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Saturday, December 6, 2025
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सऊदी अरब के रेगिस्तान में बर्फबारी, अल्‍लाह का कहर या जलवायु परिवर्तन के संकेत? एक्सपर्ट ने बताया कितना खत

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रियाद

सऊदी अरब के अल जौफ क्षेत्र में कुछ महीने पहले भारी बारिश हुई और ओले भी गिरे। इससे यहां मौसम बदलाऔर बर्फ की चादर बिछ गई। मौसम का ये बदलाव लोगों को अच्छा लगता है लेकिन जलवायु विशेषज्ञ इसे चेतावनी मान रहे हैं। अल जौफ में बसंत के मौसम में अच्छी चीजें देखने को मिल सकती हैं लेकिन फिलहाल एक्सपर्ट को लगता है कि जलवायु परिवर्तन के संकेत साफ दिख रहे हैं। एक्सपर्ट ने इसको लेकर कई चिंताएं जताई हैं।

आउटलुक की की रिपोर्ट के मुताबिक, अल-जौफ अपने सामान्य मौसम, भूजल और उपजाऊ मिट्टी के लिए जाना जाता है। इसे सऊदी का अन्न भंडार कहते हैं क्योंकि यहां से बड़ी मात्रा में गेहूं और जैतून का तेल मिलता है। सऊदी अरब का ज्यादातर हिस्सा रेगिस्तान और रेत के टीलों से भरा है लेकिन उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में समुद्र तल से 2,600 मीटर ऊपर स्थित तबुक में हर साल बर्फबारी होती है। ये इसकी ऊंचाई और यूरोप और साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवाओं के कारण होता है। इसके बावजूद अल-जौफ में बर्फबारी से कई सवाल उठे हैं।

सऊदी के लिए क्यों है चिंता का सबब?
जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ इस क्षेत्र में बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण भारी और अप्रत्याशित वर्षा पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। सऊदी अरब में जलवायु परिवर्तन के कई प्रभाव देखे जा रहे हैं। सऊदी अरब में अत्यधिक बारिश और जलवायु परिवर्तन पर एक शोध पत्र में कहा गया है कि इस क्षेत्र में तेज बारिश में वृद्धि हो रही है। जबकि कम बारिश वाले मौसम में कमी आई है, वहीं उत्तर-पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में अत्यधिक बारिश हो रही है।

सऊदी अरब में अत्यधिक उच्च तापमान होता है। G20 क्लाइमेट रिस्क एटलस के अनुसार, सऊदी में लंबी गर्मी की लहरें होने की संभावना है। समुद्र के स्तर में वृद्धि, तटीय कटाव और अत्यधिक मौसम की स्थिति का भी खतरा है। इतना ही नहीं कृषि सूखे और भूमि के मरुस्थलीकरण में वृद्धि की भी संभावना है। क्लाइमेट रिस्क एटलस में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सऊदी अरब को 2050 तक अपने GDP का लगभग 12.2 प्रतिशत नुकसान हो सकता है।

पश्चिम एशिया जलवायु से संबंधित प्रभावों के प्रति सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। अनुमान बताते हैं कि बढ़ते औसत तापमान से मौसम के पैटर्न में तेजी से अनियमितता और चरम सीमा आ सकती है। बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण रेगिस्तान में बर्फबारी जैसी असामान्य मौसम की घटनाएं बढ़ सकती हैं।

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