दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया। अदालत ने ईडी की मांग पर उन्हें छह दिनों की हिरासत में भेज दिया। इस पर पूरा विपक्ष केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमलावर है। विपक्षी दलों का कहना है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया है। उनका दावा है कि लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पद पर मौजूद एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करके पूरे विपक्ष को डराने की कोशिश की जा रही है। बड़ी बात है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी की चर्चा विदेशी मीडिया और राजनयिक दुनिया में भी हो रही है। अगर विदेशों में बन रही राय पर गौर करें तो इसमें कोई दो राय नहीं दिल्ली सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के एपिसोड से मोदी सरकार की छवि खराब हो रही है।
आइए पहले बात करते हैं विदेशी मीडिया की। वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स अमेरिका के बड़े अखबार हैं। वॉशिंगटन पोस्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को मोदी सरकार की तरफ से विपक्ष के खिलाफ की गई कार्रवाई के रूप में पेश किया। उसने लिखा, ‘भारत ने विपक्ष पर कार्रवाई के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया।’ स्वाभाविक है कि भारत यानी भारत सरकार जिसके मुखिया नरेंद्र मोदी है। इसी तरह न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, ‘भारतीय विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव नजदीक आते ही उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।’ मुस्लिम दुनिया का मुखपत्र माने जाने वाले मीडिया हाउस अल जजीरा ने तो भारत के लोकतंत्र को मृत बता दिया। उसने लिखा, ‘मृत लोकतंत्र: क्या अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भारत के विपक्ष को एकजुट करेगी?’
बात यहीं तक सीमित रहती तो खैरियत थी, पहले जर्मनी और फिर अमेरिका की तरफ से आधिकारिक बयान आ गया। केजरीवाल की गिरफ्तारी के अगले ही दिन जर्मनी के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता सेबेस्टियन फिशर ने कहा कि आरोपों का सामना करने वाले किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह केजरीवाल को भी निष्पक्ष और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानकों को इस मामले में भी लागू किया जाएगा।’
मोदी सरकार के लिए नीम पर करेला तब चढ़ गया जब अमेरिका ने भी केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कमेंट कर दिया। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने इस मामले में ईमेल से भेजे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हम मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए एक निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करते हैं।’ ईमेल में पूछा गया था कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी के जवाब में भारत सरकार ने जर्मन दूत को तलब कर लिया था, इस पर अमेरिकी विदेश विभाग की क्या राय है?
भारत ने जर्मनी और अमेरिका, दोनों की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। सरकार ने जर्मन दूतावास के उप-प्रमुख जॉर्ज एनजवेइलर को तलब कर अपना कड़ा विरोध व्यक्त किया। इस संबंध में भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘हम इस तरह की टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में देखते हैं।’ बयान में कहा गया है कि इस मामले पर की जाहिर हुई पक्षपाती धारणाएं बहुत बुरी हैं। दूसरी ओर भारत ने अमेरिकी उप-प्रमुख को भी तलब किया गया।
इसमें कोई संदेह नहीं कि दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर विदेशों में चर्चा मात्र से ही मोदी सरकार की छवि प्रभावित हो सकती है। हालांकि, विदेश मामलों के भारतीय विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी का कहना है कि अमेरिका हो या जर्मनी, पश्चिमी देशों को होश में आ जाना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी खरी-खरी सुनाई कि उन्हें भारत के साथ संबंधों को लेकर काफी सतर्क रहना चाहिए ना कि ऐसे अंदरूनी मामलों में टिप्पणियां करके यह आभास कराना चाहिए कि अमेरिका, भारत को सीख दे सकता है। खैर, बातें तो होती रहेंगी, लेकिन इतना तय है कि केजरीवाल से दुनिया में एक बज क्रिएट होता जरूर दिख रहा है।