडी की कस्टडी में भेजा है.
‘सीएम की शपथ के बाद हैदराबाद निकले विधायक’
वहीं, शुक्रवार को चंपई सोरेन के सीएम पद की शपथ लेने के बाद JMM के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायक रांची एयरपोर्ट पहुंचे और हैदराबाद रवाना हो गए. वे वहां दो दिन तक रुकेंगे. सोमवार तक इन विधायकों के वापस आने की उम्मीद है. करीब 35 विधायकों को दो चार्टर्ड प्लेन से हैदराबाद भेजा गया है. इधर, हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के बाद नए सीएम की कवायद में देरी पर इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने संसद में मुद्दा उठाया और राज्यपाल पर अंतरिम व्यवस्था नहीं करने का आरोप लगाया. विपक्षी सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा से वॉकआउट किया.
‘संसद में उठाया गया झारखंड का मुद्दा’
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक हफ्ते पहले बिहार में उलटफेर और फिर झारखंड में नए सीएम की प्रक्रिया की तुलना की. खड़गे का कहना था कि बिहार में जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो तुरंत उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था. उन्हें नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने के लिए कहा गया था. और फिर 12 घंटे के अंदर नीतीश ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. लेकिन झारखंड में जब हेमंत सोरेन ने बुधवार को इस्तीफा दिया तो कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई. उन्होंने कहा, हेमंत के इस्तीफे के बाद 81 सदस्यीय विधानसभा में 43 समर्थक विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र दिया गया. इसमे विधायक दल के नेता चुने जाने की जानकारी दी गई. चार अन्य विधायक भी अलायंस के समर्थक हैं और राज्य से बाहर होने के कारण समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं कर सके हैं. लेकिन उन्होंने (राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन) (सोरेन के इस्तीफा देने के बाद) कोई व्यवस्था नहीं की.
’20 घंटे के इंतजार के बाद बुलाया गया’
खड़गे ने कहा, संविधान में मुख्यमंत्री के इस्तीफे की स्थिति में सरकार बनाने का प्रावधान है. राज्यपाल वैकल्पिक व्यवस्था होने तक इस्तीफा देने वाले मुख्यमंत्री या किसी अन्य व्यक्ति को पद पर बने रहने की अंतरिम व्यवस्था करते हैं. उन्होंने कहा, राज्यपाल बहुमत विधायकों का समर्थन दिखाने वाली पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं और विश्वास मत मांगते हैं. करीब 20 घंटे के इंतजार के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नवनिर्वाचित नेता चंपई सोरेन को राज्यपाल से मिलने का निमंत्रण मिला, लेकिन समर्थन पत्र के बावजूद उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया. उन्होंने कहा, आज ही (शुक्रवार) नए मुख्यमंत्री शपथ ले रहे हैं. उन्होंने कहा, कृपया बताएं कि संविधान को कैसे टुकड़े-टुकड़े किया जा रहा है. उन्होंने जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बिहार में जो हुआ, उसके बारे में बात की.
‘जैसा बिहार में हुआ, झारखंड में क्यों नहीं?’
खड़गे का कहना था कि जैसा बिहार में हुआ था, वैसा झारखंड में क्यों नहीं हुआ? उन्होंने पूछा कि अगर बिहार में 12 घंटे में इस्तीफा, समर्थन पत्र स्वीकार करना और शपथ ग्रहण हो सकता है तो झारखंड में क्यों नहीं? उन्होंने कहा, यह शर्मनाक है. सत्ता पक्ष ने खड़गे के बयान का विरोध किया और सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, झारखंड में एक बड़ा भूमि घोटाला हुआ है जिसके कारण सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा. इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार साबित हो गया है. मुख्यमंत्री ने भूमि घोटाला कैसे किया? इसके बावजूद कांग्रेस उस मुख्यमंत्री का बचाव कर रही है. उस मुख्यमंत्री के आचरण पर कोई स्पष्टीकरण नहीं है. वो भ्रष्टाचार के बारे में बात नहीं कर रही है. यह केवल यह साबित करता है कि भ्रष्टाचार कांग्रेस के डीएनए में है. कांग्रेस भ्रष्टाचार को स्वीकार करती है.
‘राज्यपाल के आचरण की सदन में नहीं हो सकती है चर्चा’
गोयल ने कहा, राज्यपाल के आचरण पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती है. राज्यपाल के कार्यों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए किसी को बुलाने से पहले समर्थन के बारे में संतुष्ट होना होता है. हालांकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर जोर दिया कि राज्य नेतृत्वविहीन क्यों हो गया और सरकार बनने तक हेमंत सोरेन को पद पर बने रहने या किसी और को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाने के लिए कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई. इसके बाद विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
‘देश संविधान से चलता है’
बीआरएस के नेता के केशव राव ने कहा कि संविधान कहता है कि हर समय एक सरकार होनी चाहिए. सरकार का नेतृत्व एक मुख्यमंत्री को करना होता है, चाहे मुख्यमंत्री वह आदमी हो या कोई और. कोई फर्क नहीं पड़ता. राव ने कहा, यह देश संविधान से चलता है.