VVIP संग फोटो, PMO के नाम पर जालसाजी… ED की गिरफ्त में रहे ‘महाठग’ को ऐसे मिली जमानत

नई दिल्ली,

मंगलवार का दिन आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह के नाम रहा. पूरे दिन उनकी जमानत की चर्चा होती रही. लेकिन केवल उनको ही जमानत नहीं मिली है, बल्कि एक महाठग को भी कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया है. ये ऐसा ठग है, जिसकी बीजेपी और आरएसएस के नेताओं सहित कई बड़ी हस्तियों के साथ तस्वीरें मौजूद हैं. वो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और बड़े अधिकारियों से अपने संबंधों का हवाला देकर लोगों से करोड़ों की ठगी करता था. यहां तक कि उसने जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को भी 15 लाख रुपए उधार दिए हैं.

जी हां, हम महाठग संजय प्रकाश राय की बात कर रहे हैं, जिसे संजय शेरपुरिया के नाम से लोग जानते हैं. मनी लॉन्ड्रिंग केस में उसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. आरोप है कि उसने ईडी का डर दिखाकर एक व्यवसायी गौरव डालमिया और उनके परिवार से 12 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने 23 मार्च को पारित एक आदेश में उसको राहत दी है. इस आदेश में कहा गया है कि आरोपी एक मामले को छोड़कर किसी दूसरे में संलिप्त नहीं पाया गया है, ना ही इसके बारे में अभियोजन पक्ष के द्वारा कोई उल्लेख किया गया है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, “अनुसूचित अपराध (जिसके आधार पर ईडी ने अपनी जांच शुरू की है) का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने से पहले किसी भी अन्य मामले में शामिल नहीं होने के आरोपी के इतिहास को एक पैरामीटर माना जाता है. इस पर मूल्यांकन करने पर विचार किया जाना चाहिए.” अदालत ने उसके वकील नितेश राणा की दलीलों को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया कि अभियोजन पक्ष की शिकायत में आरोप है कि लोगों को धोखा दिया गया, लेकिन यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि उन घटनाओं के संबंध में कोई अन्य मामला दर्ज किया गया है.

अदालत ने संजय शेरपुरिया को 1.5 लाख रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतदारों पर राहत दी है. इससे पहले वकील दीपक नागर के जरिए से दायर एक आवेदन में आरोपी ने जमानत की मांगते हुए दावा किया था कि उसके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है. उसे अब हिरासत में रखने का कोई मतलब नहीं है. वकील ने ये भी दावा किया था कि पूरा मामला जांच एजेंसी की ‘कल्पना’ है. आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उन्होंने अदालत से कहा था कि यदि संजय प्रकाश राय को जमानत मिल जाती है तो वो अदालत द्वारा उन पर लगाई गई किसी भी शर्त का पालन करने के लिए तैयार हैं.

बताते चलें कि संजय शेरपुरिया को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के विभूति खंड से गिरफ्तार किया था. वो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) का डिफाल्टर है. उसने और उसकी पत्नी कंचन राय की कंपनी पर एसबीआई को 350 करोड़ का चूना लगाने का आरोप है. अहमदाबाद की कांडला एनर्जी एंड केमिकल्स के नाम से उसकी कंपनी ने एसबीआई से लोन लिया था. वो गाजीपुर जिले के शेरपुर गांव का रहने वाला है. इसलिए दिल्ली में उसे संजय शेरपुरिया के नाम से लोग जानते हैं. वो इसी नाम से दिल्ली दरबार के तमाम नेताओं और हाई प्रोफाइल लोगों की महफिलों में बैठने लगा था.

उसकी पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर डिप्टी सीएम केशव मौर्या, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, आरएसएस चीफ मोहन भगवत सहित कई प्रभावशाली नेताओं के साथ तस्वीरें हैं. इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करके वो खुद को केंद्र सरकार के तमाम बड़े नेताओं का करीबी बताता था. आरोप हैं कि ईडी में चल रही गौरव डालमिया की जांच को मैनेज कराने पर के नाम पर इसने 11 करोड़ रुपए लिए थे. इस रकम को गौरव ने अपने फैमिली ऑफिस ट्रस्ट के खाते से संजय राय की यूथ रूरल एंटरप्रेन्योरशिप के खाते में दो बार में डाली थी. 21 जनवरी को 5 करोड़ और 23 जनवरी को 6 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे.

महाठग का असली नाम संजय प्रकाश बालेश्वर राय है. उसके पिता मूल रूप से गाजीपुर की मुहम्मदाबाद तहसील के शेरपुर गांव के रहने वाले थे जो बाद में असम में बस गए थे. पिता परचून की दुकान चलाते थे. परिवार की माली हालत ठीक न होने के कारण उसने केवल 10वीं तक ही पढ़ाई की है. इसके बाद कुछ वर्ष मुंबई में नौकरी की तलाश में बिताने के बाद वह गुजरात चला गया. वहां एक रिफाइनरी में 15500 रुपए महीने की तनख्वाह पर सिक्युरिटी सुपरवाइजर की नौकरी करने लगा. कुछ दिनों बाद बैंक से लोन लेकर फुटपाथ पर सामान बेचना शुरू कर दिया. इसके बाद पेट्रोलियम के धंधे में उतर गया.

संजय शेरपुरिया ने प्रभावशाली लोगों तक अपनी पहुंच बनाई और लोगों के काम करवाने के एवज में मोटी रकम ऐंठनी शुरू कर दी. देखते-देखते वो अरबों की संपत्ति का मालिक बन बैठा. अपने धंधे को आगे बढ़ाने के लिए उसने भारतीय स्टेट बैंक से 349 करोड़ रुपए का ऋण भी लिया और शुरुआती कुछ किस्तें जमा करने के बाद शांत बैठ गया. इसके बाद बैंक ने संजय को डिफॉल्टर घोषित कर दिया. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में संजय ने गाजीपुर के तत्कालीन सांसद और अभी जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का चुनाव प्रचार किया. चुनाव में सिन्हा की हार के बाद संजय गाजीपुर जिले में सक्रिय हो गया.

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