प्रयागराज:
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बहुचर्चित एयरफोर्स चीफ इंजीनियर मर्डर केस ने केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश को झकझोर दिया है। बम्हरौली एयरफोर्स कमांड बेस की हाई सिक्योरिटी जोन के अंदर चीफ इंजीनियर की मारकर हत्या एक बड़ी वारदात है। एक ओर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसकी आलोचना कर योगी सरकार के कानून व्यवस्था को लेकर घेरा। वहीं एयरफोर्स पुलिस और प्रयागराज पुलिस के लिए भी यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। फिरहाल हत्या की घटना के 20 घंटे बाद भी पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।
एयरफोर्स बम्हरौली के हाई सिक्योरिटी जोन में दाखिल होकर चीफ इंजीनियर के आवास तक पहुंचना, हमलावर का आवाज देकर चीफ इंजीनियर को बुलाना फिर सामने आते ही गोली मार देना। इतना ही नहीं गोली मारने के बाद हमलावर का सुरक्षित फरार हो जाना। यह पूरे हाई सिक्योरिटी सिस्टम पर सवाल उठा रहा है, जिस हाई सिक्योरिटी जोन के ऊंची-ऊंची बाउंड्री वॉल पर कांटेदार तार लगे हुए हो, सीसीटीवी लगे हों, नोटिस बोर्ड की तरह बड़े-बड़े अक्षरों पर की लिखा हो कि यह एयरफोर्स का प्रवेश प्रतिबंधित क्षेत्र है। ऐसी जगह पर कोई हमलावर कैसे घुस गया?
क्या पहचान वाला था हत्यारा
वहीं पुलिस को जो सीसीटीवी फुटेज मिला है, उसमें एक व्यक्ति के बाउंड्री वॉल के रास्ते से प्रवेश करता दिखा है। घर की खिड़की खोलते ही सीधे सीने में गोली मार देता है। परिजनों का फिलहाल यही कहना है। इस बात से यह स्पष्ट है कि हमलावर चीफ वर्क इंजीनियर का परिचित था। संभव है कि हमलावर की आवाज को सत्येंद्र नारायण मिश्रा पहचान गए और खिड़की खोलकर सामने आ गए।
फिलहाल यह पुलिस जांच का विषय है लेकिन प्रथम दृष्टया तथ्यों के हिसाब से यह तय है कि हमलावर कहीं ना कहीं पूर्व परिचित था। हत्या का कारण फिलहाल अभी क्लियर नहीं है लेकिन पुलिस तीन एंगल पर जांच कर रही है। पहला परिवारिक सदस्यों को लेकर किसी व्यक्ति से विवाद, दूसरा ऑफिशियल वर्क टेंडर को लेकर किसी ठेकेदार से अदावत और सत्यनारायण मिश्र का किसी खास व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत खुन्नस। फिलहाल के वर्क इंजीनियर सत्येंद्र नारायण मिश्रा का व्यवहार इतना सरल और मृदु था कि उनका किसी से किसी भी तरह का विवाद किसी को याद नहीं है।
सत्येंद्र नारायण मिश्रा बिहार के रहने वाले थे
एयरफोर्स चीफ वर्क इंजीनियर सत्येंद्र नारायण मिश्रा मूल रूप से बिहार के सासाराम जिला के रोहतास ओचस थाना अंतर्गत हरनाथ गांव के मूल निवासी हैं। इनके पिता हरि गोविंद मिश्रा रिटायर्ड शिक्षक हैं। अभी 25 मार्च को ही सतेंद्र नारायण मिश्र अपने गांव गए थे और सभी से मिलकर आए थे। होली पर गांव न पहुंचने का उन्हें मलाल था। रिटायर्ड शिक्षक पिता को जब यह जानकारी मिली तो उनके सामने अंधेरा छा गया। गांव में चीफ इंजीनियर जब भी जाते थे तो वह सबसे वैसे ही मिलते थे, उनके अंदर अधिकारी का कोई भी प्रभाव या रुतबा नजर नहीं आता था।
प्रयागराज से हो चुका था ट्रांसफर
ऑफिस के लोगों ने बताया कि चीफ वर्क इंजीनियर सत्येंद्र नारायण मिश्र का प्रयागराज से ट्रांसफर भी हो चुका था। वह जल्दी ही प्रयागराज के बहरौली कमांडिंग बेस से जाने वाले थे, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। ऑफिस में लगभग 300 लोगों का स्टॉफ उनके अधीन कार्य करता है। ऑफिस के लोगों का कहना है कि उनका व्यवहार काफी मृदु और सरल था। वह गलती होने के बाद भी लोगों को अनुशासित तरीके से ही बोलते थे।
एयरफोर्स के वर्क इंजीनियर सत्येंद्र नारायण मिश्र के परिवार की बात करें तो 51 वर्षीय सतेंद्र नारायण मिश्र सपत्नीक 2 बच्चों के साथ सरकारी आवास में रहते थे। पत्नी वत्सला मिश्रा हाउस वाइफ हैं। बड़ी बेटी कावेरी मिश्र लखनऊ लॉ कॉलेज से एलएलबी कर रही है। बेटा माघवेंद्र मिश्र ने सैनिक स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा दी है। सत्यनारायण मिश्र की शिक्षा आदर्श इंटर कॉलेज वाराणसी से हुई थी, उसके बाद मुजफ्फरनगर से इन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री ली। पहली पोस्टिंग सिंचाई विभाग में एसडीओ के पद पर लखनऊ में हुई थी, जहां से इस्तीफा देकर इंजीनियरिंग सर्विस कमीशन से एयर फोर्स में चीफ इंजीनियर के पद पर सेलेक्ट हुए थे।
दिल के ठीक नीचे लगी गोली
प्रयागराज में वह 2 साल से एयरफोर्स बम्हरौली में चीफ वर्क इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। वहीं की चीफ इंजीनियर कॉलोनी में रहते थे। एसआरएन अस्पताल की मर्चरी में पोस्टमार्टम से पहले मृतक एस एन मिश्र का एक्सरे हुआ। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि मृतक सत्येंद्र नारायण मिश्र के सीने पर संभवतः सामने से गोली मारी गई। सीने की बाई तरफ धंसी हुई एक बुलेट मिली है, जोकि दिल के ठीक नीचे थी।