बदलाव या अस्तित्व की लड़ाई? AAP के खिलाफ लगातार आक्रामक क्यों हो रही है कांग्रेस

दिल्ली,

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं. हालांकि कांग्रेस के पास इस चुनाव में खोने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस का प्रदर्शन आने वाले समय में उसकी राजनीतिक प्रासंगिकता को स्पष्ट कर देगा. कांग्रेस इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को जमकर घेर रही है और उसकी तुलना बीजेपी से कर रही है. इसके चलते आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के संबंधों में भी दरार आ गई है. इस उलटफेर ने दिल्ली में हलचल बढ़ा दी है, क्योंकि कांग्रेस-आम आदमी पार्टी के बीच का रिश्ता अब पूरी तरह से खत्म हो गया है.

जब से राहुल गांधी ने सीलमपुर रैली में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हमला बोला है, तब से कांग्रेस लगातार आम आदमी पार्टी पर निशाना साध रही है. ये एक सोची-समझी रणनीति है, क्योंकि कांग्रेस को लगता है कि अगर उसे भविष्य में बीजेपी के साथ लड़ाई लड़नी है, तो उसके लिए वैचारिक रूप से उस पार्टी को हराना ज़रूरी है, जिसका अस्तित्व ही कांग्रेस की वजह से है. क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी के आने के बाद से कांग्रेस को तगड़ा नुकसान हुआ है.

ऐसे गिरता गया कांग्रेस का वोट शेयर
2013 से पहले दिल्ली की सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को 40% से अधिक वोट मिले थे, लेकिन 2013 में ये आंकड़ा घटकर 24.5% रह गया. फिर 2015 में आधे से भी अधिक घटकर 9.6% रह गया. फिर 2020 में इस आंकड़े में और गिरावट आई, लिहाजा कांग्रेस का वोट शेयर महज 4.2 फीसदी रह गया. ये गिरावट आम आदमी पार्टी के उदय के साथ शुरू हुई. जिसने पिछले 2 विधानसभा चुनावों में 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए थे. यानी 2015 में 54.3 प्रतिशत और 2020 में 53.5 प्रतिशत.

2013 की हार के बाद कांग्रेस इन मु्द्दों से जूझ रही!
2013 की हार के बाद कांग्रेस कई समस्याओं का सामना कर रही है. इसमें कार्यकर्ताओं की कमी, संगठन का अभाव, गुटबाजी और प्रेरणा की कमी जैसे मुद्दे शामिल हैं. इस स्थिति में कांग्रेस पार्टी जानती है कि वह दिल्ली की सभी 70 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सकती और इसलिए वह इस चुनाव में 20-25 सीटों पर ही फोकस कर रही है. जहां उसे लगता है कि उसके पास अच्छा मौका है.

ये ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस अन्य सीटों की तुलना में ज्यादा एक्टिव है.
– बादली
– सीलमपुर
– सीमापुरी
– कस्तूरबा नगर
– सुल्तानपुर माजरा
– मटिया महल
– बल्लीमारान
– ओखला

कांग्रेस की अल्पसंख्यक वोटर्स पर नज़र
कांग्रेस अपने पारंपरिक मतदाताओं को वापस लाने पर भी फोकस कर रही है और अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने के लिए बड़े प्रयास किए जा रहे हैं, जो 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान केजरीवाल द्वारा छोड़े जाने का एहसास कर रहे थे. राहुल गांधी ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा भी किया. कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार अपने अभियान में इस मुद्दे को ज़ोरदार तरीक़े से उठा रहे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस को लगता है कि राहुल गांधी का संविधान और समावेशिता पर ज़ोर मुसलमानों के दिलों में गहराई से समा गया है और वे उन्हें अपने मुद्दों पर आवाज़ उठाने वाले सबसे मुखर व्यक्ति के रूप में देखते हैं, जबकि प्रियंका गांधी के फिलिस्तीन के समर्थन में बैग कैरी करने वाले कदम ने दिल्ली के मुसलमानों के बीच इस विश्वास को मज़बूत किया कि कांग्रेस अपनी ‘धर्मनिरपेक्ष’ साख के लिए खड़ी होने को तैयार है.

पिछले चुनाव में कांग्रेस-AAP को कितने मुस्लिम वोट मिले
2020 में कांग्रेस पार्टी को 13% मुस्लिम वोट मिले, जो पिछले चुनाव से 7% कम है, जबकि AAP को 83% मुस्लिम वोट मिले, जो 6% ज्यादा हैं, इसलिए कांग्रेस का मानना ​​है कि इस बार वह उन निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके आम आदमी पार्टी पर जीत हासिल कर सकती है, जहां मुसलमानों की अच्छी खासी आबादी है.

केजरीवाल से सीधा टकराव
आम आदमी पार्टी की विफलताओं को उजागर करने से कांग्रेस को लगता है कि व्यक्तित्वों के टकराव में राहुल गांधी, केजरीवाल पर भारी पड़ेंगे. इसमें कोई अचरज नहीं कि सबसे तीखा हमला विपक्ष के नेता की ओर से हुआ है. अब तक राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल के साथ सीधे टकराव से दूर रहे हैं, चाहे वह हरियाणा हो या गुजरात विधानसभा चुनाव. लेकिन अब इसमें एक बड़ा बदलाव आया है, जब राहुल गांधी सोशल मीडिया पर दिल्ली में कूड़ा-कचरा दिखाते हुए केजरीवाल के दिल्ली को ‘पेरिस’ में बदलने के दावे का मज़ाक उड़ा रहे हैं.

बीजेपी और आम आदमी पार्टी पर तीखा हमला कर रही कांग्रेस
इस तरह मतदाताओं को ये मैसेज दिया जा रहा है कि दिल्ली में कांग्रेस की सबसे बड़ी दुश्मन आम आदमी पार्टी है और हमला दूसरे कट्टर प्रतिद्वंद्वी भाजपा की तरह ही तीखा होगा. राहुल ने केजरीवाल और मोदी की तुलना एक ही सिक्के के दो पहलू के रूप में की और केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के खिलाफ़ कार्रवाई करने में विफल रहने का आरोप लगाया

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