ग्वालियर:
आखिरकार कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में बची हुई तीन सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है। जिसमें ग्वालियर से प्रवीण पाठक, मुरैना से सत्यपाल सिंह और खंडवा लोकसभा सीट से नरेंद्र पटेल को मैदान में उतारा है। लंबे विचार विमर्श के बाद ग्वालियर में कांग्रेस ने हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे प्रवीण पाठक पर अपना भरोसा जताया है। प्रवीण पाठक को महल विरोधी बताया जाता है। वे लगातार सिंधिया का विरोध करते नजर आते हैं।
खास बात यह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने 3 महीने पहले हुए विधान सभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। एक तरफ जहां बीजेपी ने भारत सिंह पर अपना भरोसा जताया है तो वहीं कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को लोकसभा के मैदान में उतारा है। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि पार्टी ने क्यों हारे हुए प्रत्याशियों पर दांव लगाया है।
एक तीर से साधे कई निशाने
इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ सत्य प्रकाश शर्मा से बातचीत की तो कुछ अन्य बातें सामने आईं। वरिष्ठ पत्रकार सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि कांग्रेस ने भी हाल ही में विधानसभा चुनाव में हारे प्रवीण पाठक के जरिए कांग्रेस कई निशाने साधने का प्रयास कर रही है।
जातिगत समीकरण साधने का प्रयास
शर्मा ने कहा कि प्रवीण पाठक को टिकट देकर कांग्रेस प्रदेश भर में अन्य लोकसभा सीटों पर ब्राह्मण वोटरों को साधने का प्रयास कर रही है क्योंकि अभी तक किसी भी ब्राह्मण प्रत्याशी को मध्य प्रदेश में लोकसभा का टिकट नहीं मिला था, जिसको लेकर प्रदेश भर में एक नाराजगी देखने को मिल रही थी। कांग्रेस के इस निर्णय से कहीं ना कहीं ब्राह्मणों को वोट अपनी झोली में लाने में सफल हो सकती है।
युवाओं के बीच है अच्छी पकड़
बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक सोशल फ्रेंडली युवा नेता हैं जिनकी सोशल एक्टिविटी के साथ ही युवाओं बीच अच्छी पकड़ है। पाठक राहुल गांधी के भी बेहद करीबी माने जाते हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर तस्वीरें साफ हो गई हैं। बीजेपी ने 29 लोकसभा सीटों पर तो कांग्रेस ने 28 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। एक सीट खजुराहो पर सपा की प्रत्याशी मीरा यादव को उतारा गया था। उनका नामांकन भी रद्द हो चुका है।