हैदराबाद
तेलंगाना में पूर्व सीएम केसीआर की अगुवाई वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को करारा झटका लगा है। बीआरएस के छह विधान परिषद सदस्य रात 1 बजे कांग्रेस में शामिल हो गए। दो दिन पहले बीआरएस के दिग्गज नेताओं में शामिल रहे के. केशव राव ने कांग्रेस पार्टी में घर वापसी की थी। केशव राव ने कल उप राष्ट्रपति जगदीश धनखड़ से मिलकर राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा भी दे दिया था। बीआरएस के छह एमएलसी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस का विधान परिषद में संख्याबल अब 12 का हो गया है। बीआरएस विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मौके पर दीपा दासमुंशी भी मौजूद रहीं। लाेकसभा चुनावों से पहले भी काफी सारी बीआरएस नेताओं ने केसीआर का साथ छोड़ दिया था। काफी नेता कांग्रेस और कुछ बीजेपी में शामिल हुए थे। बीआरएस के जिन छह एमएलसी ने कांग्रेस की सदस्यता ली है। उनमें दांडे विटल, भानुप्रसाद राव, एम.एस. प्रभाकर, बोग्गापारू दयानंद, एग्गे मल्लेश, बसव राजू सरैया शामिल हैं।
सदन में घटी BRS की ताकत
तेलंगाना की विधान परिषद में कुल सदस्यों की संख्या 40 है। इसमें 34 सदस्य चुने जाते हैं जबकि छह नॉमिनेट किए जाते हैं। छह बीआरएस एमएलसी के पाला बदलने से कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़कर 12 पहुंच गई है। अब बीआरएस के पास 21 सदस्य बचे हैं। एमआईएमआईएम के पास दो और बीजेपी के पास एक सदस्य है। विधान परिषद की दो सीटें खाली है। दो सीटों पर निर्दलीय का कब्जा है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में कुछ और बीआरएस एमएमसी कांग्रेस का रुख कर सकते हैं। विधान परिषद के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन की पोस्ट पर अभी बीआरएस का कब्जा है।
मुश्किल दौर में बीआरएस
2023 विधानसभा चुनावों में हार के बाद तेलंगाना में लगातार बीआरएस के लिए मुश्किलें बढ़ रही है। लोकसभा चुनावों में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। राज्य की 17 लोसकभा सीटों में कांग्रेस और बीजेपी ने आठ-आठ सीटों पर कब्जा किया था। हैदराबाद की सीट पर असुदद्दीन ओवैसी जीते थे। ऐसे में बीआरएस शून्य पर सिमट गई थी, जबकि 2019 में चुनावों में उसे 9 सीटों पर जीत मिली थी। बीआएस को लोकसभा चुनावों में सिर्फ 16.68 फीसदी वोट मिले थे। उसके वोट प्रतिशत में 24.48 की गिरावट आई थी।
6 विधायक और मेयर भी छोड़ चुके हैं पार्टी
तेलंगाना में मिली हार के बाद पार्टी के विधायक भी लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं. इससे पहले पार्टी के 6 विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, जिनमें विधायक काले यादैया, विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पोचाराम श्रीनिवास रेड्डी, जगतियाल निर्वाचन क्षेत्र से बीआरएस विधायक एम. संजय कुमार, विधायक कादियम श्रीहरि, विधायक दानम नागेंद्र और विधायक तेलम वेंकट राव कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. इन विधायकों के अलावा हैदराबाद की मेयर विजया लक्ष्मी आर गडवाल समेत कई अन्य बीआरएस नेता भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.
पिछले साल मिली थी बीआरएस को जबरदस्त हार
बीआरएस ने पिछले साल हुए चुनावों में कुल 119 विधानसभा क्षेत्रों में से 39 पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस 64 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी. हालांकि, सिकंदराबाद कैंटोनमेंट से बीआरएस विधायक जी लास्या नंदिता की इस साल की शुरुआत में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. कांग्रेस ने हाल ही में सिकंदराबाद कैंटोनमेंट विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में जीत हासिल की. इससे कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़कर 65 हो गई.
कांग्रेस ने विधान परिषद में भी बढ़ाई सदस्यों की संख्या
तेलंगाना विधानपरिषद की वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में बीआरएस के पास 25 सदस्य हैं और कांग्रेस के चार सदस्य हैं. 40 सदस्यीय विधानपरिषद में चार मनोनीत सदस्य भी हैं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के दो, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीआरटीयू के एक-एक और एक निर्दलीय सदस्य भी हैं, जबकि दो सीट रिक्त हैं. रेवंत रेड्डी के गुरुवार रात राष्ट्रीय राजधानी की दो दिवसीय यात्रा से लौटने के तुरंत बाद ये सदस्य कांग्रेस में शामिल हुए, बीआरएस के छह नेताओं के कांग्रेस में शामिल हो जाने से तेलंगाना विधान परिषद में कांग्रेस सदस्यों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है.
सांसद ने भी छोड़ी दी पार्टी
दो दिन पहले भी बीआरएस को बड़ा झटका लगा था जब पार्टी के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद के. केशव राव कांग्रेस में शामिल हो गए. नई दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की मौजूदगी में के केशव राव ने कांग्रेस का दामन थामा था. वह पहले कांग्रेस में ही थे लेकिन बाद में केसीआर के साथ जाकर बीआरएस का दामन थाम लिया था.