ओडिशा: रथ यात्रा के बाद समारोह के दौरान भगवान बलभद्र की मूर्ति फिसलने से 8 लोग घायल

नई दिल्ली,

ओडिशा के पुरी में मंगलवार को रथ यात्रा के बाद एक समारोह के दौरान भगवान बलभद्र की मूर्ति फिसलने से आठ लोग घायल हो गए. यह घटना उस समय हुई जब शाम को तीनों मूर्तियों को रथ से उतारकर गुंडिचा मंदिर के अडापा मंडप में ले जाया जा रहा था.

अन्य अनुष्ठानों के पूरा होने के बाद मूर्तियों की ‘पहांडी’ शुरू हुई, जहां तीनों मूर्तियों को सेवकों धीरे-धीरे झुलाते हुए अडापा मंडप में ले जा रहे थे. हालांकि, जब वे भगवान बलभद्र की मूर्ति को उनके रथ, तलध्वज से उतार रहे थे तो मूर्ति रथ, चरमाला के अस्थायी रैंप पर फिसल गई और सेवकों पर गिर गई. इस मामले पर जिला अधिकारी ने बताया कि कुल 8 लोग घायल हैं जिन्हें अस्पताल ले जाया गया है और वहां खड़े कुछ लोगों को मामूली चोटें आई हैं, लेकिन कोई गंभीर नहीं हैं.

सोमवार को पुरी में रथ यात्रा निकाली गई थी. इस यात्रा में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी. इसमें घायल कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इसके अलावा रथ खींचने के दौरान हुई दुर्घटना में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया.

सुरक्षा के लिए 180 प्लाटून तैनात
रथ यात्रा में 180 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 जवान होते हैं) सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी. तीर्थ नगरी के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे.

जगन्नाथ रथ यात्रा का खास है महत्व
सनातन धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का खास महत्व है. मान्यताओं के अनुसार रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता हैं, जहां भगवान 7 दिनों तक आराम करते हैं. इस दौरान गुंडिचा माता मंदिर में खास तैयारी होती है और मंदिर की सफाई के लिए इंद्रद्युम्न सरोवर से जल लाया जाता है. इसके बाद भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा शुरु होती है. इस यात्रा का सबसे बड़ा महत्व यही है कि यह पूरे भारत में एक पर्व की तरह निकाली जाती है. इस रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालु भव्य रथों को देखने और उन्हें खींचने के लिए एकत्रित होते हैं.

भगवान जगन्नाथ रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को प्रारंभ होती है. रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज होता जिस पर श्री बलराम होते हैं, उसके पीछे पद्म ध्वज होता है जिस पर सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं और सबसे अंत में गरूण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी होते हैं जो सबसे पीछे चलते हैं.

About bheldn

Check Also

दुर्गा विसर्जन के दौरान बड़ा हादसा, पताके से टकराकर टूटी बिजली की तार, सात लोग झुलसे

बालोद छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में शनिवार को देवी दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन जुलूस …