नई दिल्ली,
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान पर अक्सर आरोप लगता रहता है कि उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान जद (यू) को परोक्ष रूप से नुकसान पहुंचाया था और उसके वोटों में कटौती की थी. लेकिन इस बार चिराग पासवान के तेवर नीतीश को लेकर कुछ बदले-बदले नजर आ रहे हैं.
चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी और नीतीश कुमार की पार्टी इस बात को अच्छी तरह जानती है कि पीएम मोदी का तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित करने के लिए विपक्ष को किसी भी अंदरूनी कलह का फायदा नहीं उठाने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्तमान में, बिहार में एनडीए के सभी सहयोगी एकजुट हैं और उनका एकमात्र मिशन राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों को गठबंधन के लिए सुनिश्चित करना है.
चिराग पासवान ने कहा कि चाचा पशुपति कुमार पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज के विश्वासघात से वह स्तब्ध थे. उन्होंने भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव में उन्हें अपना सहयोगी घोषित करने से पहले राजद के साथ संभावनाएं तलाशने की खबरों को अफवाह करार देते हुए खारिज किया, हालांकि उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद के साथ उनके अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं.
बिहार में एनडीए पूरी तरह एकजुट
चिराग ने कहा, राजनीति के एक छात्र के रूप में मैंने जो पहला सबक सीखा, वह है राष्ट्रीय हितों को अपनी पार्टी या स्वयं के हितों से ऊपर रखना. उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय हित सुनिश्चित करने के लिए नरेंद्र मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास परिपक्वता है और जद (यू) भी जानती है कि हम विपक्ष को एनडीए के भीतर किसी भी अंदरूनी कलह का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दे सकते.’
चिराग ने कहा,, “मुझ पर भरोसा जताने के लिए मैं प्रधानमंत्री और राज्य में एनडीए के सभी सहयोगियों का आभारी हूं. मेरी पार्टी यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी कि एनडीए 400 से अधिक सीटें जीते और बिहार की सभी 40 सीटों पर जीत हासिल करे.’ जिस हाजीपुर से चिराग चुनाव लड़ रहे हैं वहां से पहले उनके चाचा पशुपति पारस सांसद थे, जिन्होंने हाल ही में भाजपा द्वारा अपने भतीजे को अधिक महत्व देने के निर्णय पर नाराजगी व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
तेजस्वी मेरे मित्र
लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के साथ अपने संबंधों पर उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता और लालू प्रसाद जी घनिष्ठ मित्र थे और दोनों पार्टियों ने कई चुनाव साथ मिलकर लड़े थे. इसी तरह तेजस्वी भी मेरे बहुत करीबी दोस्त हैं. लेकिन राजनीतिक तौर पर हमारी पार्टियां एक-दूसरे की विरोधी हैं. व्यक्तिगत दोस्ती और राजनीति दो अलग चीजें हैं.” विपक्ष के इस आरोप पर कि केंद्र सरकार धर्म को राजनीति के साथ मिलाने की कोशिश कर रही है, पासवान ने कहा, “धर्म एक व्यक्तिगत मामला है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए.’
चाचा पर निशाना
चिराग पासवान ने कहा, ‘मेरी पार्टी में हर किसी ने पिछले विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने के मेरे फैसले का समर्थन किया था क्योंकि हमें केवल 15 सीटों की पेशकश की गई थी, जो अपमानजनक था. मैं अपने पिता के निधन के दुःख से उबर रहा था. मुझे गर्व है कि मैंने ‘शेर का बेटे’ की तरह लड़ाई लड़ी. मेरे पिता की मृत्यु के तुरंत बाद मेरे चाचा ने अपने नुकीले दांत दिखाने शुरू कर दिए थे. उन्हें डर था कि मेरे पिता की मृत्यु के बाद खाली हुई कैबिनेट सीट के लिए मेरे नाम पर विचार किया जा सकता है, इसलिए उन्होंने विद्रोह किया और अपने विश्वासघात के कृत्य का बचाव करने के लिए हर हथकंडा अपनाया. यह बिल्कुल स्पष्ट था कि उन्होंने यह सब अपनी महत्वाकांक्षाओं के कारण किया.’
पासवान ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि उनके चाचा द्वारा उन्हें दिए गए जख्मों को समय भर पाएगा या नहीं, उन्होंने ‘हमेशा मेरे साथ खड़े रहने’ के लिए मोदी को धन्यवाद दिया. चिराग ने कहा, ‘मेरे पिता के निधन के बाद, परिवार का सबसे बड़ा सदस्य होने के नाते, यह उनकी (पारस) जिम्मेदारी थी कि वह सभी को साथ लेकर चलें. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. हमारे रिश्ते में जो दरारें आई हैं, वे बनी रहेंगी. लोगों ने मुझे तोड़ने की कोशिश की लेकिन मैं राम विलास पासवान का बेटा हूं और इसे तोड़ा नहीं जा सकता, मैं अपने पिता के सपनों को साकार करूंगा और हमारे राज्य को बदलने के लिए ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के लिए काम करूंगा.’
भविष्य में अपने चाचा के साथ सुलह की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, पासवान ने कहा, ‘यह केवल मुझ पर निर्भर नहीं है. इसमें कई अन्य लोग भी शामिल हैं, जैसे मेरी मां, मेरी बहनें और मेरी बुआ (पिता की बहन), भविष्य में क्या होगा इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं. उनसे (पारस से) भी यही सवाल पूछा जाना चाहिए. एक समय था जब लोग पीएम मोदी का हनुमान कहे जाने पर मेरा मजाक उड़ाते थे. जो लोग मेरी राजनीतिक मृत्युलेख लिख रहे थे, उन्हें चुप करा दिया गया है.’
जाति जनगणना के आंकड़े ना हों सार्वजनिक
हाल ही में बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण पर उन्होंने कहा, ‘मैं जाति सर्वेक्षण के पक्ष में हूं लेकिन आंकड़ों को सार्वजनिक करने के पक्ष में नहीं हूं. सरकार को समाज में असमानता दूर करने के लिए कल्याणकारी उपायों के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहिए क्योंकि एक बार आप ऐसा करते हैं, इसका दुरुपयोग शुरू हो जाता है.’आपको बता दें कि बिहार में सात चरणों के चुनाव के दौरान बीजेपी 17 सीटों पर, जेडीयू 16 सीटों पर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पांच सीटों पर और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हम (एस) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेगी .