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Sunday, July 6, 2025
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धर्मयुद्ध का समय… प्रेमानंद महराज ने संभल के DM को ‘महाभारत’ वाला क्या गुरु मंत्र दिया?

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उत्तर प्रदेश के संभल में प्राचीन स्मारकों को संरक्षित करने और पौराणिक काल के तीर्थों को पुनर्जीवित करने की मुहिम को लेकर चर्चा में आए जिलाधिकारी (DM) डॉ राजेंद्र पेंसिया का वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में हाजिरी लगाते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. डीएम को संत ने कर्तव्य का पाठ पढ़ाया. साथ ही निर्भीक और निष्पक्ष होकर प्रशासनिक कर्तव्यों के निर्वहन करने का मंत्र भी दिया.

दरअसल, बीते 14 दिसंबर को संभल के खग्गू सराय इलाके में मुस्लिम आबादी के बीचो-बीच स्थित कार्तिकेय महादेव मंदिर के डीएम संभल डॉ राजेंद्र पेंसिया और एसपी केके बिश्नोई ने कपाट खुलवाए थे. संभल में 46 साल बाद मंदिर के कपाट खुलने की चर्चा देशभर में होने लगी है. लेकिन कार्तिकेय महादेव मंदिर के कपाट खुलवाने के साथ ही संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया ने संभल के 68 तीर्थों और 19 प्राचीन कूपों को खोजने की भी बड़ी मुहिम शुरू कर दी और अभी तक लगभग 30 से ज्यादा तीर्थ मिल भी चुके हैं और मुहिम लगातार जारी है.

इसी बीच, संभल के डीएम डॉ राजेंद्र पेंसिया का वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में हाजिरी लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. जिलाधिकारी पहले संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन करते हैं और फिर प्रेमानंद महाराज संभल जिले के डीएम राजेंद्र पेंसिया को कर्तव्य का पाठ पढ़ाते हैं

डीएम संभल राजेंद्र पेंसिया ‘एकांतिक वार्तालाप’ में पहुंचते हैं तो शिष्य सबसे पहले डीएम संभल का परिचय संत प्रेमानंद महाराज को देते हैं. इसके बाद संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं, ”भगवान की कृपा से ही हर सेवा मिलती है, तो जब भगवत कृपा से यह सेवा मिली है तो इसका निर्वहन करते रहना है. भले ही प्रलोभन से कोई प्रभावित करे, भयभीत नहीं होना है. अपने अधिकार अनुसार राष्ट्र की सेवा करो. भगवान का स्मरण करते हुए ही जीवन व्यतीत करो, क्योंकि जीवन का लक्ष्य भगवान की प्राप्ति है. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें भजन करने और आपको जिला संभालने का मौका मिला है, तो सेवाएं भले ही अलग-अलग हैं, लेकिन इनाम दोनों को एक ही मिलेगा. आपको जिलाधिकारी का पद मिला है तो अगर ईमानदारी से और सत्य भाव से नाम जपते हैं, तो आप एक महात्मा हैं, जो महात्मा की गति होगी, वही आपकी भी गति होगी.”

प्रेमानंद महाराज ने सीनियर आईएएस डॉ राजेंद्र पेंसिया को गीता के अर्जुन का उदाहरण देते हुए कहा, ”अर्जुन कहते हैं कि संन्यास लेकर भगवान का भजन करूंगा. लेकिन भगवान उनसे मना करते हैं और कहते हैं कि इस समय धर्मयुद्ध कर्तव्य है. तो आप अपने कर्तव्य का पालन करते हुए और नाम का जाप करते हुए केवल यह देखिए कि आपसे अपने कर्तव्य में गलती नहीं होनी चाहिए. जैसे कि हम अपने भजन में गलती नहीं होने देंगे.

क्योंकि आपका जो पद है, उसमें बस प्रलोभन से कोई त्रुटि नहीं होनी चाहिए, तो वही भगवान की आराधना बन जाएगी और देश की सेवा भी हो ही जाएगी. इसे आप एक उत्तम अधिकारी भी माने जाएंगे और भगवान की सेवा भी मानी जाएगी. अगर भगवान की सेवा बन जाए तो मनुष्य जीवन की सार्थकता है. इसलिए खूब आनंदपूर्वक रहिए और कोई व्यसन नहीं कीजिए. कोई व्यसन तो नहीं करते हो?

इस पर डीएम ने संत प्रेमानंद महाराज से कहा, ”हम चाय का भी सेवन नहीं करते हैं और घर में कोई लहसुन प्याज भी नहीं खाता है.” जिस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि इसलिए ही आप साधु संत की शरण में आए हैं और भगवान की कृपा से ही यह संयोग प्राप्त होता है. संत प्रेमानंद महाराज ने डीएम से पूछा- ”आप भगवान का नाम उठते बैठते जप करते हैं या समय देकर?” जवाब में डीएम बोले- शाम को 8 बजे से 9:40 तक प्रतिदिन गीता का पाठ होता है और सुबह डेढ़ घंटे पूजा पाठ होता है.”

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