नई दिल्ली,
मणिपुर में हाल के समय में अस्थिरता और संकट के लगातार बढ़ते हुए हालातों को देखते हुए, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने नागा समुदाय के नेताओं को शांति स्थापित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाने की अपील की है. सेनापति जिले के मराम क्षेत्र में आयोजित 42वें मरालुई करलीमई स्विजोइकंग (एमकेएस) महासम्मेलन में बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि वर्तमान समस्याओं के समाधान और शांति की बहाली के लिए एक तीसरे पक्ष की जरूरत है. उन्होंने कहा, “चर्च और सामुदायिक नेताओं को अब जिम्मेदारी लेनी होगी, ताकि राज्य में शांति स्थापित की जा सके.”
बीरेन सिंह ने आगे कहा कि मणिपुर सरकार संविधान और नियमों के तहत समस्याओं का समाधान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, “जो कुछ भी हुआ है, वह पुरानी बातें हैं. अब समय है कि हम पिछली गलतियों को भूलकर शांति की राह पर लौटें. राज्य के सभी निवासियों की एकजुटता और सामूहिक प्रयासों की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सरकार की ओर से शांति कायम के लिए हर आवश्यक कदम उठाने को तैयार हैं और उन्हें समुदाय के समर्थन की दरकार है.
मुख्यमंत्री ने 90 के दशक के विवाद का दिया उदाहरण
मुख्यमंत्री ने 90 के दशक के कुकी और नागा संघर्षों का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय भी समाधान निकालने की कोशिश की गई थी, और अब एक बार फिर से वह नागा नेताओं और समुदाय के समर्थन की अपेक्षा रखते हैं. बीरेन सिंह ने समुदाय से अनुरोध किया कि शांति की कोशिशों पर कुछ नतीजे पर पहुंचा जा सके.
सरकार किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं!
मुख्यमंत्री ने कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में जनसंख्या में हो रही असामान्य वृद्धि का जिक्र किया और बताया कि इस पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि सरकार किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है और सभी कदम राज्य के युवाओं और स्थानीय समुदायों की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे हैं. अवैध अप्रवासियों की पहचान के माध्यम से सरकार का स्थानीय समुदायों की संख्या को बनाए रखना है. बीरेन सिंह ने समुदाय से अपील की कि उनकी मंशा को गलत न समझा जाए और आपसी सहयोग से शांति बहाल की जाए