गया/पटना
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का चुनाव में उतरने का अंदाज निराला है। शब्द के पारखी भी, यही वजह भी है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जब चुनावी मझधार में उतरते हैं तो अपने तीखे शब्द वाण लेकर। इस शब्द बाण के पीछे तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर वह अपने समर्थकों के बीच संदेश भेजने में आमतौर पर कामयाब होते रहे हैं। एक कहावत है ‘खग जाने खगही के भाषा’। तो लालू यादव जानते हैं कि अपने समर्थक के बीच क्या संदेश भेजना है और किस भाषा में भेजना है, वो बखूबी जानते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर लालू प्रसाद यादव तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर अपने शब्द वाण के साथ उतर गए हैं। 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में तो कामयाब हो गए थे। पर क्या काठ की हांडी दूसरी बार भी चढ़ पाएगी?
फिर चला लालू यादव का शब्द वाण!
चुनावी धार को तेज करने को लालू यादव ने बीजेपी पर जबरदस्त हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता खुल्लम-खुल्ला बोल रहे हैं कि संविधान को बदल देंगे। लेकिन यह बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का बनाया हुआ संविधान है। बीजेपी संविधान को बदलने की कोशिश करेगी तो देश की गरीब, पिछड़ी और दलित जनता उनका आंख निकाल लेगी। जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। ये तानाशाही लाना चाहते हैं। संविधान को बदलना मतलब ये लोकतंत्र को बदलना चाहते हैं। भाजपा बार-बार 400 पार का जो नारा दे रही है उसके पीछे सांसदों की संख्या बल का खेल खेलना चाहती है। लेकिन जनता समक्षदार है जो भी संविधान बदलना चाहेंगे जनता उनकी आंखे निकाल लेगी।
लालू ने क्यों की संविधान बदलने की बात?
दरअसल, लालू यादव जमीन के नेता हैं। वो जानते हैं कि किस भाषा में कितनी गति के साथ अपने समर्थकों के बीच बात फैलानी है। लालू यादव जानते हैं कि उनके समर्थक लालू यादव का कहा ब्रह्मा की लकीर मानते हैं। और इसका फ़ायदा भी होता है।
1. मतदाता आक्रामक होकर बूथ पर पहुंचता है।
2. मतदाता के ऊपर संख्या बल का दवाब बनता है। समर्थक यह मान लेते हैं कि अगर लोक सभा में 400 सीट बीजेपी को आ जाती है तो वह संविधान को खत्म सकती है। उनके वोटर यह जानने की भी कोशिश नहीं कर सकते कि यह संभव भी है या नहीं।
3. बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान पर खतरा की बात कर लालू यादव बड़ी चालाकी से एक खास वर्ग को आपने पाले में कर लेते हैं। ऐसा इसलिए कि यह वर्ग अंबेडकर को अपमानित होने देना नहीं चाहेंगे। और वह सब एकजुट होकर भाजपा के विरोध में मतदान करेंगे।
4. लालू यादव अपने समर्थक के बीच यह संवाद भी भेज देते हैं कि संविधान बदला तो गरीब लोग जो भी सरकारी सुविधा पा रहे हैं वह छीन लिया जायेगा।
5. लालू यादव अपने उम्मीदवारों के ऊपर से वोट कटवा के खौफ से मुक्ति दिला देते हैं। समर्थक नाराज उम्मीदवारों को वोट न देकर आरजेडी के आधार वोट को बांटने से रोकते भी हैं।
2015 के बिहार विधान सभा में लालू कर चुके हैं प्रयोग
2015 में हो रहे विधान सभा चुनाव के समय लालू यादव ने इस तरह का प्रयोग किया और सफल भी हुए। उस वक्त आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने केवल आरक्षण की समीक्षा करने की बात की थी। भागवत चाहते थे कि आरक्षण निचले स्तर तक कैसे पहुंचे, इस बात पर सभी दलों के साथ समीक्षा की बात कही थी। पर लालू यादव ने मोहन भागवत की बात को जनता के बीच में यह कह कर परोसा कि भाजपा आरक्षण खत्म कर देगी। और फिर तब बाजी ऐसी पलटी कि सरकार बनाने का दावा करने वाली बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई।
लालू यादव आरआरएस प्रमुख का जिक्र करते हुए कह भी रहे हैं कि मोहन भागवत ने आरक्षण पर पुनर्विचार की बात कही थी। उस समय जनता ने उनके इरादे को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया था और इस बार भी वही हाल होगा। लालू यादव ने कहा है कि भाजपा फिर से पुरानी वाली स्थिति पर पहुंच जाएगी।
अपनी बातों में सामने वाली पार्टी को उलझा लेते हैं लालू
लालू यादव चुनाव के वक्त कुछ ऐसी बातें कर देते हैं जिसमें सामने वाली पार्टी उलझ जाती है। उदाहरण के तौर पर इस बार लालू यादव ने बीजेपी के 400 सीटें जीतने के दावे पर लालू ने कहा कि ये इसलिए इतनी सीटें जीतना चाहते हैं ताकि संविधान को बदल सकें। लालू के इतना कहते ही एनडीए के सबसे बड़े ब्रांड पीएम मोदी भी अपनी सोची हुई बात कहने के बजाय लालू यादव के आरोपों का जवाब देने में ऊर्जा लगाते दिख रहे हैं। मंगलवार को गया में हुई रैली में पीएम मोदी लच्छेदार और लोकलुभावन भाषण करने के बजाय ज्यादातर समय लालू यादव के संविधान बदलने के आरोपों का जवाब देते दिखे। पीएम बार-बार यही कहते रहे कि अब अगर भीमराव अंबेडकर भी आ जाएं तो वह संविधान को नहीं बदल सकते हैं। इससे पहले 2015 के बिहार चुनाव में लालू ने कहा था कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो आरक्षण खत्म कर देगी, लालू के इतना कहते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रैलियों में अपनी बातें कहने के बजाय इसी आरोप पर सफाई देने में उलझे दिखे।
लालू का यह दूसरा प्रयोग :अश्क
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क कहते हैं कि लालू प्रसाद की यह कोई नई चल नहीं है। 2015 के विधान सभा चुनाव के दौरान भी लालू यादव में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की बात को उलट-पलट कर जनता के बीच इस रूप में परोसा कि आरक्षण खत्म कर देगी बीजेपी जबकि भागवत ने सिर्फ आरक्षण की समीक्षा की बात कही थी। इस बार भी लालू यादव 400 पार की बात को गलत इंटरप्रेट कर जनता को यह समझाने में लगे हैं कि 400 से ज्यादा सीट संविधान बदलने के लिए लाना चाहते हैं। जबकि लालू यादव जानते हैं कि ऐसा संभव नहीं है। संविधान में संशोधन कोई नई बात नहीं। अब तक 106 बार संशोधन किया गया है। रही बीजेपी की बात तो जिस तरह से धारा 370 कश्मीर से हटा, उसी तरह से अन्य संशोधन भी हो सकते हैं। अभी लालू यादव जिस कांग्रेस के साथ हैं उस कांग्रेस ने भी आपातकाल के समय संशोधन किया था। संशोधन करने के लिए 400 पार की जरूरत नहीं।